हल्द्वानी : यूओयू में पत्रकारिता विभाग के तत्वावधान में वेब संगोष्ठी, वर्तमान समय पत्रकारों के लिए चुनौती भरा- प्रो. गोविन्द सिंह

हल्द्वानी। हिन्दी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग के तत्वावधान में “कोरोना-महामारी व पत्रकारिता” पर वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें बोलते हुए मुख्य वक्ता प्रो. गोविन्द सिंह ने कहा कि वर्तमान समय पत्रकारों के लिए चुनौती भरा हुआ है, हमें इन हालातों से लड़ते हुए सकारात्मकता की ओर जाना है। कुलपति प्रो. ओपीएस नेगी ने कहा कि समाज को मीडिया से काफी उम्मीदें है, उसे समाज को सही दिशा देना है।

संगोष्ठी में आइआइएमसी दिल्ली के प्रोफेसर गोविन्द सिंह ने कहा कि महामारी के इस दौर में जो संकट पैदा हुआ है उसके लिए केवल सरकार व राजनेता ही दोषी नहीं है बल्कि पत्रकारिता व हमारी व्यवस्था भी दोषी है। क्योंकि सभी ने इस संकट को रोकने के लिए कोई प्रयास नही किये बल्कि सरकार के निर्णय को ही आगे बढ़ाने में लग गये। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से देश में बहुत बड़ी संख्या में पत्रकार जान गवां चुके है और अभी भी उन पर संकट बरकरार है। देश में पत्रकारों के हितों के लिए एक नीति नहीं बन पायी जिस कारण पत्रकारों को संकट का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन फिर भी हमें सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. ओपीएस नेगी ने कहा कि समाज को मीडिया से काफी उम्मीदें है, उसे समाज को सही दिशा देना है। उन्होंने कहा कि हमें इस पर कार्य करना चाहिए कि महामारी के इस दौर में शैक्षिक रूप से कैसे आगे बढ़ा जा सकता हैं।

कार्यक्रम में वक्ता हिमालय हुंकार पत्रिका देहरादून के सम्पादक वरिष्ठ पत्रकार रणजीत सिंह ज्याला ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता का एक लम्बा इतिहास है और यह हमेशा चुनौती भरा रहा है। वर्तमान दौर में यह संकट और अधिक गहरा गया है। हमें इससे लड़ाई लड़ने के लिए सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना है। उन्होंने अपने लम्बे पत्रकारिता काल के अनुभवों को भी साझा किया। जबकि युवा पत्रकार शैलेन्द्र नेगी ने संगोष्ठी में वेबाकी से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि आजकल पत्रकारों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती जिन्दगी बचाने की है। इस महामारी में कई पत्रकारों पर केस भी दर्ज हुए है कई जेल भेजे गये, फिर भी पत्रकार मोर्चे पर डटे हुए है। सिस्टम में खामियां है, लेकिन उसके लिए कोई एक दोषी नहीं है।

संगोष्ठी में यूओयू के पत्रकारिता के निदेशक प्रो. एचपी शुक्ला ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता का इतिहास बहुत गौरवशाली रहा है, लेकिन वर्तमान में इसमें काफी गिरावट आ रही है। गैर जरूरी मुद्दों को ज्यादा महत्व मिल रहा है, जिससे लोगों में अच्छा प्रभाव नहीं पड़ रहा है। संगोष्ठी में पत्रकारिता के एसोसिएट प्रोफेसर डा. राकेश रयाल ने हिन्दी पत्रकारिता की रूपरेखा प्रस्तुत की और अनेक जानकारियां दी। जबकि एसिस्टेंट प्रोफेसर भूपेन सिंह ने पत्रकारिता के तमाम उतार-चढ़ाव पर बात की। संगोष्ठी का संचालन करते हुए कार्यक्रम के समन्यवयक राजेन्द्र सिंह क्वीरा ने हिन्दी पत्रकारिता पर चर्चा की और कहा कि कोरोना काल में मीडिया सेतु के रूप में अपनी भूमिका निभा रहा है। संगोष्ठी में तमाम पत्रकार व पत्रकारिता के विद्यार्थियों ने भागीदारी की।

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