हल्द्वानी… #राजनीति : अभिमन्यु… चक्रव्यूह में फंस गया है तू
तेजपाल नेगी
हल्द्वानी। हल्द्वानी विधानसभा में एक राजनैतिक पार्टी का अभिमन्यु चक्रव्यूह में फंसता जा रहा है। रोचक तथ्य यह है कि इस अभिमन्यु के लिए चक्रव्यूह रचने वाले दूसरी पार्टी के ‘दुश्मन’ नहीं है उसके ‘अपने’ही हैं। इस विधानसभा चुनाव में देखने वाली बात यह होगी कि यह अभिमन्यु इस चक्रव्यूह को कैसे भेदता है।
दरअसल हल्द्वानी के चुनावी महाभारत में सभी राजनैतिक दलों के मोहरे अपने अपने स्थान पर सोची समझी चालें चल रहे हैं। अगर कहीं शांति है तो उसका भी कोई कारण है, कहीं अशांति है तो उसका भी अपने आप में कोई न कोई कारण है लेकिन उस हलचल का क्या करें जो धरातल के नीचे पैदा हो रही है।
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ऐसा ही कुछ इस राजनैतिक दल के साथ भी हो रहा है। धरातल के ऊपर सबकुछ ठीक ठाक दिख रहा है लेकिन धरातल के भीतर हो रही हलचल का कुछ ही लोगों को पता है। यहां भी एक चक्रव्यूह रचा जा रहा है। चक्रब्यूह के भीतर जा फंसा है अभिमन्यु…वह अभिमन्यु जो आर्चाय द्रोण, पितामह भीष्म और कृपाचार्य सरीखे राजनैतिक गुरूओं के निशाने पर आ गया है। चक्रव्यूह की रचना करने वाला भी दुर्योधन सरीखा ताकतवर है। सिंहासन पर नजर है वह भी निष्कंटक राज सिंहासन।
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महायुद्ध की सभी तैयारियां लगभग पूरी होने को हैं, इस महीने के अंत तक चुनाव आयोग महायुद्ध का बिगुल फूंक देगा। इसके बाद सभी दलों की ओर से टिकट धारियों के नाम घोषित होंगे और बजने लगेंगे औपचारिक रणसिंघे।
लेकिन इससे पहले की चुनाव का बिगुल बजे सभी दलों ने अपने—अपने मोहरे सेट करने शुरू कर दिए हैं। हालांकि अभी किसी भी दल ने आधिकारिक रूप से प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। लेकिन प्रत्याशी बनने के दावेदारों की फौज हर दल से सामने आ गई है। जिस दल की हम बात कर रहे हैं वहां से भी कम से कम आठ उम्मीदवारों के नाम अब तक सामने आ चुके हैं, लेकिन इनमें से सात नाम एक ही गुट के हैं जबकि एक मात्र नाम दूसरे गुट से है। सीधा सा मतलब है कि सात जाने माने नामों ने एक नाम को चौतरफा घेर लिया है। हालांकि अभी आवेदन जमा होने में एक दो दिन बाकी हैं ऐसे में कितने और नाम सामने आएंगे यह नहीं कहा जा सकता है।
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दरअसल अभिमन्यु को राजनीति को पुराना अनुभव दूसरे दावेदारों की तुलना में अमूमन कम है। अभी तक सिर पर राजनीति के बड़े का नाम का साया था सो बहुत कुछ आसानी से मिल जाता है। अब जब पुराना बरगद नहीं है अभिमन्यु को अकेले ही परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। सिर पर विधानसभा चुनाव है इसलिए दूसरों से लड़ने के बजाए अपनों पर ही ऊर्जा खर्च करने की नौबत आन पड़ी। दूसरे गुट ने जोरदार फील्डिंग सजाई है। ताकि अभिमन्यु को घर में ही उलझा कर रखा जाए।
दावेदारों की संख्या ज्यादा इसलिए करवा दी गई ताकि हाईकमान के सामने यह साबित किया जा सके कि जनबल में उसके पास चेहरों के साथ मतदाता भी अधिक हैं। अब यह तो आसानी से समझा जा सकता है कि सात दावेदारों की संख्या को देखते हुए हाईकमान एक मात्र संख्या को अधिमान नहीं देगा। सात में से किसी एक को भी टिकट मिला तो बाकी साथी उसके साथ हो लेंगे। कुल मिला कर दल के अंदर ही ऐसी परिस्थितियां पैदाकर दी गई है, जिन्हें भेदने में अभिमन्यु की क्षमता के दर्शन होंगे।
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