नालागढ़…ब्रेकिंग : प्रदेश के दवा नियंत्रक नवनीत मारवाह के खिलाफ शिकायतों का पुलिंदा पहुंचा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय, जानिए क्या हैं आरोप और क्या बोले नवनीत मारवाह
नालागढ़। हिमाचल के ड्रग्स कंट्रोलर नवनीत मारवाह इन दिनों फिर चर्चाओं में हैं। उनके खिलाफ एक शिकायती पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा गया है। जिसमें उन लगाए गए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों की पूरी लिस्ट पीएम को भेजी गई है।
पीएमओ से इस शिकायती का रिसीव प्रति भी शिकायतकर्ता को भेजी गई है। इस पत्र की प्रति शिकायतकर्ता एमसी जैन ने राष्ट्रपति, सु्प्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, निदेशक सीबीआई, निदेशक ईडी व हिमाचल के राज्यपाल के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व अन्य मंत्रियों को भेजी है। हालांकि हिमाचल के ड्रग्स कंट्रोलर नवनीत मारवाह ने सभी आरोपों को नकार दिया है।
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उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता की कंपनी की नकली दवाइयों की खेप कई बार पकड़ी गई है। उसके खिलाफ हिमाचल ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों में भ्ज्ञी नकली दवाई बनाने के गंभीर आरोप लगे हैं। यह हीनियस अपराध में आता है। उसके मामले की जांच सीबीआई भी कर रही है। जैन उन पर पिछले एक अरसे से इस तरह के आरोप लगाता आ रहा है। इस प्रकरण की जांच प्रदेश सरकार द्वारा की जा रही है। और उन्होंने सरकार को अपना चार सौ पन्नों का जवाब भेज दिया है।
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शिकायतकर्ता एमसी जैन ने स्वयं को सामाजिक कार्यकर्ता बताते हुए शिकायत पत्र में कहा है कि नवनीत मारवाह की बेटी का विवाह दिल्ली के फाइव स्टार होटल में किया गया था। इस विवाह में हिमाचल की दवा निर्माता कंपनियों से जम कर वसूली की गई। पत्र में कहा गया है कि विवाह में तीन प्रकार का शगुन रखा गया थ।
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जिसमें 1.25लाख, 2.25 लाख और 5.25 लाख की राशि दी जानी थी। विवाह के लिए हिमाचल के एक फार्मा उद्योग से विदेशी शराब का इंतजाम कराया गया था। इसके अलावा जीरकपुर के पाम रिजार्ट में विवाह की पार्टी का इंतजाम किया गया था। जिसका करोड़ों का इंतजाम फार्मा उद्योगों ने किया था।
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आरोप के अनुसार चंडीगढ़ के सैक्टर 10 में नवनीत मारवाह के बेटे प्रांजल मारवाह की आर्ट गैलरी है। इस गैलरी में रखे गए पेंटिंग्स खरीदने के हिमाचल के उद्योगपतियों को दवाब में लिया जाता है। फिर उद्योग पति नवनीत मारवाह को खुश करने के लिए 45 से पचास हजार रूपये में उक्त पेटिंग्स को खरीदते हैं।
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मारवाह के पिता पर भी शिकायती पत्र में आपराधिक आरोप लगाए गए हैं। मारवाह के पिता अपने बेटे के काले धन को व्हाइट बनाने का काम करते हैं। इसमें चंडीगढ़ की एक प्रार्पटी फर्म की संलिप्तता भी बताई गई है। आरोप है कि नवनीत मारवाह रूपये ऐंठकर प्रतिबंधित दवाओं की अप्रूवल भी अपने खास लोगों को दे रहे हैं। हाल ही में मारवाह ने 45 लाख की लक्जरी कार भी खरीदी है। आरोप है कि नवनीत ने एक व्यक्ति के नाम से रायल एप्पल नामक कंपनी खोल कर दी है। जिसमें मारवाह का पैसा लग रहा है।
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शिकायती पत्र में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव के समय जब नवनीत मारवाह के पास से 12 लाख रूपये बरामद हुए थे तब उन्होंने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार का नाम लेते हुए कह दिया थाकि यह रूपये उनके ही है। तब प्रदेश सरकार ने मारवाह को शिमला से भेज दिया था और बद्दी की बागडोर इमानदार अधिकारियों के हाथों में सौंपी थी, लेकिन कुछ समय बाद मारवाह जुगाड़ करके वापस लौट आए। अब वे उद्योगपतियों से कहते हैं कि इस वापसी के लिए उन्होंने साठ करोड़ रूपये का भुगतान जयराम ठाकुर सरकार को किया है। इससे सरकार पर भ्ज्ञी लांछन लगते हैं।
मारवाह पर हर रोज चंडीगढ़ से अप— डाउन करने का आरोप भी लगाया गया है। बताया गया है कि नियमानुसार मारवाह को आठ किमी के दायरे में ही रहना चाहिए लेकिन तकनीकी रूप से अपने आप को सही बताने के लिए मारवाह ने बद्दी में 6 हजाय रूपये का किराये का मकान ले रखा है। लेकिन उसमें वे रहते नहीं हैं।
इन आरोपों पर हमने हिमाचल के दवा नियंत्रक नवनीत मारवाह से बात की। उन्होंने कहा कि जैन उन पर काफी समय से बेबुनियाद आरोप लगाते आ रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि जैन की कंपनी में बनी नकली दवाएं कई प्रदेशों में पकड़ी गई हैं और वहां भी जैन पर केस दर्ज किए गए हैं। जैन पर लगे आरोपों की जांच सीबीआई व हिमाचल पुलिस कर रही है। उन्होंने बताया कि जैन ने अपने बेटे के नाम पर फार्मा कंपनी का लाइसेंस मांगा था लेकिन पिता के रिकार्ड को देखते हुए शासन ने उन्हें लाइसेंस नहीं दिया। इसी से नाराज जैन उन पर झूठे आरोप लगा रहा है। उन्होंने कहा कि उन पर लगे आरोपों की जांच प्रदेश सरकार करवा रही है। और सरकार के नोटिस पर उन्होंने 400 पन्नों का अपना जवाब सरकार को भेज दिया है। जो भी सच होगा सामने आ जाएगा।
सत्यमेव जयते.कॉम इन आरोपों की पुष्टि नहीं करता है। लेकिन यह अवश्य है कि मारवाह पर लगे आरोपों की जांच होनी जरूरी है ताकि लोगों में अफसरों के प्रति सम्मान व विश्वास बना रहे। इससे तरह की शिकायतें प्रदेश सरकार को भी कटघरे खड़ा करती हैं। इसलिए मामले की जांच और आवश्यक हो गई है।