हल्द्वानी न्यूज : फादर स्टेन स्वामी की मौत साजिश के तहत हुई, दोषियों को सजा मिले – वाम मार्गी संगठन
हल्द्वानी । जन अधिकारों की बुलंद आवाज़ कहे जानेवाले फादर स्टेन स्वामी को भाकपा(माले), क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, अम्बेडकर मिशन, भीम आर्मी, ऐक्टू, बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया, किसान महासभा, भीम आर्मी, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, वामपंथी पार्टियों, सामाजिक जन संगठनों द्वारा बुद्धपार्क हल्द्वानी में आयोजित ‘प्रतिवाद धरना’ के माध्यम से दो मिनट की मौन श्रद्धांजली देते हुए एक स्वर से उनकी मौत को न्यायिक हत्या बताते हुए मांग की कि फादर स्टेन की सांस्थानिक हत्या के जिम्मेदार सभी दोषियों को सज़ा दी जाय। साथ ही सभी भीमा कोरेगांव मामले में बंद सभी 15 कार्यकर्ताओं समेत राजनीतिक बंदियों को रिहा करने, यूएपीए जैसे कानूनों को खत्म करने की मांग भी उठायी गई।
इस अवसर पर हुई सभा में वक्ताओं ने फादर स्टेन की मौत के लिए सीधे तौर पर मोदी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया गया कि मोदी सरकार ने सुनियोजित साजिश रचकर एनआईए के जरिये उन्हें जेल में ही मार दिया। वक्ताओं ने यह भी कहा कि फादर स्टेन के साथ एनआईए के आक्रामक व्यवहार से इस अनहोनी की आशंका पहले से ही होने लगी थी। इसलिए कोरोना काल में भी महामारी प्रोटोकाल की धज्जियां उड़ाकर एनआईए की टीम ने 84 वर्षीय बीमार फादर स्टेन को जबरन मुंबई स्थित तलोजा जेल में क़ैद कर अपनी मंशा जाहिर कर दी थी।
वक्ताओं ने कहा कि, मोदी—शाह राज के एजेण्ट का काम करते हुए एन.आई.ए. मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाले भारत के प्रतिष्ठित व अग्रणी लोगों को ‘भीमा—कोरेगांव केस’ में बर्बर यूएपीए कानून के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज रही है ताकि वे अनिश्चित काल तक विचाराधीन कैदी बने रहें और जेल में ही रहें। फादर स्टेन स्वामी को भी इसी मामले में फंसा कर जेल भेज दिया गया था। जबकि एन.आई.ए. और मोदी—शाह का शासन भलीभांति यह बात जानता है कि भीमा—कोरेगांव मामले में बनाये गये सभी अभियुक्तों के खिलाफ झूठा मुकदमा लगाया गया है और जेल भेजे गये सभी लोग न्यायिक प्रक्रिया के बाद बाइज्जत बरी हो जायेंगे। लेकिन यू.ए.पी.ए. के तहत जेल में भेज कर सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि ‘न्यायिक प्रक्रिया’ खुद ही निर्दोष अभियुक्तों के लिए हिरासत में टॉर्चर, और मृत्युदण्ड तक बन जाये।
कहा कि, फादर स्टेन की जमानत की सुनवाई ने भारतीय न्याय व्यवस्था में गिरावट के नये प्रतिमान दर्ज कर दिये हैं। फादर स्टेन स्वामी चलने फिरने में असमर्थ थे अत: उन्होंने अपील की थी कि साथी बंदियों द्वारा चम्मच से उन्हें भोजन खिलाने की अनुमति दी जाय. लेकिन अदालत ने पूरी संवेदनहीनता दिखाते हुए इसे खारिज कर दिया।
गौरतलब है कि इसके पहले भी झारखण्ड राज्य गठन के बाद से ही स्टेन स्वामी राज्य की सत्ता में काबिज़ भाजपा के निशाने पर आ गए थे। क्योंकि सरकार द्वारा झारखण्ड प्रदेश के जल जंगल ज़मीन और खनिज की कॉर्पोरेट लूट का विरोध कर रहे आदिवासी समुदाय के लोगों का हो रहा दमन का वे मुखर विरोध कर रहे थे। तब रघुवर दास के भाजपाई शासन ने उनपर ‘राजद्रोह’ का मुकदमा कर दिया था।
क्षोभ प्रकट करते हुए कहा गया कि, भारत के गृहमंत्री अमित शाह उन जांच एजेन्सियों के सर्वेसर्वा हैं जो कार्यकर्ताओं पर झूठे मुकदमे लगा कर उन्हें जेल में विचाराधीन कैदी के रूप में यातनायें झेलने, अनन्तकाल तक पड़े रहने और मरने के लिए भेजती हैं।
संकल्प लिया गया कि फादर स्टेन स्वामी की कस्टोडियल हत्या पर मात्र दुख व शोक व्यक्त करना काफी नहीं हो सकता, यह हमारे गुस्से व प्रतिरोध की सार्थक अभिव्यक्ति की मांग कर रही है। भारत के सर्वाधिक उत्पीड़ित व दमित लोगों के लिए न्याय व सम्मान के संघर्ष को आगे बढ़ाते रहना, भारत में राज कर रहे फासीवादियों के हमलों के खिलाफ पूरी दृढ़ता व साहस से खड़े रहना ही फादर स्टेन स्वामी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
‘प्रतिरोध धरना’ कार्यक्रम में भाकपा (माले) केंद्रीय कमेटी सदस्य डॉ संजय शर्मा, ऐक्टू के प्रदेश महामंत्री के के बोरा, अम्बेडकर मिशन के अध्यक्ष जी आर टम्टा, किसान महासभा के जिला संयोजक बहादुर सिंह जंगी, पछास के मोहन मटियाली, माले जिला सचिव डॉ कैलाश पाण्डेय, बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया के जिला महासचिव जीवन प्रकाश, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की नीता, भीम आर्मी के अमित कुमार, आरती, सुंदर लाल, बाल किशन, आर पी गंगोला, एडवोकेट राजेन्द्र कोटियाल, ललित मटियाली, एन डी जोशी, गोपाल सिंह, कमल जोशी, हरीश भंडारी, धीरज कुमार, शिव सिंह, सुरेश मुरारी आदि शामिल रहे।