गोबिंदसागर झील में मोटरबोट चला रहे संचालक परेशान
सुमन डोगरा, बिलासपुर। गोबिंदसागर झील में दशकों से मोटरबोट चला रहे संचालकों के अलावा अन्य स्थानीय लोगों के हितों की प्रशासन द्वारा अनदेखी की गई है। एक ओर जहां गोबिंदसागर झील में प्रतिबंध के बावजूद भी वाटर स्पोर्ट्स गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। वहीं, दूसरी ओर गोबिंदसागर झील को विभिन्न गतिविधियों के लिए निजी कंपनी के हवाले कर दिया गया है। जोकि सही नहीं है।
शनिवार को सर्किट हाऊस बिलासपुर में आयोजित प्रेसवार्ता में टावर लाईन जागरूक शोषित मंच के अध्यक्ष एवं एडवोकेट रजनीश शर्मा ने कहा कि दशकों से झील में मोटरबोट चला रहे मोटरबोट संचालकों को रोजगार बढऩे की उम्मीद थी। लेकिन अब इनका रोजगार खत्म होने की नौबत आ गई है।
उन्होंने कहा कि 1962 में भाखड़ा बांध बनने के बाद 1963 से मोटरबोट चलना झील में शुरू हो गए थे। धीरे-धीरे गोबिंसागर झील में वाटर स्पोर्ट्स गतिविधियां भी बढऩे लगी। इससे स्थानीय लोगों को भी उम्मीद जगी कि इससे अब उनके लिए रोजगार के द्वार खुलेंगे।
जैसे ही गोबिंदसागर झील में मंडी भराड़ी से लुहणू तक की साईट विभिन्न गतिविधियों के लिए नोटिफाई हुई और लोगों की उम्मीद और बढ़ गई। लेकिन प्रशासन की ओर से इस झील में गतिविधियों के लिए निजी कंपनी को काम सौंप दिया गया।
उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा प्रक्रिया के तहत नियम बनाए गए कि कंपनी की 50 लाख की टर्नओवर होनी चाहिए। पंजीकृत कंपनी होनी चाहिए। साथ ही तीन साल का अनुभव होना चाहिए। लेकिन इसमें पाया गया कि जिस निजी कंपनी को यह कार्य सौंपा गया है, उसमें संबधित एक कंपनी को बने हुए महज 15 दिन ही हुए थे।
यह पूरा कार्य एक षडय़ंत्र के तहत किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ऐसी कोई भी साईट नहीं है जहां पर बाहरी फर्म या कंपनी को कार्य सौंपा गया है। स्थानीय लोग ही वहां पर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें यह भी जानकारी मिली है कि बिलासपुर के बाद कोलडैम में अब इस कंपनी को कार्य सौंपा जा रहा है। लेकिन वहां पर भी स्थानीय लोगों को ही रोजगार मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह की मनमानी सहन नहीं की जाएगी।
रजनीश शर्मा ने कहा कि 15 दिनों के भीतर प्रशासन की ओर से निजी कंपनी को दिया गया टैंडर यदि रदद नहीं किया तो स्थानीय लोगों के साथ मिलकर धरना प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रशासन को स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए प्रयास करने चाहिए। लेकिन यहां पर निजी कंपनी को टैंडर देने के बाद इन लोगों का रोजगार छिन जाएगा। जोकि न्यायसंगत नहीं है। इस दौरान मंच के सचिव अखिल शर्मा, सुरेंद्र पाल भी मौजूद रहे।