हिमाचल के सभी सीपीएस को पदों से हटाने को आदेश, देखें क्या बोले सीपीएस
शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार पर सख्तहो गई है। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति बिपिन चंद्र नेगी की डबल बेंच ने मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को असंवैधानिक करार दिया है।
कोर्ट ने मुख्य संसदीय सचिवों को तत्काल प्रभाव से पद छोड़ने के आदेश जारी किए हैं। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने संसदीय सचिव एक्ट- 2006 को रद्द किया है।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की डबल बेंच ने कहा कि विधायकों को पब्लिक ऑफिस प्रयोग करने का अधिकार नहीं है। इस संबंध में भाजपा विधायक सतपाल सिंह सत्ती और 11 अन्य विधायकों ने मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती दी थी।
गौर हो कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने इन विधायकों की सदस्यता को लेकर किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं की है। ऐसे में यह सभी मुख्य संसदीय सचिव के पद को तो छोड़ेंगे, लेकिन विधानसभा के सदस्य बने रहेंगे।
हिमाचल प्रदेश सरकार के महाधिवक्ता अनूप कुमार रतन से मिली जानकारी के अनुसार उच्च न्यायालय ने मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को असंवैधानिक करार दिया है। उन्होंने कहा कि अब हिमाचल प्रदेश सरकार इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।
यह भी संभव है कि सभी मुख्य संसदीय सचिव भी व्यक्तिगत तौर पर सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती देंगे। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के इस फैसले का स्वागत किया है। हिमाचल प्रदेश सरकार में छह मुख्य संसदीय सचिव बनाए गए थे। इनमें कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, पालमपुर से आशीष बुटेल, बैजनाथ से किशोरी लाल, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, दून से राम कुमार और अर्की से संजय अवस्थी शामिल हैं।
उच्च न्यायालय के फैसले के बाद विधायक मोहन लाल बराग्टा ने कहा है कि उन्हें रोहड़ू क्षेत्र की जनता ने विधायक चुनकर विधानसभा में भेजा है। सीपीएस पद जाने से उन्हें काई फर्क नहीं पड़ता है। वे एक विधायक हैं और विधायक पद जनसेवा करने के लिए अपने आप में पर्याप्त है।
कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर भी एक साल 11 माह तक सीपीएस बने रहे। हालांकि वह उच्च न्यायालय की ओर से दिए गए फैसले के दौरान हिमाचल के बाहर दिल्ली में थे। उन्होंने कहा कि यह एक कानूनी प्रक्रिया है। उन्होंने अभी उच्च न्यायालय के आदेश को नहीं पढ़ा है। उन्होंने एक साल पूर्व ही प्रदेश सरकार की ओर से दी गई गाड़ी को वापस दे दिया है।
दून के विधायक रामकुमार चौधरी ने कहा कि वह कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं। वह विधायक रहते हुए भी उसी तरह से लोगों की सेवा में लगे रहेंगे और इससे ज्यादा लोगों की सेवा करेंगे।
पालमपुर के विधायक आशीष बुटेल ने कहा कि अभी बंगलूरू में अपने एक निजी कार्यक्रम में हैं। अभी तक हाईकोर्ट के फैसले की आई जजमेंट को भी सही से नहीं पढ़ा है। उन्हें इस बात का पता सोशल मीडिया से ही चला है। बंगलूरू से आने के बाद ही वह इसे देख पाएंगे।
सीपीएस को लेकर आए प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले के बाद विधायक किशोरी लाल ने कहा कि उन्हें पद की लालसा कभी नहीं रही। वह जनता के सेवक हैं और जनता ने उन्हें दूसरी बार विधानसभा में पहुंचाया है। वह लोगों की समस्याओं को हल करने और क्षेत्र के विकास के लिए सदैव प्रयासरत रहते हैं और मुख्यमंत्री के आशीर्वाद से विकास को और अधिक गति प्रदान की जाएगी।
अर्की के विधायक संजय अवस्थी ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्णय का सम्मान करता हूं। इस बारे में मुख्यमंत्री और शीर्ष नेतृत्व से बात कर आगामी रणनीति तैयार की जाएगी। वीरवार को रखे गए सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए हैं।