#एक और एकलव्य…हल्द्वानी : तो क्या पुष्कर सिं​ह धामी से गुरू दक्षिणा में मांगा जाएगा सीएम पद

हल्द्वानी। उत्तराखंड की राज्यपाल बेबीरानी मौर्या के इस्तीफे के निहितार्थ अभी निकाले ही जा रहे थे कि एक और खबर आ गई। खबर यह है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी नवंबर— दिसंबर तक राज्यपाल पद से त्यागपत्र देकर उत्तराखंड में भाजपा की सत्ता में वापसी के अभियान की बागडोर संभाल सकते हैं। हालांकि किसी भी राज्यपाल को पद छोड़कर दोबारा से राजनीति ज्वाइन करने से रोकने के लिए कोई कानून नहीं है। लेकिन यदि यह खबर सत्य है तो भाजपा हाईकमान को कुछ बड़े सवालों के जवाब भी उत्तराखंड की जनता को देने होंगे।

पहला तो यह कि पांचवें साल के भीतर बनाए गए तीसरे सीएम पुष्कर धामी क्या सिर्फ पार्टी के नाइट वाच मैन है। जो अंतिम ओवरों में विकेट बचाएं रखने के लिए भेजे जाते हैं। यदि ऐसा है तो भाजपा ने उत्तराखंड का बड़ा अपमान किया है। यह एक धोखा भी है यहां की जनता के साथ। यदि चुनाव जीतने की स्थिति में किसी अन्य को बिठाना ही था तो उसे चुनाव से पहले बेपर्दा करते हुए सीएम बनाना चाहिए था। यहां कौन सा धामी को विधायकों ने चुना था, हाईकमान का फरमान आया था जिसे पढ़कर सुना भर दिया गया था।

धोखाधड़ी…सितारगंज : कनाडा भेजने के नाम पर किसान से 9.34 लाख की ठगी, पीड़ित ने एसएसपी से की मामले की शिकायत

अगर भगतदा के उत्तराखंड राजनीति में लौटने की खबर में दम है तो साफ हो गया है कि भाजपा प्रदेश की जनता के कुछ पर्देदारी कर रही थी। शिष्य धामी सीएम को बनाकर गुरू भगतदा का रास्ता साफ किया जा रहा था। यानी धामी एक रबर स्टैंप से ऊपर कुछ नहीं। हालांकि धामी के सीएम बनते ही भगत दा की उत्तराखंड में वापसी की यही चर्चाएं उठी थीं लेकिन आज एक समाचार पत्र ने इन चर्चाओं पर मोहर लगा दी। वैसे जब जब धामी किसी बड़े नेता से मिलने के लिए दिल्ली जाते थे तो उनकी सबसे पहली फोटो महाराष्ट्र भवन में भगतदा के साथ ही आती है।

यह भी पढ़ें 👉  नैनीताल न्यूज : भवाली-अल्मोड़ा हाईवे में नौवें दिन भी नहीं चले भारी वाहन

नशे का सौदागर…हल्द्वानी : बनभूलपुरा क्षेत्र में घर पर पुलिस का छापा, नशे के सैकड़ों इंजेक्शनों के साथ किरायेदार गिरफ्तार

इससे भी साफ है कि राज्यपाल जैसे गरिमावान पद पर रहते हुए भी भगतदा की उत्तराखंड की राजनीति में रूचि कम नहीं हुई। यानी राज्यपाल के किसी भी राजनीतिक दल के पक्ष अथवा विपक्ष में न होने का जो सपना संविधान निर्माताओं ने देखा था वह सिर्फ सपना ही था। वर्ना एक राज्यपाल का बार बार सीएम से मिलने का मतलब क्या है।

कोरोना अपडेट… देहरादून : आज उत्तरराखंड में सामने आए 20 नए केस, कोई मौत नहीं, उधमसिंह नगर, पौड़ी, टिहरी, पिथौरागढ़ व रूद्रप्रयाग में एक भी केस नहीं मिला


दूसरे संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की राजनीति में बने रहने की चाह उन पदों की गरिमा को भी कम करती है। उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य के इस्तीफा देते ही खबरें बनीं कि उन्हें यूपी चुनाव में भाजपा कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपने जा रही है। यानी अब मौर्य दोबारा से नेता गिरी करेंगी। सोचिए कैसा लगेगा पूर्व राज्यपाल चुनाव मैदान में। हालांकि ऐसा कोई कानून ही नहीं है जो उन्हें या भगत दा को ऐसा करने से रोक सके। लेकिन राजनैतिक ईमानदारी व पदों के गरिमा का ख्याल तो हमारे नेताओं व पार्टियों की हाईकमान को रखना ही होगा।

यह भी पढ़ें 👉  देहरादून में मकान में चल रही थी अवैध शराब पार्टी, 40 युवक व 17 युवतियां गिरफ्तार, ब्रांडेड व इंपोटेड शराब की बोतलों का जखीरा भी मिला

सौदागर…हल्द्वानी: पुलिस को तलाश है स्मैक तस्कर ‘गोल्डन’ की

वर्ना जब नेता पार्टी छोड़ कर संवैधानिक पद पर बैठता तो जनता उसे महामहिम जैसे अलंकारों से नवाजती है। उसका सम्मान करती है। लेकिन जब वही महामहिम अचानक राजनीति के उसी दल दल में जा घुसे जिसमें सब राजनीतिज्ञ सराबोर हैं तो संवैधानिक पदों का आम जनता की नजर में सम्मान गिरेगा ही। इन पदों की गरिमा को बचाने की बड़ी चुनौती राजनैतिक दलों के सामने है।

BREAKING UPDATE…हल्द्वानी: लालडांठ स्थित रूद्र होम्योपैथिक चिकित्सालय सील,भवन का नक्शा न होने के कारण जिला विकास प्राधिकरण ने जड़ा ताला

आपको स्मरण होगा कि कुछ समय पहले क्रिकेट के एक मैच में भारतीय गेंदबाज आर अश्विन ने विपक्षी टीम के एक रनिंग एंड पर खड़े बैट्स मैन को उस वक्त आउट कर दिया था जब गेंद फेंकने से पहले ही क्रीज छोड़ कर बाहर निकल गया था। इसे आउट तो दिया गया लेकिन खेल जगत में इसे खेल भावना से इतर माना गया। हालांकि लिखित में कोई नियम नहीं है कि गेंद फेंके जाने से पहले क्रीज छोड़ने वाले बैट्समेन के इस तरह आउट नहीं किया जा सकता लेकिन वहां पर खेल भावना और ईमानदारी की दुहाई दी गई। सोचिए कि वह तो खेल था यहां राजनीति कोई खेल नहीं है। फिर भी हमारी भावनाओं के साथ खेला जा रहा है।

यह भी पढ़ें 👉  ब्रेकिंग न्यूज : लारेंस बिश्नोई गैंग ने मांगी यूट्यूबर सौरव जोशी से दो करोड़ की फिरौती!, रकम न देने और पुलिस को बताने पर जान से मारने की धमकी

रहस्य बना कटना का मगरमच्छ…लालकुआं/सितारगंज : वन विभाग और पुलिस की टीम को नहीं मिला घटना से जुड़ा कोई भी साक्ष्य, आसपास के गांवों में कोई लापता भी नहीं

यदि पुष्कर को चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनाना ही नहीं था तो उन्हें सीएम बनाया ही क्यों और जब भगतदा को राजनीति में लाना ही था तो उन्हें राज्यपाल बनाया ही क्यों। उनपर तो वहां राज्यपाल रहते हुए भी पार्टी के एक नेता की तरह आचरण करने के आरोप लगते ही रहते हैं।
जो भी हो भगतदा से हमें कोई नफरत नहीं। हम उनका सम्मान करते हैं। लेकिन अब उत्तराखंड की जनता यह समझ नहीं पा रही है कि भगत दा का राज्यपाल वाला सम्मान करे या फिर एक राजनीतिज्ञ वाला। दोनों बिल्कुल अलग हैं और उससे भी बड़ी बात पुष्कर सिंह धामी के प्रति सम्मान व्यक्त करें या सहानुभूति। क्योंकि भगतदा राज्यपाल पद छोड़कर आएंगे और बिना मुख्यमंत्री पद लिए चुनाव के बाद अज्ञातवास में चले जाएंगे ऐसा संभव नहीं है।

आपको या आपके दोस्तों को हमारी खबर नहीं मिल पा रही है तो नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके हमारे व्हाट्सअप ग्रुप को ज्वाइन करें, अपने मित्रों को भी यह लिंक भेज सकते हैं। हर ताजी खबर आपके मोबाइल पर आएगी

https://chat.whatsapp.com/FRtyqY0WRlHKZxyPPM4AkI

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *