उत्तराखंड…चुनाव: बस एक रात की अब कहानी है सारी…यही रात अंतिम-यही रात भारी
हल्द्वानी। आज की रात इस विधानसभा चुनावों की सबसे निर्णायक रात होगी। प्रत्याशी चाहेंगे की इस रात की सुबह न हो… ताकि वे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी बात पहुंचा सकें। सभी प्रत्याशियों के कैंपों में हर आंख पूरी रात जागेगी। मोहल्लों में रतजगे होंगे…पहरेदारी होगी।
कितने ही ऐसे दरवाजे आज प्रत्याशियों को याद आएंगे जहां चुनावी प्रचार की आपाधापी में वे माथा टेकना भूल गए होंगे। उन रूठे मतदाताओं को मनाने का व्यक्तिगत प्रयास होगा, अपने अपने गढ़ों को प्रतिद्वंद्वी से सुरक्षित रखने के लिए कार्यकर्ताओं की सेनाएं आज शाम से ही मोर्चा संभाल लेंगी। टेलीफोनों की घंटियां बजना आज पूरी रात बंद नहीं होंगी। कार्यकर्ता अपने समर्थकों से फोन कर उनके हालचाल पूरी रात लेते रहेंगे। ताकि कल सुबह होने पर जल्दी से जल्दी और ज्यादा से ज्यादा लोगों को मतदान केंद्र पहुंचाया जा सके।
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पोलिंग बूथों के बाहर बैठने वाली टोलियां मुंह अंधेरे ही अपने बस्ते लेकर डट जाएंगी। इन बस्तों को सजाया जाएगा। ताकि ज्यादा से ज्यादा भीड़ उनके बस्ते पर दिखाई पड़े और मतदाता प्रभावित हो सकें।
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यहीं वह अंतिम रात है जब माहौल देखकर मतदाता अपना निर्णय लेता है। माना जाता है कि कम से कम पांच से दस प्रतिशत मतदाता अंतिम रात में ही माहौल देखकर अपना निर्णय लेता है। इसलिए आज की रात मतदाता को प्रभावित करने के नए नए हथकंडे अपनाए जाते हैं।
दूसरी ओर चुनाव आयोग के अधिकारी किसी भी अमर्यादित कार्रवाई पर नजर रखने की कोशिश में आज रात रतजगा करेंगे। पोलिंग बूथों पर पहुंची टीमें आज रात बूथों की व्यवस्था बनाने में गुजारेंगे। ताकि सुबह जब मतदान शुरू हो तो बूथ पर किसी प्रकार की अव्यवस्था पैदा न हो।