बिलासपुर/सोलन : 42वें दिन में पहुंच अली खड्ड पानी बचाओ का संघर्ष, 10 को होगी किसान महापंचायत
सुमन डोगरा, बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश)। अली खंड बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक रजनीश शर्मा ने कहा है कि अगली महापंचायत का आयोजन 10 मार्च को किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पहले यह महापंचायत 3 मार्च को प्रस्तावित थी लेकिन भारी तूफान और वर्षा के चलते इसे स्थगित कर दिया गया था ।
उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में मंगलवार को तमाम पंचायत के प्रधानों तथा अन्य बुद्धिजीवियों के साथ बैठक करके यह निर्णय लिया गया है कि अब इस महापंचायत का आयोजन 10 मार्च को किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सभी प्रभावित पंचायत के जन प्रतिनिधियों तथा समस्त जनता से भारी संख्या में उपस्थित रहकर अंबुजा कंपनी के इशारे पर बनाई जा रही परियोजना का विरोध करने व सरकार को जगाने के लिए इस किसान महापंचायत को सफल बनाने के लिए आग्रह किया गया है।
उन्होंने कहा कि बैठक में शिकरोहा पंचायत प्रधान भूप चंद, छकोह पंचायत प्रधान लता चंदेल, पंजैल पंचायत प्रधान ममता धीमान, सोलधा पंचायत प्रधान सुषमा शर्मा, जगदीश ठाकुर प्रधान जुखाला पंचायत, देश राज उप प्रधान घयाल पंचायत, की मौजूदगी में बैठक में निर्णय लिया गया कि सरकार द्वारा इस विषय पर की जा रही देरी की वजह से क्षेत्र की जनता में भारी आक्रोश है।
जिसके चलते अपनी मांगों को मनवाने के लिए “तीसरी किसान महापंचायत” का आयोजन 10 मार्च रविवार को सुबह 11 बजे अलीखड्ड त्रिवेणी घाट अनशन स्थल पर रखा गया है।
जिसमें सभी विचारधाराओं के लोगों, पर्यावरणविद् ,सामाजिक कार्यकर्ताओं, सामाजिक संगठनों महिला मंडलों, युवक मंडलों, राम नाटक समितियों के जागरूक लोगों व प्रबुद्ध जनता को आमंत्रित किया गया है। सभी जनप्रतिनिधियों ने अन्य जनप्रतिनिधियों से भी निवेदन किया है कि किसान महापंचायत को सफल बनाने के लिए भारी से भारी संख्या में पहुंचाने हेतु अपने क्षेत्र और गांव के लोगों को जागरूक करें।
बैठक में कर्म चंद, सुरेंद्र ठाकुर, कुलदीप ठाकुर मान सिंह, अच्छर सिंह, जय प्रकाश, राजेश ठाकुर, रत्न लाल महाजन, श्याम लाल, पवन कुमार, सोनू ठाकुर, इत्यादि उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि अली खड्ड बचाओ संघर्ष समिति व संयोजक समिति द्वारा आंदोलनरत 42 दिन हो गए हैं और आज भूख हड़ताल को 26 दिन हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि संयोजक समिति व सभी प्रभावित पंचायतो के जनप्रतिनिधियों और प्रभावित लोग सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन करने की रणनीति बनाएंगे जिसमें सचिवालय और नेताओं के घिराव से लेकर आमरण अनशन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
क्षेत्र के ग्रामीणों ने और जनप्रतिनिधियों ने पहले ही स्पष्ट किया है कि किसी भी सूरत में पानी उठाने नहीं दिया जाएगा चाहे अंजाम कोई भी हो।