हल्द्वानी…भाकपा माले के 11 वें अधिवेशन में पटना में गूंजेंगे उत्तराखंड के मुद्दे
हल्द्वानी। “फासीवाद मिटाओ – लोकतंत्र बचाओ, शहीदों के सपनों का भारत बनाओ!” के उदघोष के साथ भाकपा-माले का 11 वां महाधिवेशन 15-20 फरवरी 2023, को पटना (बिहार) में होने जा रहा है। 15 फ़रवरी को पटना के गांधी मैदान में भाजपा भगाओ – देश बचाओ विशाल रैली से महाधिवेशन की शुरुआत होगी। नैनीताल जिले से भी चुने हुए प्रतिनिधि महाधिवेशन में शिरकत करेंगे।” भाकपा (माले) के नैनीताल जिला सचिव ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि, “भाकपा माले का राष्ट्रीय महाधिवेशन ऐसे समय में हो रहा है जब हिटलर को अपना आदर्श मानने वाले फासीवादी संगठन आरएसएस-भाजपा को खुलकर खेलने का मौका मिल गया है। मनुस्मृति को देश का संविधान बना देने का खतरा अब एक वास्तविक खतरा बन गया है। लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर या खत्म किया जा रहा है और जनता के हासिल अधिकारों को कुचला जा रहा है। संविधान व लोकतंत्र पर तीखा हमला और राज्य समर्थित आतंक-उत्पीड़न व
दमन मोदी सरकार की चारित्रिक विशिष्टता बन गई है। उनकी चरम कॉरपोरेटपरस्ती ने लोगों की जिंदगी को गहरे संकट में डाल रखा है।”
उन्होंने कहा कि, “उत्तराखंड में डबल इंजन भाजपा सरकार केन्द्र की मोदी सरकार की छाया के रूप में काम कर रही है। इस सरकार के कार्यकाल में भर्ती परीक्षाओं में नित नए घोटाले सामने आ रहे हैं और घोटालों की जांच की मांग कर रहे युवाओं को लाठीचार्ज और मुकदमों का निशाना बनाया जा रहा है। राज्य के मुख्यमंत्री “दोषियों को बख्शा नहीं जायेगा” की धुन बजा रहे हैं लेकिन उनकी सरकार के राजनीतिक संरक्षण में ही यूकेएसएसएससी भर्ती से लेकर पटवारी, दरोगा भर्ती जैसी तमाम भर्तियों में लगातार घोटाले सामने आए हैं। राज्य सरकार की सरपरस्ती में उत्तराखण्ड ओपन विश्वविद्यालय में नियुक्तियों में जमकर भ्रष्टाचार के मामले सामने आ रहे हैं जिसमें राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री की सीधे संलिप्तता प्रकाश में आई है।
विधानसभा में विशेषाधिकार के नाम पर की गई नियुक्तियों में अनियमितता के आरोपी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल को मंत्रिमंडल से हटाने के बजाय प्रधानमंत्री मोदी ने अपने साथ बद्री केदार की यात्रा करा कर क्लीन चिट दे दी। जोशीमठ जैसा ऐतिहासिक नगर जनविरोधी विकास की भेंट चढ़ गया है लेकिन सरकार सच्चाई सामने आने से रोकने के लिए इसरो समेत सभी भू वैज्ञानिक संस्थाओं को आंकड़े जारी करने से रोक रही है और जोशीमठ के विध्वंस के लिए जिम्मेदार एनटीपीसी की तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना को क्लीन चिट देने का काम कर रही है।
भाजपा राज्य सरकार केदार आपदा, ऋषिगंगा पॉवर प्रोजेक्ट टनल जैसी आपदाओ से सबक लेने, जनविरोधी – हिमालय विरोधी विकास मॉडल की समीक्षा के बजाय उसके बचाव में कुतर्क गढ़ रही है। सिडकुलों में जायडस वेलनेस जैसी कंपनियां खुलेआम मजदूरों का शोषण कर रही हैं और कानूनन अवैध बंदी घोषित होने के बाद भी राज्य सरकार की भूमिका के चलते अभी तक 1200 से अधिक मजदूर सड़कों पर हैं। वनों-खत्तो में रहने वाली लाखों की आबादी को मूलभूत अधिकार देने के बजाय उनके बीच में सांप्रदायिक विभाजन तेज़ करने का काम खुद सरकार के द्वारा ही किया जा रहा है। इसके पूर्व वनभूलपुरा के मामले में भी राज्य सरकार का धार्मिक आधार पूर्वाग्रह पूर्ण रवैया सबके सामने आ ही चुका है। यह सरकार दलित, महिला, अल्पसंख्यक विरोधी सरकार साबित हुई है।
जगदीश हत्याकांड जैसे जघन्य मामले समेत भाजपा के पिछले और अभी के कार्यकाल में दलित उत्पीड़न की घटनाओं में बहुत इजाफा हुआ है। दलित उत्पीड़न की घटनाओं पर राज्य सरकार की बेरुखी और कठोर एक्शन न लेने से सामंती जातिवादी मानसिकता से संचालित दबंगई दिखाने वाले तत्वों के हौसले बुलंद हुए हैं। अंकिता हत्याकांड के बाद जनता ने सड़कों पर उतरकर गहरे आक्रोश को व्यक्त किया, लेकिन अंकिता मामले में वीआईपी के नाम को छुपाने में खुद सरकार लगी हुई है। कुल मिलाकर यह राज्य सरकार हर मोर्चे पर बुरी तरह फेल साबित हुई है इसलिए कभी समान नागरिक संहिता, कभी बनभूलपुरा और कभी खत्तावासियों – गुर्जरों के नाम धार्मिक विभाजन तेज़ करके अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने की असफल कोशिश कर रही है। “
माले नेता ने कहा कि, “भाजपा -आरएसएस को न केवल सत्ता से बल्कि समाज के हर स्तर से बेदखल कर देना समय की मांग है। इसी ऐतिहासिक समय में आगामी 15-20 फरवरी 2023 को हमारी पार्टी का 11वां महाधिवेशन पटना में होने जा रहा है। हमारा यह महाधिवेशन दिल्ली की गद्दी से भाजपा को उखाड़ फेंकने की लड़ाई को बड़ी ताकत देगा। अतः हम तमाम नागरिकों से अपील करते हैं कि देश को बचाने के इस अभियान में आप हमारा हर स्तर पर सहयोग करें, और भाजपा की निर्णायक हार के संघर्ष को मजबूत करें।”