लालकुआं…कहिए नेता जी—2 : पांच साल में बस स्टैंड, सार्वजनिक शौचालय और वाहन पार्किंग तक नहीं बना सकी सरकार, क्या जवाब देंगे मोहन बिष्ट
तेजपाल नेगी
लालकुआं। पांच साल तक सत्ता में रहने के बाद अपने ही निर्वतमान विधायक का टिकट काटने वाली भाजपा ने इस बार चंद दिनों पहले भाजपा में पुर्नवापसी करने वाले मोहन सिंह बिष्ट को मैदान में उतार कर तस्वीर बदलने का प्रयास तो किया लेकिन कांग्रेस के हरीश रावत के एन वक्त पर यहां से चुनावी जंग में ताल ठोकने से लालकुआं की तकदीर का सवाल पैदा कर दिया।
अनुभवी हरीश रावत के सामने पहली बार विधानसभा के लिए चुनाव लड़ रहे मोहन सिंह बिष्ट कमजोर खिलाड़ी साबित हो सकते हैं। भाजपा के स्थानीय बड़े चेहरे सिर्फ स्टार प्रचारकों की रैलियों में ही दिख रहे हैं। ऐसे में मोहन बिष्ट के सामने गिने चुने भाजपा नेताओं के साथ अपने चुनाव की बागडोर संभालनी है। उनके आगे नाराज नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी है तो मतदाताओं को रिझाने की चुनौती भी है। एक इस रस्सी की एक डोर संभालते हैं तो दूसरी छोर काबू से बाहर हो जाता है।
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इस आपाधापी के बीच जनता के कुछ सवाल भी हैं जिनके जवाब भी मोहन सिंह बिष्ट को सत्ताधारी दल के प्रत्याशी होने के नाते ढूंढने होंगे। लालकुआं को एक ज्वलंत मुद्दा है बस स्टैंड! यहां बस स्टैंड है ही नहीं। हजारों की संख्या में लोग हर रोज ललाकुआं से अलग अलग स्थानों तक जाने के लिए टैंपुओं में धक्के खाने को मजबूर रहते हैं, सड़कों पर खड़े होकर वे जहां तहां बसों को रूकवाने का प्रयास करते हैं। पांच साल तक सत्ता में रहने के बाद भाजपा के प्रतिनिधि यहां एक अदद बस स्टैंड तक नहीं बनवा सकी।
स्थानीय लोग बताते हैं कि 1995 तक यहां एक टिकट खिड़की हुआ करती थी जहां से लोग अपनपी टिकटों की बुकिंग कराने की सुविधा हासिल करते थे लेकिन अब वह विंडोे भी गायब हो गई है। बाजार में सार्वजनिक शौचालय बनाना तो पंचवर्षीय योजना में शामिल कराया जा सकता था, वह इंतजाम भी यहां नहीं करवाया जा सका। वाहन पार्किंग भी यहां न होने के कारण सड़क पर आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है। नये तीनों मुद्दे एक बार फिर जनता की जुबान पर हैं।
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अगर मोहन बिष्ट किसी ओर पार्टी में होते तो इन मुद्दों पर मुख हो गए होते लेकिन अपनी ही सरकार की नालायकी के खिलाफ कुछ भी बोलने की स्थिति में वे अब नहीं है। दूसरी ओर कांग्रेस ने इन सभी असफलताओं को अपने स्थानीय चुनावी मेनीफेस्टो में स्थान देकर भाजपा के हाथों से उन्हें छीन लिया है।
मोहन बिष्ट के सामने किसी दूसरे नेता की गलती का खामियाजा भुगतने के लिए मजबूर हैं। भाजपा के प्रत्याशी होने के कारण इस ठीकरे को पिछले विधायक के सिर भी नहीं फोड़ सकते हैं। क्योकि दुम्का भी उनकी ही पार्टी के विधायक रहे हैं। इसीलिए मोहन ने अपना ध्यान बिंदुखत्ता की ओर शिफ्ट किया है लेकिन वहां भी मुद्दे उनका इंतजार में नहीं बैठे थे कांग्रेस ने उन्हें भी अपने स्थानीय घोषणा पत्र में शामिल करके मोहन बिष्ट को परेशान कर दिया है। बची खुची कसर पवन चौहान ने पूरी कर दी। पूर्वांचल का एक बड़ा वोट बैंक वे अपने साथ ले उड़े है।
खैर लालकुआं में बस स्टैंड, सार्वजनिक शौचालय और वाहन पार्किंग पांच सालों में क्यों तैयार नहीं हुई इस सवाल पर हमें मोहन बिष्ट के जवाब का इंतजार रहेगा। जैसे ही वे अपना जवाब हमें देेंगे हम उससे पाठकों को अवगत कराएंगे।