ऐसा प्यार कहां @ हरिद्वार : बेटे का अंतिम संस्कार कर लौटे पिता ने थोड़ी ही देर में फंदे पर झूल कर लगा लिया मौत को गले
हरिद्वार। यह कोई खबर नहीं है, यहां एक महाग्रंथ है रिश्तों की कच्ची डोर के मजबूत बंधन में तब्दील होने का। कोरोना काल में आज जब मौत के डर से बेटा मां बाप की सेवा टहल तो छोड़िए उनके अंतिम संस्कार से भी दूर भग रहा है। पिता अपने ही बेटे या बेटी की अर्थी को इसी डर से कंधा देने की हिम्मत नहीं जुटा पा हरा है ऐसे में एक पैरालाइज की बीमारी से ग्रस्त 14 वर्षीय किशोर की मौत का सदमा उसके पिता को ऐसा लगा कि उन्होंने आत्महत्या कर ली। पिता पुत्र के प्रेम की इस कहानी को सुनकर हर उस व्यक्ति की आंख नम हो गई जो बच्चों को पाल रहा है।
यह कहानी है हरिद्वार में एक पिता रंजीत और उनके 14 वर्षीय बेटे की। यहां के काशीपुरा इलाके में रहने वाले रंजीत का बेटा पैरालाइज की बीमारी से ग्रस्त था। रंजीत ने उसके इलाज के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी मेहनत मजदूरी करके जो भ्ज्ञी पैसा कमाया अपने बेटे के इलाज में लगाता रहा। लेकिन बेटे की बीमारी कम होने के बजाए लगातार बढ़ती ही रही। अंतत: ‘होई है जो राम रचि राखा’ वाली तुलसीदास की चौपाई सच साबित हुई। बेटे ने दम तोड़ दिया।
बेटे की मौत पर रंजीत तड़प कर रह गया। आसपास के लोगों और रिश्तेदारों ने उन्हें ढांढस बंधाया और बाकी परिवार के लिए हौसला रखने के लिए प्रेरित भी किया आज बेटे का अंतिम संस्कार कर दिया गया। अपने बेटे के अंतिम संस्कार के बाद जब रंजीत वापस लौटा तब भी उसका गम कम नहीं हुआ। उसने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना ने हर उस व्यक्ति को झकझोर कर रख दिया जिसके घर में बच्चे हैं।
घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने जानकारी जुटाई यह पता चला कि प्रथम दृष्टया बेटे की मौत के गम में पिता ने खुदकुशी कर ली।