हल्द्वानी…ब्रेकिंग : मुखानी के पूर्व थाना प्रभारी पर रिश्वत मांगने व पीड़िता से फिजिकल रिलेशन बनाने का आफर देने के आरोप में मुकदमा दर्ज
हल्द्वानी। मुखानी पुलिस थाने के पूर्व थाना प्रभारी एसआई दीपक बिष्ट के खिलाफ एक रेप पीड़िता की शिकायत पर केस दर्ज किया गया है। महिला ने आरोप लगाया है कि जब वह एक नेता के खिलाफ रेप का मुकदमा दर्ज कराने गयी तो तत्कालीन थाना प्रभारी दीपक बिष्ट ने आरोपी को पकड़ने की एवज में पांच लाख रूपये के अलावा एक ऐसी मांग कर दी जिससे महिला का पारा चढ़ गया। पुलिस ने केस दर्ज करके मामले की छानबीन शुरू कर दी है।
पीड़िता ने पुलिस महानिदेशक को 13 पन्नों की शिकायत लिखकर पूरी आपबीती बयान की थी। डीजीपी ने इस मामले में एक्शन के लिए एसएसपी नैनीताल को लिखा और मामला मुखानी पुलिस थाने पहुंचा। पुलिस ने अपने ही पूर्व थाना प्रभारी दीपक बिष्ट के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज कर लिया। कल देर रात इस मामले में केस दर्ज किया गया है।
दरअसल महिला ने डीजीपी को लिखे गए शिकायती पत्र में आरोप लगाया है कि उसने 26अप्रैल को भाजपा के एक नेता के खिलाफ रेप का आरोप लगाते हुए मुखानी पुलिस थाने में केस दर्ज कराया था। उस वक्त मुखानी पुलिस थाने के प्रभारी एसआई दीपक बिष्ट थे। महिला का आरोप है कि जब उसने थाना प्रभारी से आरोपी भाजपा नेता को गिरफ्तार करने के लिए कहा तो उन्होंने उसे गिरफ्तार करने की एवज में पंच लाख रूपये की रिश्वत तो मांगी ही साथ ही महिला के साथ फिजिकल रिलेशन बनाने के लिए आफर भी दिया।
अब इस मामले में महिला की शिकायत पर मुखानी पुलिस ने अपने ही पूर्व थाना प्रभारी के खिलाफ आईपीसी की धारा 354, 506, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम —की धारा 7 के तहत केस दर्ज कर लिया है।
क्या है आईपीसी की धारा 354
धारा 354 आईपीसी- स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग , IPC Section 354 ( IPC Section 354. Assault or criminal force to woman with intent to outrage her modesty ) यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
क्या है आईपीसी की धारा 506
धारा 506 में किसी को धमकी देने को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। आईपीसी की इन दोनों धाराओं में अपराध कारित होने पर दो-दो साल की सजा और अर्थदंड से दंडित किया जाता है।
क्या है भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम की धारा 7
“लोक सेवकों द्वारा रिश्वत लेने से संबंधित पीसी अधिनियम की धारा 7 के तहत अपराध के लिए अवैध परितोषण की मांग और उसकी स्वीकृति की आवश्यकता होती है। पीसी एक्ट की धारा 7 के तहत एक लोक सेवक द्वारा रिश्वत की मांग का प्रमाण और उसके द्वारा उसकी स्वीकृति अपराध स्थापित करने के लिए अनिवार्य है।”
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