महिला अधिवक्ता की मौत @ रामपुर बुशहर: एमजीएमसी खनेरी के चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप, बार ने हिमाचल के चीफ जस्टिस को भेजा ज्ञापन, डाक्टरों पर मुकदमा दर्ज

रामपुर बुशहर। ननखरी के खून्नी गांव की रहने वाली महिला अधिवक्ता को दो दिन तक एमजीएमसी चिकित्सालय खनेरी में रखने और फिर अचानक आईजीएमसी रेफर करने के कारण उसकी रास्ते में हुई मौत की घटना से वकीलों में उबाल आ गया है। रामपुर बुशहर बार एसोसिएशन ने खनेरी के एमजीएमसी चिकित्सालय के चिकित्सकों पर मरीज के इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए न सिर्फ चीफ जस्टिस को ज्ञापन भेजा है बल्कि सडीएम और रामपुर पुलिस को भी ज्ञापन की प्रतियां सौंपकर चिकित्सकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आग्रह किया है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है।


आज हुई बार एसोसिएशन की बैठक में यह मामला जोर शोर से उठा। बताया गया कि ननखरी के खून्नी गांव की रहने वाली महिला अधिवक्ता 37 वर्षीय मेनका श्याम के पेट में दर्द होने के कारण उन्हें 22 अगस्त को चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। जहां रात को चिकित्सकों ने उसका अल्ट्रा साउंड किया जिसकी रिपोर्ट देखने के बाद चिकित्सक ने परिजनों को बताया कि मरीज के अंदर एक आंत फट गई है जिससे गंदगी बाहर निकल रही है। यह विषैला होगा इसलिए आपरेशन करना जरूरी लग रहा है। चिकित्सक ने एक सिटी स्कैन कराने की और सलाह दी। अल सुबह तीन बजे के लगभग सिटी स्कैन की रिपोर्ट भी आ गई। इसके बाद चिकित्सक ने सुबह नौ बजे आपरेशन करने की तैयारी करने के लिए कहा।

एसडीएम को ज्ञापन सौंपते अधिवक्ता


बैठक में बताया गया कि सुबह नौ बजे जब आपरेशन शुरू नहीं हो पाया और मेनका श्याम दर्द से तड़पने लगी तो परिजनों ने चिकित्सक से आपरेशन शुरू न होने का कारण पूछा। इस पर उन्हें बताया गया कि ऐनेस्थिसिया चिकित्सक कोर्ट में पेशी पर गए हैं उनके आने के बाद ही आपरेशन शुरू हो सकेगा। लेकिन जब काफी देर तक आपरेशन शुरू नहीं हो सका तो मरीज के परिजनों ने किसी वकील को फेान करके कोर्ट में गए एनेस्थिसिया विशेषज्ञ को कोर्ट से आग्रह करके जल्दी फ्री करने के लिए कहा तो पड़ताल की गई की ऐसी कोई पेशी 23 तारीख के थी ही नहीं।

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इसके बाद फोन पर उन्हें तलाशा गया शाम को उनसे संपर्क हुआ तो उन्होंने लौटने की बात बताई लेकिन जब देर रात तक वे नहीं आए तो चिकित्सक ने मरीज को आईजीएमसी शिमला के लिए रेफर कर दिया। लेकिन दुर्भाग्यवश चिकित्सालय पहुंचने से पहले ही एक होनहार वकील ने दम तेड़ दिया। आईजीएमसी के चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

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वकीलों का कहना था कि जब ऐनेस्थिसिया विशेषज्ञ चिकित्सालय में आना ही नहीं था तो मरीज को वहां रखना गलत था। दिन में ही यदि मेनका श्याम को रेफर कर दिया जाता तो उन्हे ंसही समय पर आईजीएमसी में पहुंचा कर उनकी जान बचाई जा सकती थी।
अधिवक्ताओं ने बैठक में एमजीएमसी खनेरी के चिकित्सकों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी लापरवाही की वजह से एक दस साल की बच्ची से उसकी मां छिन गई। इसके बाद अधिवक्ताओं ने एक ज्ञापन तैयार करके उसकी प्रतियां चीफ जस्टिस से लेकर कोतवाली रामपुर तक को भेजी। एसडीएम को भी उन्होंने ज्ञापन सोंपा। उधर हमने इस मामले में डीएसपी चंद्रशेखर से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।

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दूसरी ओर देर रात अधिवक्ता हरेंद्र शर्मा ने फेसबुक पर पोस्ट डाली कि अधिवक्ता मेनका श्याम के उपचार में लापरवाही और सर्जरी में देरी करने के आरोप में एमजीएमसी खनेरी के चिकित्सकों के खिलाफ 304ए और 34 अईपीसी की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

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