लालकुआं…ब्रेकिंग : वंशवाद के खिलाफ राजनीति और स्वयं परिवारवाद के शिकार मोहन सिंह—मधु चौबे ने छापा पाम्फलेट
लालकुआं। वंशवाद के खिलाफ हल्लाबोल कर सत्ता हथियाने वाली भाजपा के प्रत्याशी डा. मोहन सिंह बिष्ट पर ही अब वंशवाद फैलाने का आरोप लगा है। आरोप लगाने वाला कोई और नहीं कभी बिष्ट की ही पार्टी कीस्थानीय नेता रही मधु चौबे हैं। मधु ने कुछ दिन पहले ही भाजपा को छोड़ कर कांग्रेस ज्वाइन की है। उन्होंने डा. बिष्ट पर आरोपों का पूरा पॉम्फलेट ही छपा मारा है।
कुल्लू… नदी में गिरने से मासूम की मौत:मणिकरण के टिपरी के पास बच्ची का शव झील से बरामद हुआ
इस पत्रक में वे कहती हैं कि वर्ष 2009 में पूरी बरेली रोड की भाजपा ने सर्वसम्मति से इनके बड़े भाई इंदर बिष्ट का नाम जिला पंचायत प्रत्याशी के लिए तय किया था। पार्टी कार्यकर्ताओं से रायशुमारी के लिए आए वरिष्ठ पदाधिकारियों के सामने डॉ. मोहन सिंह बिष्ट ने झगड़ा —फसाद और गाली गलौज की और अपने भाई के का टिकट रद्द करवा दिया।
दूसरे आरोप में वे कहती हैं कि यह स्वयं यूसीडीएफ का अध्यक्ष बन कर 6 साल भाजपा सरकार में दर्जा मंत्री रहे। गाड़ी स्टाफ संपूर्ण सुविधाओं का उपभोग करते हुए इनके द्वारा जनहित में कितने कार्य किए गए यह तो आपको विदित ही होगा।
वे अगले आरोप में कहती हैं कि वर्ष 2014 जिला पंचायत की सीट महिला आरक्षित हो गई थी तो इन्होंने अपनी पत्नी की दावेदारी करवा दी। जबकि उनकी पत्नी पार्टी में 5 रूपये की सदस्य भी नहीं थीं। सर्वसम्मति से भाजपा द्वारा मधु चौबे को प्रत्याशी बनाया गया था, मेरे साथ भी इन्होंने भितरघात किया।
चौथे आरोप में वे कहती हैं कि वर्ष 2017 में वर्तमान विधायक नवीन दुम्का को टिकट मिला तो डा.बिष्ट ने अखबार में वक्तव्य देकर इसका खुलेआम विरोध किया।
5वें आरोप में वे कहती हैं कि इंदर सिंह बिष्ट की पत्नी ने ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ा तो यह अपने तीन वोटों को लेकर मतदान के दिन गायब हो गए।
हल्द्वानी…चुनाव : अपने सात वचन सुनाकर दर—दर वोट मांग रहे यूकेडी के रवि बाल्मीकि
6ठे आरोप में उन्होंने वर्ष 2019 के जिला पंचायत चुनाव में डॉ. मोहन सिंह के बड़े भाई इंदर बिष्ट को पार्टी का प्रत्याशी बनाया तो यह अपने ही बड़े भाई के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़े। जिस कारण पार्टी द्वारा इन्हें 6 साल के लिए बेदखल कर दिया। यह भाजपा में शामिल हुए और टिकट वितरण से 1 दिन पहले एक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में प्रचार कर रहे थे। निश्चित रूप से यदि भाजपा का टिकट किसको मिला होता तो मोहन सिंह बिष्ट हर हालत में निर्दलीय चुनाव लड़ रहे होते। साफ है कि उनकी पार्टी से निष्ठा की बातें झूठ हैं।
मधु चौबे ने आगे लिखा है कि डॉ. मोहन सिंह बिष्ट द्वारा अपने इस राजनीतिक सफर में कोई भी एक विकास का कार्य, कोई भी एक संघर्ष अथवा किसी भी जनहित के मुद्दे पर अपना कोई ज्ञापन सीएम या डीएम या क्षेत्रीय विधायक को दिया हो तो जनता को गिनाते।
बागेश्वर: अपनी ही गाड़ी फंसी कीचड़ भरी सड़क में, तो बोले कांग्रेसी— नोटा को वोट देना
हल्द्वानी…प्रचार : सुमित ने झोंकी ताकत, सुबह व्यापारियों से मिले, पूर्वाहन पहुंचे वार्ड 7 व 10 और शाम को वार्ड 8 पहुंचे
हल्द्वानी…कहिए नेता जी—2 : नगर निगम के लिए घोषित 2 हजार करोड़ को विधायक बनकर अकेले हल्द्वानी में कैसे लगा सकते हैं रौतेला जी का