उत्तराखंड…कौन बनेगा सीएम : भाजपा में अटकलों के दौर हुआ शुरू, ये नाम उछल रहे हवा में
देहरादून/हल्द्वानी। विधानसभा चुनावों में प्रचंड जीत दर्ज करने के बाद भाजपा में अब इस बात को लेकर मंथन शुरू हो गया है कि प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री किसे बनाया जाए। दरअसल जिस चेहरे को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाकर भाजपा चुनाव मैदान में उतरी थी वह स्वयं हार चुका है। उत्तराखंड में भाजपा के साथ यह पहली बार नहीं हो रहा है। इससे पहले मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी के साथ भी यही हुआ था।
लेकिन तब भाजपा के पास सरकार बनाने के लिए आवश्यक विधायकों की संख्या पूरी नहीं हो सकी थी। लेकिन इस बार बात कुछ अलग है। भले ही पार्टी का सीएम पद का दावेदार चुनाव हार चुका है लेकिन उसके पास विधायकों की पूरी टीम है। ऐसे में अब सवाल महत्वपूर्ण हो उठा है कि भाजपा हाईकमान सीएम पद की जिम्मेदारी किसे सौपेगी। फिलहाल कुछ नाम हवा में उछाले जा रहे हैं।
इनमें एक नाम मसूरी से चुनाव जीतकर सदन में पहुंचे गणेश जोशी का भी है। आक्रामक राजनीति के लिए चर्चित रहे गणेश जोशी धामी कैबिनेट में शामिल थे। देहरादून में सैन्यधाम बनाने का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है।
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दूसरा नाम है पूर्व सीएम डा. रमेश पोखरियाल निशंक का। ये कुशल राजनीतिज्ञ है और जोड़तोड़ की राजनीति में इन्हें महारथ हासिल है। अपने मुख्यमंत्री काल में कुछ विवादों की वजह से चर्चा में रहे हैं। हाल ही में भाजपा के वरिष्ठ नेता और जोड़तोड़ के माहिर कैलाश विजयवर्गीय ने उत्तराखंड आकर निशंक से भेंट की तो निशंक के सीएम बनने की संभावना पर चर्चा शुरू हो गई। अब जब धामी चुनाव हार गए हैं तब भी निशंक का नाम तेजी से उभर कर सामने आया है।
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तीसरा नाम अनिल बलूनी का। यह नाम भी हमेशा चर्चाओं में रहता है। पिछली बार जब त्रिवेंद्र को हटाया गया था तब भी अनिल का नाम सामने आया था लेकिन हाईकमान ने तीरथ सिंह रावत के नाम पर मोहर लगा दी। तीरथ के बाद धामी को यह पद सौंपा गया, लेकिन अब एक बार फिर अनिल बलूनी की दावेदारी प्रमुख हो गई है।
चौथा नाम है सतपाल महाराज का। पिछले पांच साल से तीनों मुख्यमंत्रियों की कैबिनेट में वरिष्ठ मंत्री रहे हैं। लेकिन कांग्रेसी बैक ग्राउंड से होने के कारण उनकी दावेदारी हर बार कमजोर पड़ जाती है।
यह भी संभव है कि पुष्कर सिंह धामी को सीएम पद की शपथ दिलवाने के बाद उपचुनाव में उन्हें फिर से मैदान में उतारा जाए। इस कोण पर भी चर्चाएं चल रही हैं।
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आने वाले समय में भाजपा के भीतर से कुछ और नाम सामने आ सकते हैं। लेकिन तब तक इंतजार ही करना होगा।