बागेश्वर ब्रेकिंग : जंगल में युवक की मौत के मामले में चाचा की तहरीर पर मृतक के दोनों साथियों पर मुकदमा, पुलिस की मैराथन पूछताछ जारी, वन विभाग कोमा में
बागेश्वर। जंगल में शिकार के दौरान गोली लगने से युवक की मौत के मामले में मृतक के चाचा की तहरीर पर कांडा पुलिस थाने मृतक के साथ गए दोनों युवकों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है। दोनों युवक पुलिस की हिरासत में हैं। अभी पुलिस उनसे पूछताछ ही कर रही है। इस बीच इस मामले में शस्त्र अधिनियम की धारा 30 के तहत भी एक मुकदमा दर्ज किया गया है। फिलहाल पुलिस अधिकारी इस मामले में जांच चलने की बात कहते हुए कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
दरअसल अभी पूरा मामला शुरूआती दौर में ही चल रहा है। पुलिस ने घटना की सुबह से ही कार्रावाई शुरू की लेकिन आज 36 घंटे बाद भी पुलिस अधिकारी यह बताने की स्थिति में नहीं हैं कि गोली किसके हाथ से चली और उस वक्त कैसी परिस्थितियां थी। दोनों आरोपी युवकों को पुलिस ने तुरंत ही हिरासत में ले लिया था, वे अभी भी पुलिस की हिरासत में हैं। एसओजी को भी उनसे पूछताछ में लगाया गया है। लेकिन घटना के दूसरे दिन भी पुलिस इस मामले का खुलासा नहीं कर सकी है। इससे साफ हो गया है कि जिस तरह से यह मामला सतही तौर पर सीधा—सदा दिखाई रहा था, उतना है नहीं।
यह था मामला
मृतक रविंद्र सिंह के चाचा भगवान सिंह धपोला ने कल शाम को ही पुलिस को उसके साथ जंगल में गए दोनों युवकों पवन धपोला और संजय नगरकोटी के खिलाफ तहरीर सौंप दी थी। इस पर पुलिस ने मुकदमा भी दर्ज कर लिया। लेकिन खुलासे के नाम पर बताया जा रहा है कि अभी पूछताछ ही चल रही है।
असल में पुलिस के सामने कुछ समस्याएं भी हैं। सूत्रों के मुताबिक जिस बंदूक से हत्या हुई वह एक ऐसे शख्स के नाम पंजीकृत है, जिसकी पूरी जिंदगी इस प्रकरण के पंजीकृत होने के बाद तबाह हो सकती है। रविंद्र इस बंदूक को लेकर गया था। लेकिन जब रविंद्र ही मारा गया तो साफ है कि गोली किसी और के हाथों चली होगी। और उस वक्त मौके पर सिर्फ दो युवक पवन और संजय ही उपस्थित थे। तो गोली पवन और संजय में से किसी एक ने ही चलाई होगी। लेकिन पुलिस यही पता नहीं कर पा रही है कि गोली किसने चलाई। उस वक्त क्या परिस्थितियां रहीं यह भी पुलिस पूछताछ में पता करने का प्रयास कर रही है। युवकों की आपसी कोई पुरानी दुश्मनी तो नहीं थी यह भ्ज्ञी पता कराया जा रहा है। फिलहाल ऐसी कोई बात निकल कर सामने नहीं आई है। पुलिस ने शस्त्र अधिनियम में फिलहाल अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। अब जांच में सामने लाया जाएगा कि बंदूक किसकी है और उसे कौन लेकर जंगल में गया था।
दूसरी ओर इस मामले में वन विभाग की चुप्पी भी कई सवाल खड़े कर रही है। पूरा घटनाक्रम वन विभाग के अधीन आने वाले जंगल का है। अभी तक साफ हुई बातों के आधार पर जंगल में दो नाली बंदूक लेकर तीन लोग शिकार को जाते हैं। यहां एक की मौत हो जाती है। वह भी गोली चलने से। लेकिन वन विभाग के अधिकारी इस मामले में रिपोर्ट दर्ज करना तो दूर पूछताछ करने के लिए गांव में तक नहीं पहुंचे। नाम न छापने की शर्त पर वन विभाग के एक अधिकारी कहते हैं कि युवकों के पास से कोई मांस बरामद नहीं हुआ इसलिए वन विभाग की कार्रावाई नहीं बनती। लेकिन वन विभाग के जंगल में तीन लोग बंदूक लेकर घुसते हैं। क्या यह अपने आप में अपराध नहीं है। इसका अर्थ तो यह हुआ कि एक वन्य प्राणी की जान जाने पर ही वन विभाग कार्रावाई करेगा। अपराध होने से पहले एक्शन करके उसे रोकेगा नहीं। यह ठीक है कि हत्या के बाद मामला पूरी तरह से पुलिस की झोली में आ गया है। लेकिन वन विभाग के दायरे में जंगली जानवरों की मारने की नीयत से बंदूक लेकर जंगल में जाना भी तो अपराध है।