विधानसभा चुनाव भाग-2 #हल्द्वानी: कुमाऊं की सबसे हॉट सीट पर भाजपा खेमे में ‘इतना सन्नाटा क्यों है भाई…’
….कल से आगे
तेजपाल नेगी
हल्द्वानी। दरअसल भारतीय जनता पार्टी के लिए हल्द्वानी सीट एक चुनाव को छोड़ कर हर बार बुरा सपने की तरह ही रही है। उत्तराखंड राज्य स्थापना के बाद से अब तक हल्द्वानी विधानसभा सीट पर भाजपा को एक मात्र चुनाव में विजय श्री के दर्शन हुए। वर्ना तीन बार यहां भाजपा प्रत्याशियो को कांग्रेस की डा. इंदिरा ह्रदयेश ही पटखनी देती रहीं। अब जब इंदिरा का निधन हो चुका है और कांग्रेस के तमाम नेता उनकी विरासत उनके बेटे सुमित को सौंपे जाने की वकालत भी कर चुके हैं। ऐसे में भाजपा को भी अहसास है कि इंदिरा के बेटे को जनता की सहानुभूति प्राप्त हो सकती है। दूसरे सत्ताधारी पार्टी होने के नाते भाजपा के खिलाफ एंटी इंकबेंसी लहर की भी आशंका है। इसलिए हल्द्वानी सीट पर रोचक मुकाबले के आसार हैं।
आप मशहूर हिंदी फिल्म शोले का चरित्र अभिनेता एके हंगल को वह डायलॉग ‘इतना सन्नाटा क्यों है भाई’ तो नहीं भूले होंगे। आपको नहीं लगता कि यह संवाद सत्ताधारी भाजपा के हवाले से हल्द्वानी विधानसभा सीट पर बिल्कुल फिट बैठ रहा है। बड़ा सवाल जो लोगों के दिमाग में कौंध रहा है कि क्या भाजपा मुकाबले से पहले ही हल्द्वानी में अपनी हार कुबूल कर चुकी है या फिर वह मौके की तलाश में है, जब वह यहां पर अपना तुरूप का पत्ता लोगों के सामने रखेगी।
हालांकि भाजपा को हल्द्वानी में चुनाव से पहले हल्के फुल्के झटकों की खबरें भी आती रहती है। पार्टी के उत्तरी मंडल अध्यक्ष नवीन पंत ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनके साथ महामंत्री, महिला मोर्चा नगर मंडल अध्यक्ष, महामंत्री ने भी पद छोड़ दिए। इस्तीफे के कुछ दिन बाद नवीन पंत फिर मीडिया के सामने आए और उन्होंने नगर निगम मेयर और पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा के प्रत्याशी डा. जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला पर गंभीर आरोप भी लगाए। इनमें सबसे गंभीर आरोप यह था कि रौतेला हल्द्वानी भाजपा में गुटबाजी को बढ़ावा दे रहे हैं।
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उन्होंने एक बात और कहीं कि नगर निगम क्षेत्र में भाजपा के कुछ नेताओं के वार्डों में तो सड़कों की मरम्मत भी नहीं हो पा रही है। इसके बाद कुछ दिन की शांति के बाद अचानक भाजपा जिला कार्यकारिणी के दो सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया। ये दोनों पदाधिकारी दमुवाढूंगा क्षेत्र के रहने वाले हैं। बाद में उन्होंने भाजपा के जिला अध्यक्ष प्रदीप बिष्ट को निशाने पर लेने की कोशिश की। इन घटनाक्रमों से यह साफ हो चला है कि अनुशासित पार्टी के के भीतर भी कुछ तो गड़बड़ चल रही है।
हल्द्वानी में भाजपा को सक्रिय रखने का दारोमदार पूर्व प्रत्याशी और नगर निगम मेयर डा. जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला, भाजपा के जिला अध्यक्ष प्रदीप बिष्ट और मंडल अध्यक्षों पर था, अब आप स्वयं सोचिए कि रौतेला अपनी ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर हैं। नगर निगम में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते वे पहले ही बैक फुट पर थे। प्रदीप बिष्ट के बारे में कहा जाता है कि उनकी रूचि हल्द्वानी में कम और लालकुआं में ज्यादा रहती है। रहे मंडल अध्यक्ष तो एक मंडल अध्यक्ष की कहानी हम आपको ऊपर बता ही चुके हैं।
यह स्थिति तब है कि जब भाजपा को हल्द्वानी में अकेले कंग्रेस से नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी के जुझारू कार्यकर्ताओं से भी लोहा लेना है। जो लगातार छोटी—छोटी सभाओं के माध्यम से आम आदमी तक पहुंच बनाते हुए जोर का झटका धीरे से देने की जुगत में लगे हैं।
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भाजपा के मेयर और जिला अध्यक्ष समेत अन्य पदाधिकारी कोरोना की पहली लहर के दौरान तो फिर भी बहुत सक्रिय दिख रहे थे। मेयर तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष बंशीधर भगत के इर्द गिर्द दिखते रहते थे। जिला अध्यक्ष भी किसी न किसी कार्यक्रम में और कुछ भी नहीं तो ट्रेनों से लौटे प्रवासी उत्तराखंडियों के स्वागत को रेलवे स्टेशन के बाहर स्वागत पट्टिका लेकर खड़े दिख भी रहे थे, लेकिन अब वे हल्द्वानी की जनता और मीडिया के सामने कम ही आ रहे हैं।
यह अलग बात है कि पार्टी संगठन स्तर पर बिल्कुल निस्तेज हो चुकी है ऐसा कहना गलत है। संगठन की सक्रियता लगातार चल रही है। बूथ स्तर पर कार्यकर्ता सत्यापन चल रहा है। लेकिन चुनाव से ठीक पहले पार्टी की जो चमक और उत्साह हल्द्वानी में दिखना चाहिए था वह दिखाई नहीं पड़ रहा।
कोई ऐसा नेता भी विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय दिखाई पड़ रहा जिसे देखकर लगे कि वह टिकट पर अपनी दावेदारी की तैयारी में हैं। पूर्व प्रत्याशी और वर्तमान मेयर डा. रौतेला लगता है दुविधा में हैं कि इस चुनाव में उतरे और जनता ने नतीजा दोहरा दिया तो न इधर के रहेंगे न उधर के। यह भी तय है कि हल्द्वानी सीट पर पर्वतीय मूल के प्रत्याशी को ही मैदान मेे उतारा जाना है, ऐसे में कुछ नाम
हैं जिनकी चर्चा किए बिना यह समीक्षा पूरी नहीं होगी। इन नामों पर चर्चा के बाद ही निकल कर आएगा भाजपा का तुरूप का पत्ता…. लेकिन कल……क्रमश:
यह था इसी समीक्षा का भाग 1