नालागढ़ स्पेशल : यह इंडस्ट्री बांट रही लोगों में कैंसर, रसायन युक्त पानी सार्वजनिक नालों में छोड़कर भूमिगत जल को कर दिया विषैला, एक दर्जन लोगों की अब तक जा चुकी है जान

नालागढ़। देश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में औद्योगिकरण हुआ और इसका फायदा बाहरी राज्यों से आने वाले उद्योगपति ही उठा रहे हैं। स्थानीय लोगों के हिस्से आई कैंसर जैसी जान लेवा बीमारी। उद्योगों के लिए अपनी जमीन बेचकर लखपति करोड़ पति बने स्थानीय लोग अब अपनी लाइलाज बीमारियों में इस पैसे को खर्च कर रहे हैं।


इसका एक उदाहरण सामने आया है नालागढ़ के भाटिया पंचायत में। भाटिया पंचायत में एक सारा टेक्सटाइल नामक धागा उद्योग स्थापित है। फैक्ट्री से सरेआम एक नाले में केमिकल युक्त जहरीला पानी छोड़ा जा रहा है। जिसके चलते पूरी पंचायत में अब कैंसर जैसी घातक बीमारी फैल चुकी है। ग्रामीणों की माने तो कैंसर की बीमारी के कारण अब तक 1 दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और आधा दर्जन के करीब अभी भी लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि फैक्ट्री प्रबंधन द्वारा केमिकल युक्त जहरीला पानी नाले में सरेआम छोड़ा जा रहा है, जिसके कारण क्षेत्र का भूमिगत जल भी विषैला हो चुका है। इस जहरीले पानी को पीकर लोग कैंसर जैसी बीमारियों की चपेट में आने के कारण अब मरने शुरू हो चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस बारे में पहले भी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड बद्दी एवं कई अधिकारियों को कई बार लिखित शिकायतें दीं विभाग द्वारा मामले में कार्रवाई की लीपापोती करने के बाद फॉर्मेलिटी तो दिखाई गई लेकिन कंपनी के खिलाफ आज तक कोई भी कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई। हालांकि प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने दिखावे के लिए कई बार बिजली काटी और उसके बाद फिर दोबारा बिजली के कनेक्शन जोड़ दिए गए।


ग्रामीणों का कहना है कि लोगों ने जमीनें बचेकर जो पैसे अर्जित किए वह अब उनकी बीमारियों के इलाज पर खर्च हो रहा है।
अब लोग कैंसर जैसी बीमारी से मरने भी शुरू हो चुके हैं ग्रामीणों का कहना है कि बड़े-बड़े उद्योगपति इन उद्योगों से मुनाफा कमा रहे हैं लेकिन स्थानीय लोगों के लिए अब यहां जीना काफी मुश्किल हो चुका है।
अब ग्रामीणों ने एक बार फिर सारा टेक्सटाइल नामक धागा उद्योग के खिलाफ डीसी सोलन, एनजीटी, को एक शिकायत भेजी है और उस के माध्यम से कंपनी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग उठाई गई है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर फिर भी उद्योग के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई तो वह शिमला हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

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इस बारे में जब हमने सारा टेक्सटाइल के एचआर प्रबंधक राजेश ठाकुर से बात की तो उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी नियमों की पालन करने के बाद ही पानी को ट्रीट करके बाहर छोड़ रही है। अगर कोई ऐसी समस्या है तो उसका भी समाधान किया जाएगा।

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