काम की खबर : यह है होलिका दहन और पूजन का मुहूर्त, ऐसे करें होलिका की पूजा, ऐसे रंग के कपड़े न पहनें

हल्द्वानी/सोलन। रंगों के पर्व होली के लिए बस एक रात बाकी है। होली के लिए लोगों ने सभी तैयारियां कर ली हैं। पाक पकवान बनाने के लिए सामान खरीदा जा चुका है। बच्चों के लिए पिचकारियों और रंगों से उत्तराखंड और हिमाचल के बाजार अटे पड़े हैं। आज रविवार होने के कारण बाजार में उछाल दिखेगा। आसमान पर बादल होने के कारण हिमाचल में ठंडक कुछ ज्यादा है, लेकिन होली के शुरूर को ठंड शायद ही कम कर पाए। शिमला जिले के रामपुर बुशहर में होली के दिन शुरू होने वाले फाग मेले की तैयारियां पूरी हो गई हैं। देवी देवताओं की पालकियां आज से यहां पदम महल परिसर में पहुंचनी शुरू हो जाएंगी। लेकिन बड़ा सवाल सबके मन में यह आ रहा होगा कि होली का पूजन और होलिका दहन का मुहूर्त कया है। तो चिंता न करें आपके लिए हम यह जानकारी भी ले आए हैं।


आज शाम भद्रा होने के कारण रात 11 बजे बाद होलिका दहन होगा। इसके लिए शुभ मुहूर्त रात 11 बजे से शुरू होगा, लेकिन भद्रा काल में होली की पूजा जरूर की जा सकती है। जिसके लिए शाम को प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त के बाद शुभ मुहूर्त रहेगा।

सूर्यास्त के बाद अगले ढाई घंटे तक यानी प्रदोष काल में भद्रा रहे तो भी पूजा कर सकते हैं, लेकिन होलिका दहन भद्रा दोष खत्म होने के बाद करना चाहिए, इसलिए शाम 6.24 से 6.48 तक होली पूजा का मुहूर्त रहेगा। ये गोधूलि बेला का समय होगा। वहीं, होलिका दहन का मुहूर्त रात 11.15 से 12.25 तक रहेगा। इसके बाद सोमवार की सुबह से ही रंगों का पर्व होली मनाया जाएगा।

होलिका दहन में राक्षसी होलिका को जलाने का जश्न मनाने के लिए अलाव जलाया जाता है, इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का एक प्रतीक कहा जाता है। होली हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन पड़ती है। होलिका दहन, जिसे छोटी होली भी कहा जाता है जो कि एक दिन पहले मनाई जाती है।

होली में आग लगाने से पहले होलिका की पूजा करने की परंपरा है। इसके लिए व्यक्ति को होलिका की पूजा करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए। होलिका दहन के लिए जलाई गई अग्नि की परिक्रमा जरूर करनी चाहिए। अगले दिन होली की राख लाकर एक चांदी की डिब्बी में रखनी चाहिए। साथ ही लोग होलिका की पवित्र अग्नि में जौ के दाने, सरसों के दाने और गेंहू की बालियां डालें। ऐसा करने से घर में खुशियां आती हैं।

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इस दिन होलिका को जलाते समय लोग अपने सभी दुखों को भी ​अग्नि के साथ भस्म करने की कामना करते हैं। जहां होली का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जाता है, वहीं होलिका दहन यानी छोटी होली के दिन विशेष प्रकार की पूजा-पाठ की जाती है। होलिका दहन के कुछ नियम होते हैं जिनका पालन करना बेहद जरूरी होता है।

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होली पर ऐसा करें
होलिका दहन से पहले सुबह के समय होलिका का पूजन करने का विधान है और यह पूजा हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए। फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन का त्योहार मनाया जाता है और इस दिन व्रत या उपवास रखने की भी परंपरा है। इसलिए इस दिन आप व्रत रख सकते हैं।ज्योतिषियों के अनुसार अगर आप अपने घर में सुख-समृद्धि और शांति चाहते हैं तो होलिका दहन के दिन घर की उत्तर दिशा में घी का दीपक जलाएं, ऐसा करना बहुत शुभ माना जाता है।
होलिका की पूजा में सरसों, तिल, 11 गोबर के उपले, अक्षत, चीनी और गेहूं के दाने व गेहूं की 7 बालियों का उपयोग किया जाता है। होलिका की पूजा करने के बाद होलिका की 7 बार परिक्रमा लगाते हुए जल अर्पित करना चाहिए। इसके बाद दान करना भी बेहद शुभ माना जाता है।

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होलिका दहन के दिन ऐसा न करें?
हो​लिका दहन के दिन भूल से भी किसी को उधार नहीं देना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से घर में आने वाली बरकत रुकती है। इसलिए इस दिन पैसे के लेन-देन से बचने की कोशिश करें।
होलिका दहन की पूजा करते समय काले व सफेद रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। पूजा के समय इन रंगों को पहनना अशुभ माना गया है। आप पूजा के समय पीले, लाग, गुलाबी आदि रंग के कपड़े पहन सकते हैं।
होलिका दहन की पूजा में महिलाओं को बाल नहीं बांधने चाहिए यानी खुले बालों से होलिका की पूजा की जाती है। इसके बाद किसी भी समय महिलाएं बाल बांध सकती हैं।
ध्यान रहे कि होलिका दहन की रात को सड़क पर पड़ी किसी चीज को हाथ या पैर न लगाएं। इस दौरान टोटके का खतरा अधिक रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवविवाहित लड़की को अपने ससुराल में पहली होली पर होलिका दहन की अग्नि नहीं देखनी चाहिए। इसे शुभ नहीं माना जाता है।

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