हिमाचल: आढ़तियों को अब यूनिवर्सल कार्टन में ही बेचना होगा सेब, मौसम ने डुबोया करोड़ो का फल कारोबार

शिमला। इस साल सेब सीजन के दौरान प्रदेश की सभी मंडियों में आढ़तियों को यूनिवर्सल कार्टन में ही सेब बेचना होगा। कृषि उपज विपणन बोर्ड ने इसको लेकर प्रदेश की सभी 10 कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) को सर्कुलर के माध्यम से निर्देश जारी कर दिए हैं। प्रदेश की मंडियों में टेलिस्कोपिक कार्टन में सेब बेचने पर पूरी तरह रोक रहेगी।

मंडी समितियों को मंडियों में काम करने वाले आढ़तियों को इन निर्देशों को लेकर जागरूक करने का जिम्मा सौंपा गया है। प्रदेश सरकार ने इस सीजन से सेब की पैकिंग के लिए अनिवार्य तौर पर यूनिवर्सल कार्टन इस्तेमाल करने के आदेश जारी किए हैं। मंडियों में वजन के हिसाब से यूनिवर्सल कार्टन में ही सेब बिकेगा। प्रदेश में पहली बार यह व्यवस्था लागू की जा रही है इसलिए कृषि उपज विपणन बोर्ड भी सरकार के आदेशों को प्रभावी तरीके से लागू करने में जुट गया है। मंडियों में अर्ली वैरायटी का सेब पहुंचना शुरू हो गया है। जुलाई से सीजन रफ्तार पकड़ना शुरू करेगा। मंडियों में खरीद-फरोख्त सिर्फ यूनिवर्सल कार्टन में ही हो इसके लिए कड़े निर्देश जारी किए गए हैं।

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एचपीएमसी एक हफ्ते में तय करेगा रेट
एचपीएमसी ने यूनिवर्सल कार्टन के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। आठ कंपनियों ने टेंडर के लिए आवेदन किया है। आवेदन करने वाली कंपनियों के आवेदनों की जांच शुरू कर दी गई है। एक हफ्ते के भीतर कंपनियों की ओर से तय किए गए यूनिवर्सल कार्टन के रेट जांचे जाएंगे। एचपीएमसी की ओर से निर्धारित मानकों के आधार पर न्यूनतम रेट देने वाली कंपनी को कार्टन उपलब्ध करवाने का जिम्मा सौंपा जाएगा। एचपीएमसी के महाप्रबंधक सन्नी शर्मा ने बताया कि एक हफ्ते के भीतर प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

इस साल सेब सीजन के दौरान प्रदेश की सभी एपीएमसी मंडियों में सेब कारोबार यूनिवर्सल कार्टन में ही होगा। इसको लेकर सभी एपीएमसी सचिवों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। टेलिस्कोपिक कार्टन में सेब कारोबार पर पूरी तरह रोक रहेगी। बागवानों से आग्रह है कि अपना उत्पाद यूनिवर्सल कार्टन में ही पैक कर मंडियों में लाएं
-हेमिस नेगी, प्रबंध निदेशक, राज्य कृषि विपणन बोर्ड

बागवानी के लिए प्रसिद्ध कुल्लू घाटी में मौसम की वजह से बागवानों को दोहरी मार पड़ी है। जिले के हजारों बागवानों को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। अप्रैल-मई में बारिश, ओलावृष्टि और अंधड़ से बागवानी को करीब पांच करोड़ का नुकसान आंका गया है। दो महीने में मौसम के कहर से सेब, नाशपाती और प्लम को ज्यादा नुकसान हुआ है। इसमें सबसे अधिक सेब की सफल को क्षति पहुंची है। बागवानी विभाग कुल्लू ने अप्रैल-मई में बारिश, अंधड़ और ओलावृष्टि से हुए नुकसान की रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है।

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जून में सूखे जैसे हालत होने से यह नुकसान कई गुना अधिक होने की आशंका है। विभाग इसकी रिपोर्ट भी तैयार करने में जुटा है। रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल में जिले में सेब के करीब 4,000 पेड़ क्षतिग्रस्त हुए हैं। इन दो महीनों में जिले के 4,475 बागवान प्रभावित हुए हैं। सबसे अधिक 2,718 सेब उत्पादक शामिल हैं। 1,093 प्लम और 664 नाशपाती उत्पादकों को भी नुकसान उठाना पड़ा है। मौसम से सेब की फसल को करीब 735 हेक्टेयर में नुकसान हुआ है।

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अप्रैल और मई में बारिश, अंधड़ और ओलावृष्टि से हुए नुकसान की रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेज दी है। इसमें सेब, प्लम और नाशपाती का करीब पांच करोड़ रुपये का नुकसान आंका गया है। सेब फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा है। अप्रैल में अंधड़ और ओलावृष्टि हाेने से सेब के 4,000 पेड़ों को भी नुकसान हुआ है। जून की रिपोर्ट तैयार की जा रही है
-बीएम चौहान, उपनिदेशक बागवानी विभाग, कुल्लू

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