हल्द्वानी : 31 मई को “मांग दिवस” के रूप में मनाएंगी सभी स्कीम

हल्द्वानी। स्कीम वर्कर्स के राष्ट्रीय फेडरेशन “ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन” के निर्णय के तहत 31 मई 2021 को पूरे देश भर में स्कीम वर्कर्स (सरकारी स्कीमों में काम कर रही आशा, आंगनबाड़ी, भोजनमाता जैसे पारिश्रमिक-मानदेय आधारित वर्कर्स) की मांगों को लेकर “मांग दिवस” मनाने का निर्णय लिया गया है। इस अवसर पर स्कीम वर्कर्स अपनी मांगों को लेकर जहां सम्भव हो केन्द्रों में कोरोना नियमों का पालन करते हुए मांगों के संबंध में पूरे देश में मांगों की तख्तियों के साथ प्रदर्शन करेंगी। जहां केन्द्रों में संभव न हो वहां अपने-अपने घर से ही मांगों को तख्तियों पर लिखकर प्रदर्शन किया जाएगा।

यह जानकारी देते हुए ऐक्टू नेता डॉ. कैलाश पाण्डेय ने बताया कि, ‘ऐक्टू’ से सम्बद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन, उत्तराखंड आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन, उत्तराखंड भोजनमाता यूनियन 31 मई (सोमवार) को इस देशव्यापी ‘मांग दिवस’ में बढ़ चढ़कर भागीदारी सुनिश्चित करेंगी व अपने अपने जिलों/ब्लॉकों में कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए मांग पट्टिकाओं के साथ प्रदर्शन करेंगी।

“ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन” की ऑनलाइन जूम मीटिंग में फेडरेशन की राष्ट्रीय संयोजक शशि यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय किया गया कि चार मांगों सभी स्कीम वर्कर्स को दस हजार रुपये मासिक कोरोना भत्ता देने, कोरोना काल में बिना किसी शर्त पचास लाख रुपए जीवन बीमा योजना को सभी स्कीम वर्कर्स पर लागू करो, स्कीम वर्कर्स को दस लाख रुपए स्वास्थ्य बीमा की गारंटी करो और कोरोना ड्यूटी के दौरान सभी स्कीम वर्कर्स को सुरक्षा उपकरण हर हाल में मुहैया कराए जाएं की मांगों को लेकर 31 मई ‘मांग दिवस’ मनाया जाएगा।

ऑनलाइन मीटिंग में उत्तराखंड सहित पूरे देश के विभिन्न राज्यों के आशा, आंगनबाड़ी, भोजनमाता, ममता आदि स्कीम वर्कर्स के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में सरकार की इस बात के लिए आलोचना की गई कि हर स्वास्थ्य संकट के समय स्कीम वर्कर्स को काम में झौंक दिया जाता है लेकिन उनके वेतन भत्ते और स्वास्थ्य संबंधी सुरक्षा को दरकिनार कर दिया जाता है।

ऐक्टू नेता डॉ. कैलाश पाण्डेय ने बताया कि, “कोरोना ड्यूटी में फ्रंटलाइन वर्कर्स होने के बावजूद आशा-आंगनबाड़ी वर्कर्स को अधिकांशतः पीपीई किट तो छोड़ दीजिए न्यूनतम जरूरी मास्क, ग्लब्ज और सेनेटाइजर तक उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं, यह उन्हें स्वयं खरीदने पड़ रहे हैं। कोरोना संक्रमित होने पर उन्हें स्वयं ही इलाज की जिम्मेदारी उठानी पड़ रही है और यह सब तब हो रहा है जबकि सरकार इन स्कीम वर्कर्स को फ्रंटलाइन वर्कर तो मानती है लेकिन न्यूनतम वेतन नहीं देती है न ही कोई कोरोना भत्ता। यानी अपनी सुरक्षा की खुद गारंटी लेते हुए स्कीम वर्कर्स को कोविड ड्यूटी के काम की जिम्मेदारी दो और संक्रमण होने पर पल्ला झाड़ लो। इसीलिए ‘सुरक्षा के साथ काम’ की मांगों को उठाने के लिए पूरे देश की स्कीम वर्कर्स एकजुट होकर 31 मई को ‘मांग दिवस’ मनाएंगी।”

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