टीका…तो क्या कांग्रेस के आंनद रावत ने परंपरागत राजनीति के खिलाफ फूंक दिया है बिगुल

देहरादून। कांग्रेस में अंतर कलह और अंतरद्धंद दोनों समानांतर रूप से कार्यकर्ताओं और नेताओं की नींद उड़ा रहे है। कांग्रेस के शुभचिंतकों के लिए बुरी खबर है लेकिन नई राजनीति के लिए इसे उम्मीद की एक किरण भी कहा जा सकता है।

यूथ कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सीएम हरीश रावत के बड़े बेटे आनंद सिंह रावत की सोशल मीडिया पर डली गई पोस्ट से साफ हो गया है कि पुरानी राजनीति को कांग्रेस की नई पीढ़ी भी स्वीकार नहीं कर पा रही है। उन्हें लगता है कि कांग्रेस के उच्च पदों पर बैठे बड़े नेताओं ने जनहित के मुद्दों को हासिये पर रखकर लोक लुभावन मुद्दों पर ज्यादा ध्यान दिया।

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जबकि आवश्यकता आम आदमी के सवालों की है। उन्होंने लिखा है उत्तराखंड के आईटीआई, पॉलीटेक्नीक, इंजीनियरिंग के छात्रों की दक्षता पूरे विश्व में उत्तराखंड का झंडा गाढ़ सकती है। लेकिन यह मुमकिन कैसे हो पाएगा ? हमारे नेताओं को तो बुनियादी सवालों के बजाए अपने समर्थकों को जन्मदिन की शुभकामनाएं और शोक संदेश वाले संदेश पोस्ट करने से फुर्सत नहीं है।

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आनंद रावत ने शनिवार को सोशल मीडिया पर यह सवाल उठाया। आनंद ने प्रमुख नेताओं के साथ ही अपने पिता पर भी निशाना साधा है। बकौल आनंद, मेरे पिताजी भी मेरे चिन्तन व विचारों से परेशान रहते हैं। शायद उन्होंने हमेशा मेरी बातें एक नेता की दृष्टि से सुनीं और मुझे येड़ा समझा।
आनंद ने लिखा कि राज्य में सबसे ज्यादा आईटीआई, पॉलीटेक्निक खोले गए हैं।

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हर साल 20 हजार तकनीकी रूप से दक्ष युवा तैयार हो रहे हैं। लेकिन राज्य के युवाओं को उनकी क्षमता के अनुसार वेतन नहीं मिलता। सिडकुल में 10 से 12 हजार रुपये तक ही वेतन मिलता है। जबकि केरल में यह दोगुने के करीब है। विदेशों में जाकर युवा लाखों रुपये कमाते हैं।


दूसरे प्रदेशों में सरकारें तकनीकी रूप से दक्ष युवाओं पर ध्यान देती हैं। पर हमारे यहां ऐसा नहीं है। अपने पिता के साथ ही राज्य के कई नेताओं के नाम लिखते हुए आनंद ने कहा कि इनकी फेसबुक पोस्ट पर राज्य के चिंतन पर कभी कुछ नहीं मिलता। मालूम हो कि आनंद पिछले काफी समय से युवाओं को सेना में भर्ती की तैयारी करवा रहे हैं। युवाओं के रोजगार को लेकर अपनी चिंता वो अक्सर जाहिर करते रहे हैं।
क्या बोले पिता हरीश रावत
पूर्व सीएम हरीश रावत रावत ने भी अपने बेटे की पोस्ट को शेयर किया। साथ ही लिखा कि, बेटा तुम्हारा पिता भी वक्त का मारा हुआ है। प्रदेश के प्रतिष्ठित सियासी खानदान की दो पीढ़ियों के बीच टीका टिप्पणी। उन सभी नेताओं के लिए एक नजीर होनी चाहिए जिन्हें धर्म, संप्रदाय, लोक लुभावन घोषणाएं और झूठ के बल परकुर्सी हथियाने के सिवाए कोई दूसरा स्वप्न नहीं आता।

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