लालकुआं न्यूज : 19 को गाजीपुर वार्डर में होनेवाली रैली में भाग लेने जाएंगे किसान महासभा के कार्यकर्ता

रीता खनका
लालकुआं।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में चल रहे किसान आन्दोलन को और गति प्रदान करने के लिए अखिल भारतीय किसान महासभा उत्तराखण्ड की बैठक किसान महासभा के राज्य कार्यालय दीपक बोस भवन बिन्दुखत्ता में आहूत की गई ।

अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनन्द सिंह नेगी ने कहा कि किसानों की फसलों को औने-पौने दाम में खरीदने, जमीनों को हड़पने और आम जनमानस की खाद्य सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए मोदी सरकार द्वारा लाये गए तीन काले कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए चल रहे किसान आनदोलन को और तेज करने के लिए 19 जुलाई को होने वाली रैली में उत्तराखण्ड से भी किसान महासभा के साथी गाजीपुर वार्डर में बढ़चढ़कर भागीदारी करेंगे ।

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आनन्द नेगी यह भी बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 22 जुलाई से संसद के मानसून सत्र के अंत तक संसद में किसान विरोध प्रदर्शन की तैयारी जोरों पर है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और यहां तक ​​कि पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक जैसे सुदूर राज्यों से किसान और नेता विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर पहुंच रहे हैं। एसकेएम की योजना के अनुसार, विरोध की योजना बनाई जाएगी और उसे व्यवस्थित और शांतिपूर्ण तरीके से अंजाम दिया जाएगा, जिसमें 200 किसान प्रतिदिन विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगे। एसकेएम दोहराता है कि भारत के किसानों को अपने देश की राजधानी में रहने और अपनी शिकायतों को संसद में ले जाने का पूरा अधिकार है, जो देश के लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्था है। किसानों को विरोध करने से रोकने का कोई भी प्रयास अवैध और असंवैधानिक होगा। इस संबंध में, एसकेएम के कई नेताओं ने एसकेएम और घटक संगठनों के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से वीडियो जारी किए हैं, जिसमें पूरे भारत के किसानों से विरोध में शामिल होने और अहंकारी केंद्र सरकार को दिखाने का आग्रह किया गया है कि किसानों के दृष्टिकोण और कारपोरेट हितो की सेवा के लिए सरकार द्वारा बनाए गए काले कानूनों को निरस्त करने हेतु किसान सरकार को अपनी बात समझाने के लिए दृढ़ हैं।

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नेगी ने बताया 17 जुलाई को, एसकेएम लोकसभा और राज्यसभा के सभी गैर-एनडीए सांसदों को पत्र जारी कर मांग करेगा कि वे संसद में किसानों की मांगों को उठाएं और सुनिश्चित करें कि इन मांगों पर चर्चा की जाए और संसद में कोई अन्य कार्य करने से पहले उन्हें पूरा किया जाए। ये पत्र सांसदों को उनके निजीआवास/कार्यालय पर पहुँचाए जाएंगे या उन्हें ईमेल किया जाएगा। एसकेएम दोहराता है कि यह सुनिश्चित करना गैर-एनडीए सांसदों का कर्तव्य है कि किसानों की मांगें संसद के एजेंडे में सबसे प्रमुख हों और उन्हें सरकार को किसानों और उनके मुद्दों को दरकिनार नहीं करने देना चाहिए। यदि विपक्षी दल किसानों को उनके समर्थन के बारे में गंभीर हैं, तो उन्हें केंद्र सरकार से सीधे संकल्प की भावना के साथ मुकाबला करना चाहिए जिस संकल्प को दिल्ली की सड़कों और सीमाओं पर किसान सात महीने के लंबे विरोध प्रदर्शन से दिखा रहे हैं ।

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अखिल भारतीय किसान महासभा के वरिष्ठ नेता बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि आमजनविरोधी तीन काले कृषि कानूनों को किसानों के राष्ट्रव्यापी आन्दोलन/विरोध के वाबजूद पूँजीपतियों की गुलामी को प्रतिबद्ध मोदी सरकार जबरन थोपना चाहती है इसके लिए मोदी सरकार की घोर निंदा करते हुए कृषि कानूनों के रद्द होने तक आन्दोलन जारी रखते हुए और तेज किया जायेगा ।

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बैठक में भाकपा माले के जिला सचिव कामरेड कैलाश पाण्डे ने भागीदारी करते हुए कहा कि मोदी सरकार करोना काल में स्वास्थ्य व्यवस्था पर ध्यान देने के वजाय करोना को अवसर बताकर लोगों को मौत के मुँह में धकेलते हुए पूँजीपतियों के लिए लाये गये कृषि कानूनों को लागू करने के लिए अभूतपूर्व किसान आंदोलन को भी कुचलने का कुत्सित प्रयास कर रही है हर मोर्चे पर फेल मोदी सरकार को अब सत्ता में बने रहने का बिलकुल भी अधिकार नहीं है । उन्होंने किसान आंदोलन को भाकपा माले का पूर्ण समर्थन था, है, रहेगा कहते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है सभी राजनीतिक दलों को किसान आन्दोलन का पुरजोर खुलकर समर्थन करना चाहिए ।

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बैठक में भुवन जोशी, ललित मटियाली, गोविन्द जीना, नैन सिंह कोरंगा, किसन बघरी, दौलत सिंह कार्की, हरीशचंद्र सिंह भण्डारी, पुष्कर दुबड़िया, आनन्द सिंह दानू, अंगद कार्की, कमल जोशी, शिवा कोरंगा, धीरज आदि ने भागीदारी की ।

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