हल्द्वानी……. सनातन धर्म की आत्मा है नव संवत्सर , श्री महंत कालू गिरी महाराज

हल्द्वानी। नव संवत्सर हमारी वैदिक संस्कृति एवं सनातन धर्म की महान परंपरा का ध्वजवाहक है जिसका प्रादुर्भाव सृष्टि के आरंभ से ही हुआ। अलखनाथ मंदिर बरेली के पीठाधीश्वर तथा कालू सिद्ध धर्मार्थ समिति के अध्यक्ष श्री महंत कालू गिरी महाराज का कहना है कि जब इस ब्रह्मांड में कुछ भी नहीं था ना जल था ना थल था और ना नभ था सर्वस्व अंधकार ही अंधकार था तब केवल सदा शिव भोलेनाथ की निराकार ज्योति थी वही निराकार ज्योति लिंग स्वरूप ज्योति स्तंभ में परिवर्तित हुई उसी ज्योति स्तंभ से भगवान विष्णु एवं उनकी कमलनाल से ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई उन्होंने कहा कि ब्रह्मा द्वारा भगवान शिव के आदेश से सृष्टि का निर्माण शुरू किया गया और सृष्टि निर्माण के साथ ही नव संवत्सर जिसे कालगणना कहते हैं।

उन्होंने कहा कि सनातन धर्म ही समस्त ब्रह्मांड का एकमात्र धर्म है उसके बाद अलग-अलग संप्रदायों का उद्गम हुआ और लोगों ने अपने अपने तरीके से कालगणना मनाना शुरू कर दिया कालांतर में हमारे इस महान परंपरा को संरक्षित करने के लिए उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने 2080 वर्ष पूर्व से सनातन धर्म की इस महान परंपरा को मनाने की शुरुआत की उन्हीं के नाम से इसे विक्रम संवत कहा जाता है वर्तमान में इसे 2080 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं तथा पिंगल नाम का संवत्सर 22 मार्च 2023 से शुरू हो रहा है श्री कालू गिरी महाराज जी ने कहा कि नव संवत्सर का सनातन धर्म को मानने वालों के लिए बेहद महत्व है क्योंकि इसी दिन भगवान राम का तथा युधिष्ठिर का राज्याभिषेक हुआ था और इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर सृष्टि के विकास का क्रम शुरू किया गया था मत्स्य अवतार के बाद कूर्म अवतार वराह अवतार नरसिंह अवतार वामन अवतार परशुराम अवतार राम अवतार कृष्ण अवतार और बुद्ध अवतार यह सब सृष्टि के विकास का ही प्रतीक है ।

उन्होंने कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नव संवत्सर की शुरुआत होती है और प्रतिपदा से लेकर नवमी तक बसंती नवरात्र मनाया जाता है जिसमें जगत जननी मां दुर्गा के नौ स्वरूप की पूजा होती है उन्होंने कहा कि इस दौरान सात्विक भोजन लेना चाहिए तथा अनावश्यक वार्तालाप से बचना चाहिए हमेशा सांसों की माला में अपने इष्ट आराध्य का सुमिरन करना चाहिए उन्होंने बताया कि 22 मार्च को सुबह 6:30 से 7:32 तक शुभ मुहूर्त है इस दौरान की गई घटस्थापना करना बेहद फलदाई होती है।

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