लालकुआं के युवक-युवती ने शिमला हाईकोर्ट के साथ कर दिया छल, मेरठ से गिरफ्तार कर ले गई हिमाचल पुलिस
हल्द्वानी। सोशल मीडिया पर लोगों से चैटिंग करके उन्हें ब्लैकमेल करने के आरोपी युवक युवती को हिमाचल की हाईकोर्ट से चालाकी करना भारी पड़ गया। हिमाचल पुलिस की टीम ने लालकुआं के रहने वाले इस युवक युवती के ठग जोड़े को मेरठ से गिरफ्तार करके सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। दरअसल उन्हें लोगों से वीडियो चैटिंग करके उनकी उनकी न्यूड वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने का आरोप लगा था। पुलिस से बचने के लिए वे हिमाचल की शिमला हाईकोर्ट पहुंचे और अग्रिम जमानत ले आए। लेकिन इसके बाद दोनों ने पुलिस की पूछताछ से बचने के लिए ऐसा कांड किया कि अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत तो रद्द की ही उनके गिरफ्तारी वारंट भी जारी कर दिए। वीरवार को हिमाचल की सोलन पुलिस ने उन्हें मेरठ से ढूंढ निकाला और सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।
मिली जानकारी के अनुसार हल्द्वानी के गोरापड़ाव के नजदीक फत्ताबंगर क्षेत्र के अर्जुनपुर गांव निवासी एक 22 वर्षीय युवती ने कुछ माह पहले हिमाचल पुलिस को एक ई मेल भेजकर सोलन जिले के एक व्यवसायी पर उसे नौकरी देने के बहाने नालागढ़ के एक होटल में बुलाकरा उसके साथ रेप करने का आरोप लगाया था। हालांकि युवती ने मेल में अपना पता गलत लिखा था फिर भी हिमाचल की बद्दी जिला पुलिस की साइबर टीम ने उसका ठिकाना ढूंढ निकाला। पुलिस युवती के घर जा पहुंची। बताया जा रहा है कि यह युवती राजीवनगर के बिंदुखत्ता निवासी 25 वर्षीय युवक सूरज चंदोला के साथ लीव इन में रहती थी। पुलिस ने उसे शिकायत के बारे में और अधिक जानकारी देने के लिए नालागढ़ ले गई थी। यहां युवती का मेडिकल परीक्षण भी कराया गया लेकिन रेप की पुष्टि नहीं हुई।
उधर इस मामले के आरोपी व्यवसायी ने युवती पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाते हुए पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी। पुलिस ने जांच आगे बढ़ाई तो उसे पता चला कि युवती वास्तव में व्यवसायी को ब्लैक मेल कर रही थी। इस साजिश में उसके साथ सूरज चंदोला भी शामिल था। पुलिस इससे पहले की दोनों को गिरफ्तार करती दोनों शिमला हाईकोर्ट जा पहुंचे और अग्रिम जमानत की अर्जी डाल दी। अदालत ने उनकी अर्जी स्वीकार करके उन्हें जमानत भी दे दी। लेकिन पुलिस को जांच में सहयोग करने का आदेश भी सुनाया।
युवक युवती नालागढ़ थाने की पुलिस के सामने एक दिन दोपहर तक पेश हुए और लेकिन दोपहर बाद उन्होंने पुलिस को सिविल हास्पिटल बद्दी का एक मेडिकल सर्टिफिकेट दिखा कर युवती की बीमारी का बहाना बना कर कुछ दिन की मोहलत मांगी। उन्होंने बाद में यही सर्टिफिकेट अदालत में भी पेश कर दिया।
कई दिनों तक उनके सहयोग न करने के कारण पुलिस की जांच अटकी रही तो पुलिस को दाल में कुछ काला नजर आया। पुलिस ने उनके द्वारा दिए गए मेडिकल सर्टिफिकेट की जांच करवाई तो पता चला कि प्रमाणपत्र फर्जी था। फिर क्या था पुलिस ने हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट जमा करवा दी। इस पर हाईकोर्ट शिमला ने उनकी अग्रिम जमानत जमानत रद्द कर दी। उनके गिरफ्तारी वारंट भी जारी कर दिए। लेकिन दोनों को इसकी भनाक लग गई और वे भूमिगत हो गए। पुलिस ने इस पर भी हिम्मत नहीं हारी और सर्विलांस के माध्यम से पता लगा लिया कि वे इस समय मेरठ में छिपे हुए हैं।
वीरवार की रात पुलिस दोनों को गिरफ्तार करके नालागढ़ थाने वापस लौटी। आज उन्हें नए मामले में अदालत के समाने पेश करके छह दिन की पुलिस रिमांड पर ले लिया गया। नालागढ़ थाना प्रभारी कुलदीप शर्मा ने बताया कि जांच के बाद मेडिकल सर्टिफिकेट के फर्जी मिलने पर पुलिस ने दोनों के खिलाफ एक फर्जीबाड़े का एक और मुकदमा दर्ज कर लिया। इसके बाद वे भूमिगत हो गए। पिछले दिनों पता चला कि वे मेरठ में ही भूमिगत हैं।
एसएसपी मोहित चावला के निर्देश पर पुलिस टीम ने मेरठ में छापामार कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया। इस बीच अदालत में भी सरकारी फर्जी दस्तावेज लगाने पर हाईकोर्ट ने उनकी पुराने मामले में अग्रिम जमानत भी खारिज कर दी है।