ब्रेकिंग उत्तराखंड : नरभक्षी को मारने वाले शिकारी जॉय हुकिल बोले- जिंदगी का क्लोजेस्ट एनकाउंटर रहा 41वां शिकार, पढ़ें पूरी कहानी
तेजपाल नेगी
हल्द्वानी। पौड़ी के चौबट्टाखाल विकास खंड के डाबरा गांव में महिला की हत्या के कुछ घंटों के भीतर नरभक्षी मादा गुलदार को ढेर कर देने की खबर ने क्षेत्रवासियों को भले ही राहत दी हो। लेकिन नरभक्षी से इतनी नजदीकी मुठभेड़ की याद करके अनुभवी शिकारी जॉय हुकिल और उनके साथियों के बदन पर आज भी सिंहरन सी दौड़ रही है। जॉय स्वयं बताते हैं कि उन्होंने कई गुलदारों को नजदीक से शिकार किया है लेकिन उनकी जिंदगी की की यह सबसे नजदीकी मुठभेड़ रही।
पांच मीटर की दूरी थी शिकारियों से नरभक्षी गुलदार की
नरभक्षी के रूप में मौत उनसे तकरीबन पांच मीटर की दूरी पर खड़ी थी। क्षण भर में एक छलांग मारकर वह उनका काम तमाम कर सकती थी, उसने ऐसा करने की तैयारी भी कर ली थी। उसने अपना जबड़ा खोला औंर जैसे ही छलांग लगाने लगी….धाएं….। और सभी ओर एक पल को सन्नाटा पसर गया। नरभक्षी गुलदार जमीन पर पड़ी छटपटा रही थी। गोली उसके खुले हुए मुंह के अंदर जा घुसी थी।लगभग साढ़े सात फीट लंबी मादा गुलदार का शरीर कुछ ही पलों में शांत हो गया। वह मारी जाचुकी थी। जॉय की बंदूक से निकली एक गोली ने ही डाबरा व उसके आसपास के गांवों में दहशत मचाने वाली इस नरभक्षी को मार गिराया था। फिर क्या था ग्रामीणों में यह खबर जंगल में लगी आग की तरह फैल गई। मिनटों में मौके पर दर्जनों लोगों की भीड़ आ जुटी। इस तरह यह गुलदार शिकारी जॉय हुकिल का 41 वां शिकार बनी। जॉय के सहयोगी अजहर खान अपने गुरू की निशानेबाजी को देखकर मोहित से हो गए थे। यह सही है कि जॉय की बंदूक यदि एक पल भी आग उगलने में देरी करता तो इस मुठभेड़ का जो परिणाम कल देखा वह न होता।
पिछले पैर पर था जख्म, चलने में रही होगी दिक्कत
जॉय ने बताया कि गुलदार नरभक्षी क्यों बन गयी यह तो उसके शव के पोस्टमार्टम के बाद ही पता चल सकेगा लेकिन फौरी तौर पर उसके निर्जीव शरीर की जांच में उन्हें उसके पिछले पैर पर एक जख्म दिखाई पड़ा। हो सकता है कि इस जख्म के कारण उसे चलने फिरने में दिक्कत हो रही हो और वह पेट भरने के लिए आसान शिकार करने लगी हो। इसके अलावा उसक पेट के निचले हिस्से में भी एक घाव दिखा है लेकिन वह ज्यादा गंभीर नहीं दिख रहा है। उन्होंने बताया कि यह सारा घटनाक्रम कुछ ही मिनटों में अंधेरे के बीच घटा असलिए वे देख नहीं सके कि चलत समय वह लड़खड़ा रही थी या नहीं।
गुलदार की मौत ही खींच लाई शिकारी को
दरअसल कल सुबह लगभग दस बजे गुलदार ने खेत में काम कर रही एक महिला पर हमला करके उसे मार डाला। इसके बाद दोपहर तक हुई प्रकिया के बाद उन्हें तुरंत मौके पर आने के लिए कहा गया। वे भी तुरंत ही अपने सहयोगी अजहर खान को लेकर डाबरा के लिए रवाना हो गए। पौने सात बजे के करीब वे गांव में पहुंचे वन विभाग की टीम वहां पहले से ही मौजूद थी। उन्हें मौके का निरीक्षण कराया गया। इसके बाद वे लोग घटना स्थल के पास ही जमीन पर घात लगा कर बैठ गए।
पहले दिखीं गुलदार की आखें, फिर आई सामने
जॉय हुकिल बताते हैं कि शाम आठ बजकर पांच मिनट के आसपास उन्हें अंधेरे में दो आंखें दिखाई पड़ीं। उन्होंने टार्च निकाल की झडियों में देखना चाहा इतने में साढ़े सात फीट लंबी गुलदार ठीक उनके सामने नंबूदार हो गई। वे बताते हैं कि गुलदार उनसे मात्र पांच मीटर की दूरी पर होगी। उसने शिकारी दल पर हमला करने के लिए अपने पैर जमीन से जमाए… और अपना मुंह खोल दिया…बस तब ही जॉय ने गोली दाग दी… निशाना सही लगा और गोली उसके खुले हुए जबड़े को चीरते हुए निकल गई।
महिला की साड़ी के खून से सने टुकड़े को सूंघते हुए फिर लौटी थी
सुबह गुलदार ने जिस महिला की हत्या की थी उसकी साड़ी का एक खून से सना टुकड़ा वहीं पर पड़ा था, जॉय ने बताया कि जब वे मौके पर पहुंचे तो कपड़े का वह टुकड़ा किसी और स्थान पर था, लेकिन गुलदार ने कपड़े के उस टुकड़ों को अपने मुंह से पकड़ कर काफी दूर पहुंचा दिया था।