हल्द्वानी का बड़ा सवाल…तो क्या इस बार भी मानसून में गौला पुल से खतरे से खाली नहीं होगा सफर
हल्द्वानी ।गौला नदी पर बने पुल की बुनियाद की सुरक्षा और रिवर ड्रेजिंग संबंधित काम अब मानसून से पहले होना मुश्किल ही लग रहा है। यानी इस मानसून में भी गौला पुल पर आवागमन खतरे से खाली नहीं रहेगा।
दरअसल इस कार्य के लिए टेंडर डालने वाली दो कंपनियों के दस्तावेज पूरे नहीं होने के कारण टेंडर प्रक्रिया निरस्त कर दी गई है। नियमानुसार एनएचएआई अब इस काम के लिए दोबारा टेंडर आमंत्रित करेगा। आदर्श आचार संहिता के चलते इसके लिए चुनाव आयोग से अनुमति मांगी जा रही है। नवंबर 2021 में पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बरसात होने के कारण गौला नदी उफान पर आ गई थी। इस दौरान गौला का उफनता पानी हल्द्वानी शहर से गौलापार को जोड़ने वाले पुल की एप्रोच लाइन को भी बहा ले गया था।
इस कारण पुल को भी खतरा हो गया था। एनएचएआई ने एप्रोच रोड की मरम्मत कर पुल को सुचारु कराया। साथ ही आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों को पुल का निरीक्षण करने के लिए बुलाया गया था। विशेषज्ञों ने पुल को खतरा बताया था और पुल के आसपास के क्षेत्र से खनन बंद कराने का सुझाव दिया था। जिला प्रशासन से प्रस्ताव का जवाब नहीं मिलने पर आईआईटी रुड़की ने पुल को बचाने के लिए दूसरी योजना बनाई।
इस पर करीब 24 करोड़ रुपये का खर्च होना है। एनएचएआई की प्रोजेक्ट इंजीनियर मीनू ने बताया कि मानसून से पहले पुल के नींव को बचाने के लिए स्ट्रक्चर बनाया जाना था।
साथ ही रिवर ड्रेजिंग का भी काम किया जाना था। अप्रैल में इसके लिए टेंडर आमंत्रित किए गए थे। ये टेंडर 30 अप्रैल को खोले गए। इसमें दो ही कंपनियों ने टेंडर डाले थे, मगर दोनों कंपनियों के जरूरी दस्तावेज पूरे नहीं पाए गए। इस कारण टेंडर प्रक्रिया निरस्त करनी पड़ी। उन्होंने बताया कि अब दोबारा से टेंडर आमंत्रित किया जाएगा। इसके लिए चुनाव आयोग से अनुमति मांगी जा रही है। -आरएनएस