नालागढ़… परेशानी:जाति प्रमाण पत्र न बनने को लेकर बंगाली समाज के लोगों में खासा रोष अगर जल्द ही जाति प्रमाण पत्र बनने नहीं हुए शुरू तो पूरे हिमाचल में किया जाएगा उग्र आंदोलन
नालागढ़। भारत देश को आजाद हुए करीबन 75 साल से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन आज भी हमारे देश के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित है और आज भी एक समाज के लोग अपने आप को गुलाम मान रहे हैं। और गुलामी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
मामला नालागढ़ के तहत रडयाली पंचायत के अंतर्गत प्रीत नगर का है जहां पर 1000 से ज्यादा बंगाली समाज के लोगों की आबादी है लेकिन आजादी के 75 साल भी जाने के बाद भी आज भी यह लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित है और उन्हें उनका हक भी नहीं मिल पा रहा है बंगाली समाज के लोगों का कहना है कि सरकार व प्रशासन के वह चक्कर काट रहे हैं और उनका आज तक जाति प्रमाण पत्र तक नहीं बनवाया जा रहा है जिसके चलते उन्हें खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है ।
बंगाली समाज के सुरेश कुमार,भोला राम,राजू ,शामू,अशोक सुरजीत,बलविंदर,अकबर,भोली देवी राणा नामक लोगों का कहना है कि जाति प्रमाण पत्र ना होने के कारण बच्चों की पढ़ाई लिखाई जन्म प्रमाण पत्र मृत्यु प्रमाण पत्र और आरक्षण के माध्यम से जो उन्हें शुहुलते मिलनी चाहिए थी वो उन्हें भारत देश के आजाद होने के 75 साल बाद भी नहीं मिल पा रही हैं और जाति प्रमाण पत्र के लिए सीएम जयराम ठाकुर से लेकर डीसी एसडीएम व अन्य अधिकारियों के पास चक्कर काटने को मजबूर है बंगाली समाज के लोगों का कहना है कि उनके बुजुर्ग अनपढ़ थे जिसके चलते उन्होंने रेवेन्यू रिकॉर्ड में अपना नाम बंगाला लिखा दिया और अब जब सारा कामकाज ऑनलाइन हो चुका है और अब सरकार द्वारा बनाए गए पोटलों पर बंगाला की जगह बंगाली जाति का नाम आ रहे हैं।
उनका कहना है कि सरकार अपने सरकारी पोटल व रेवेन्यू डिपार्टमेंट में बंगाली जाति सही करें और उनके जाति प्रमाण पत्र जल्द से जल्द बन सके साथ ही बंगाली समाज के लोगों ने कहा है कि चुनावों के समय में नेता लोग उनके पास आते हैं और वोट लेने के बाद शक्ल तक नहीं दिखाते उन्होंने कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों पर आरोप रखते हुए कहा है कि किसी भी पार्टी द्वारा उनकी समस्याओं का हल नहीं करवाया गया।
उन्होंने सरकार व प्रशासन को दो टूक शब्दों में चेतावनी देकर कहा है कि अगर जल्द ही उनकी इस समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वह आने वाले दिनों में पूरा बंगाली समाज एकत्रित होकर सरकार व प्रशासन के खिलाफ एक उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगा जिसकी जिम्मेवारी सरकार व प्रशासन की होगी । अब देखना यह होगा कि कब सरकार और प्रशासन जागते हैं और कब बंगाली समाज के लोगों को आ रही परेशानियों से निजात मिलती है।