भाजपा का क्राइसेस @ हल्द्वानी : कांग्रेस का ‘माई बाप कांड’ लोग भूले भी नहीं थे कि भाजपा में शुरू हो गया ‘दमुवाढूंगा स्यापा’, और लोग भी छोड़ सकते हैं पद — पार्टी सूत्र

तेजपाल नेगी

हल्द्वानी। कांग्रेस में पिछले सप्ताह हुए ‘माई बाप कांड’ को मुस्कराते हुए हाथों हाथ लेने वाली भाजपा के अंदर अब दमुवाढूंगा स्यापा शुरू हो गया है। इस मुद्दे पर भाजपा के दो पुराने नेता और जिला कार्यकारिणी के सदस्यों ने आज इस्तीफा सौंप दिया। कहा यह भी जा रहा है कि यदि ‘आपदा प्रबंधन’ न हुआ तो जल्दी ही भजपा के कुछ और नेता भी अपने पदों से इस्तीफे सौंप सकते हैं। हालांकि भाजपा के जिला अध्यक्ष ऐसी किसी भी संभावना से इंकार कर रहे हैं, लेकिन आज इस्तीफा देने वाले महेश जोशी ने 12 घंटे बाद भी जिला अध्यक्ष द्वारा उन्हें एक फोन तक न करने पर आड़े हाथों लिया है। वे कहते हैं कि यदि कुछ नेताओं को लगता है कि वे अकेले अपने दम पर पार्टी को विधानसभा चुनावों में जीत दिला सकते हैं तो उनकी यह गलतफहमी उन्हें मुबारक।

आज सुबह लगभग नौ बजे दुमुवाढूंगा क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले भाजपा की जिला कार्यकारिणी सदस्य महेश जोशी और नंदलाल ने जिला अध्यक्ष को जिला कार्यकारिणी पद से इस्तीफा भेज दिया। इसके बाद लगभग 12 बजे यह खबर डिजीटल मीडिया की सुर्खियां बनी। भाजपा की तरफ से कोई औपचारिक बयान ते जारी नहीं किया गया अलबत्ता जिला अध्यक्ष प्रदीप बिष्ट उनसे संपर्क करने वाले मीडियाकर्मियों को अपना औपचारिक बयान अवश्य देते रहे।
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आपको बता दें कि आज जिला कार्यकारिणी की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले महेश जोशी तो भाजपा में 27 साल से हैं और उन्होंने तत्कालीन ग्रामप्रधान पद से लेकर भाजपा संगठन में म​हामंत्री पद तक संभाले हैं। महेश जोशी कहते हैं— ”जब मैं नगर निगम चुनाव में अपनी पार्टी के प्रत्याशी डा. जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला को लेकर जनसंपर्क पर निकलता था तो लोग पूछते थे कि आप लोग हमेशा से दमुवाढूंगा के बाशिंदों को जमीन पर उनका मालिकाना हक दिलाने के हिायमती रहे हैं। अब जब केंद्र में और प्रदेश में भाजपा की सरकारें आ चुकी हैं और नगर निगम में भी भाजपा को ही बहुमत मिल जाता है तो हमारी मांग भूल तो नहीं जाएंगे। इस पर मैं कहा करता था ​कि ऐसा नहीं होगा। हुआ भी ऐसा ही नगर निगम में भी लोगों ने हमारी पार्टी को पूर्ण बहुमत दिया और मेयर भी भाजपा का ही चुना। यानि हल्द्वानी में ट्रिपल इंजन सरकार बन गई…यदि अब भी हम यहां के लोगों को उनकी जमीन का मालिकाना हक नहीं दिला सके तो… हम जनता से किस बात का और अधिकार मांग रहे हैं। बस यही सवाल मुझे पिछले साढ़े चार वर्षों से साल रहा था और आज मैंने और नंदलाल जी ने इस्तीफा देकर अपना पीछा इस सवाल से छुड़ाने का प्रयास किया है। ”
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लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती है वे आगे जोड़ते हैं ” पार्टी की 27 वर्षों से बिना किसी स्वार्थ के सेवा करने के बाद आज पद से इस्तीफा देना अच्छा तो नहीं लगा लेकिन दुख इस बात का रह गया कि जो हमारे जिले के मुखिया हैं.. उन्होंने इस्तीफा मिलने के बाद अपने कार्यकर्ताओं से अब 12 घंटे के बाद तक उन्हें फोन करना उचित नहीं समझा” वे कहते हैं ” हो सकता है कि कुछ लोगों को यह गलत फहमी हो गई हो कि वे चुनावों में बिना कार्यकर्ताओं के सहयोग लिए पार्टी को वोट दिला देंगे। तो यह गलत फहमी उन्हें ही मुबारक, हम कार्यकर्ताओं के सम्मान पर यकीन करने वाले लोग हैं। ”
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महेश जोशी कहते हैं कि उन्हें पार्टी से कुछ नहीं चाहिए था लेकिन दमुवाढूंगा मामले में पार्टी को और कितना अधिकार और समय चाहिए। वे साफ करते हैं कि उनकी इसके अलावा पार्टी से कोई नाराजगी नहीं है। लेकिन पार्टी के अंदर के सूत्र बताते हैं कि उनकी नाराजगी दमुवाढूंगा को लेकर तो थी लेकिन जो सममान उन्हें पार्टी की ओर से मिलना चाहिए था वह पार्टी नहीं दे सकी। उन्हें नए दायित्व दिए जाते समय हासिये पर रखा गया, इस्तीफे के पीछे वह दर्द भी छिपा है।
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खैर, अब जब चुनावी बिगुल बजने में कुछ ही समय बाकी रह गया है और सभी राजनैतिक दल अपने अपने कील कांटे ठोक पीट कर समय की तैयारी कर रहे हैं ऐसे में भाजपा में नेताओं के इस्तीफे किस ओर इशारे कर रहे हैं यह जानने के लिए हमने पार्टी के जिला अध्यक्ष प्रदीप बिष्ट से बात की। प्रदीप बिष्ट ने दमुवाढूंगा की बात छिड़ते ही अपना औपचारिक बयान दिया। वह यह कि भाजपा घोषणाओं को जमीन पर उतारने वाले पार्टी है। विकास के नाम लोगों ने पार्टी को वोट दिया था और हमने कांग्रेस के दो कदम आगे जाकर वहां अंबेडकर पार्क के निर्माण के लिए पांच करोड़ रूपये दिए। इसके अलावादो करोड़ की लागत से दमुवाढूंगा में सामुदायिक भवन बनाया जाएग। दो करोड़ की लागत कर पेयजल योजना इसी क्षेत्र के लिए स्वीकृत की गई। लेकिन कुछ लोगों को लग रहा है कि अभी भी विकास नहीं हुआ। कांग्रेस ने क्या किया था दमुवाढूंगा के लिए!
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जब उनसे पूछा गया कि इस्तीफा देने वाले नेताओं ने इस्तीफे में विकास को मुद्दा बनाया ही नहीं है। वे तो जमीन पर मालिकाना हक न दिला पाने की असफलता को लेकर हताश हुए हैं। प्रदीप कुछ देर चुप रहे फिर बोले बोले— इसकी भी कोई घोषणा बहुत जल्द ही होगी… देखते रहिए…!
जब उनसे पूछा गया कि चुनाव से ठीक पहले पद से त्यागपत्र देकर पार्टी की मजबूती पर प्रश्न चिह्न लगाने वाले नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रावाई भी हो सकती है। उन्होंने राजनीतिक बयान दिया, बोले— हर व्यक्ति को अपनी बात कहने का अधिकार है। लेकिन भाजपा जैसी अनुशानात्मक पार्टी में यह बात पार्टी फोरम में की जाती है। उन्हें कोई शिकायत थी तो मंत्री से कर सकते थे। सीएम से बात की जा सकती थी। संगठन के स्तर पर आवाज उठाई जा कती थी, लेकिन ऐसा न करके पार्टी द्वारा दिया गया पद सार्वजनिक रूप से छोड़ने को क्या कहें…
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खैर यह तो थी पार्टी के अंदर इस प्रकरण के बाद पक्ष और विपक्ष की बात। खबर यह है कि अगले एक पखवाड़े के भीतर दमुवाढूंगा में भाजपा में और भूचाल आ सकता है। यदि समय रहते प्रबंधन न हुआ तो कुछ और पदाधिकारी भी भाजपा के पदों के छोड़ सकते हैं।

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