लालकुआं…कांग्रेस : दुर्गापाल के समर्थकों को शक — कुछ तो गड़बड़ है, टिकट न मिलने की स्थिति में निर्दलीय उतरने के लिए बनाया पूर्व मंत्री पर दवाब
लालकुआं । कांग्रेस आलाकमान की ओर से लालकुआं विधानसभा सीट से उम्मीदवार घोषित करने में बरती जा रही देरी के प्रति दावेदारों को धैर्य जवाब देने लगा है। पूर्व कैबिनेट मंत्री के आवास पर आज उनके समर्थकों ने डेरा ही डाल दिया। कल रात जारी हुई कांग्रेस की सूची में लालकुआं सीट का नाम ही नहीं था। इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में तरह तरह के कयास लगने शुरू हो गए हैं। पहले भाजपा ने इस सीट पर उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया और इसके बाद अब जब कांग्रेस ने इस सीट पर आधिकारिक प्रत्याशी का ऐलान टाल दिया तो कार्यकर्ताओं को लगने लगा कि लालकुआं सीट पर ‘कुछ तो गड़बड़ है’।
दरअसल जानकार कांग्रेस खेमे में लालकुआं सीट पर प्रत्याशी का ऐलान न हो पाने को रामनगर सीट से जोड़कर देख रहे हैं। सोशल मीडिया व अन्य सूचना माध्यमों पर इन दिनों रामनगर सीट से पूर्व सीएम हरीश रावत के चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही थी, जबकि व्यवहारिक रूप से रामनगर सीट से हरीश रावत का चुनाव लड़ना कोई समझदारी भरा फैसला नहीं माना जा सकता। रामनगर से हरीश रावत के पार्टी में ही प्रतिद्वंद्वी रणजीत सिंह रावत दावेदारी कर रहे हैं। ऐसे में उनका टिकट काट कर हरदा स्वयं टिकट लें तो रणजीत उन्हें आराम से जीतने तो नहीं देंगे। यही समीकरण लालकुआं सीट पर प्रत्याशी की घोषणा में हे रही देरी की वजह है। समीक्षकों का मानना है कि हरीश रावत इससे पहले किच्छा से चुनाव लड़कर कर चुनाव हार चुके हैं। किच्छा का वोट बैंक हरदा के लिहाज से सुविधाजनक नहीं है। इसीलिए इस बार किच्छा से पंजाबी खत्री तिलक राज बेहड़ को टिकट दिया गया है।
अब हरीश रावत के लिए लालकुआं सीट काफी सुविधाजनक है। यहां पहाड़ी वोट बैंक तो है ही कांग्रेस का परंपरागत मुस्लिम वोट भी अच्छी तादाद में है। भाजपा या कांग्रेस यहां से पहाड़ी उम्मीदवार को ही टिकट देती रही है। राजनैतिक विश्लेषकों की राय में लालकुआं सीट पर स्वयं हरदा की नजर है और उन्हें विश्वास है कि वे यहां के पूर्व विधायक दुर्गापाल व कांग्रेस के दूसरे दावेदारों को आसानी मना भी लेंगे।
संभवत: इस आशंका को दुर्गापाल व उनके समर्थक भी भांप गए हैं। इसीलिए आधीरात को जब कांग्रेस ने दावेदारों की सूची जारी की तो लालकुआं से प्रत्याशी का नाम पाकर आज तड़के ही दुर्गापाल के समर्थकों ने उनके आवास पर डेरा डाल दिया। बातचीत शुरू हुई तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के प्रति कार्यकर्ताओं को गुस्सा भी सामने आया।
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बात यहीं नहीं रूकी दुर्गापाल ने भी कार्यकर्ताओं से कहा कि पहले वे कांग्रेस की सूची का इंतजार करेंगे और फिर यदि उनका नाम सूची में न हुआ तो अगली रणनीति पर समर्थकों की सलाह ली जाएगी। जैसा भी फैसला समर्थक देंगे वैसा ही निर्णय लिया जाएगा। दोपहर तक दुर्गापाल के आवास पर समर्थकों के आने जाने का क्रम जारी था।
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