हल्द्वानी…#ब्रेकिंग : अब हल्द्वानी जेल का बंदी रक्षक बनकर कैदी की मां से दस हजार ऐंठने की कोशिश, पुलिस ने 15 दिन बाद दर्ज किया मुकदमा
हल्द्वानी। अल्मोड़ा जेल में अपराध की पाठशाला अभी आप भूले भी नहीं होंगे कि अब हल्द्वानी जेल में बंद एक विचाराधीन कैदी की चोट का बहाना बनाकर उसकी मां से दस हजार की ठगी करने के प्रयास का मामला सामने आया है। पीड़ित महिला की शिकायत पर काठगोदाम पुलिस ने पूरे 15 दिन बाद मामला दर्ज कर लिया है। प्रकरण की जांच एसआई भुवन सिंह राणा को सौंपी गई है। इस मामले में सबसे बड़ा तथ्य यह है कि जिस व्यक्ति ने युवक की मां को ठगने का प्रयास किया वह अपने आप को जेल का बंदी रक्षक बता रहा था।
जानकारी के अनुसार सुल्ताननगरी, पूर्वी खेड़ा, गौलापार निवासी कमला लटवाल ने 26 सितंबर को दोपहर लगभग पौने तीन बजे उनके मोबाइल नंबर पर एक काल आई जिसमें काल करने वाले ने बताया कि वह जेल पुलिस का जवान राजीव है। तुम्हारे दो बेटे जेल में हैं, उनमें से छोटे बेटे दीपक लटवाल के पैर में फ्रैक्चर हो गया है और सिर पर आठ टांके आए हैं।’ कमला ने बताया उनके दोनों बेटे इस समय वास्तव में एक केस के सिलसिले में हल्द्वानी जेल में ही बंद हैं। ऐसे में जब राजीव नामक उस व्यक्ति ने छोटे बेटे के चोट लगने की बात की तो उन्हें सहसा उसकी बातों पर यकीन हो गया।
इसके बाद राजीव नामक उस शख्स ने कहा कि तुम्हारे बेटे को उपचार के लिए हल्द्वानी के सेंट्रल हास्पिटल ले जाना पड़ा, जहां उसने अपनी जेब से दस हजार रूपये खर्च करके उनके बेटे का उपचार करावाया। जब कमला ने उससे कहा कि वह उसके बेटे से उसकी बात करा दे तो उस व्यक्ति ने बताया कि अब उसे जेल में शिफ्ट कर दिया गया है।
इसके बाद उस व्यक्ति ने व्हाट्स अप पर किसी शिवम गंगवार बैंक आफ बडौदा का खाता नंबर और आईएफसी भेजकर कहा कि इस नंबर पर दस हजार रूपये आन लाइन ट्रांसफर कर दें। कमला ने बताया कि उन्होंने रूपये ट्रांसफर करने के बजाए जेल जाकर बेटे का हाल जानने का निर्णय लिया। जब वह गांव की कुछ महिलाओं के साथ जेल के गेटे पर पहुंची तो वहां तैनात बंदी रक्षक से उसने राजीव के बारे में पूछताछ की तो उसने बताया कि राजीव नाम का कोई शख्स जेल में बंदी रक्षक पद पर नहीं है। इसके बाद उस बंदी रक्षक ने भी उस व्यक्ति से बात की जिस की कॉल रिकार्डिंग कमला के पास है।
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कमला का कहना है कि इसके बाद अपने बेटे की खैरियत लेने के लिए वह जेलर से मिलीं। जेलर ने भी उस व्यक्ति से टेलीफोन पर कमला का पड़ोसी बनकर बात की। तब भी राजीव ने बताया कि दोपहर एक बजे उसकी ड्यूटी खत्म हो चुकी है और अब वह रात आठ बजे जेल गेट पर उन्हें मिलेगा। जहां वे उसे दस हजार रूपये दे सकते हैं। जेलर ने इसके बाद कमला को उनके बेटों से मिलवाया जिन्हें कोई चोट नहीं पहुंची थी।
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इसके बाद कमला काठगोदाम पुलिस थाने पहुंची और यहां राजीव नामक उस शख्स के खिलाफ लिखित शिकायत सौंपी। कमला को ‘राजीव’ ने जिस व्हाट्स अप नंबर से उसे अकाउंट नंबर भेजा था उसकी प्रोफाइल पिक्चर में खाकी वर्दी पहने दो अधिकारियों की फोटो लगी है। दोनों के ही मास्क पहने हुए हैं। इसलिए उनके चेहरे नहीं पहचाने जा रहे हैं।
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अब बड़ा सवाल यह है कि उत्तराखंड जेल पुलिस को संदेह के घेरे में खड़ा करने वाला यह मामला काठगोदाम पुलिस ने पहले दर्ज क्यों नहीे किया। 26 सितंबर को दी गई तहरीर के आधार पर 11 अक्टूबर को केस दर्ज करने के पीछे क्या कारण रहे। कमला बताती हैं कि उन्होंने पुलिस से थाने में जाकर कई बार इस बारे में पूछा लेकिन पुलिसकर्मियों ने कहा कि उस व्यक्ति से टेलीफोन पर बात हुई है और कोरोना संक्रमित होने के कारण वह नहीं आ पा रहा है। बताया गया कि वह बरेली का रहने वाला है। कमला का तो यह भी कहना है कि वह व्यक्ति आपको सारी बोल देगा, क्योकि इस प्रकार मजबूत केस नहीं बनता है। उन्होंने बताया कि कल वह सिटी मजिस्ट्रेट के पास गई थीं, संभवत: सिटी मजिस्ट्रेट के आदेश पर यह केस 15 दिन बाद दर्ज किया गया हो।
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जो भी हो जेल के भीतर की जानकारी को आधार बनाकर ठगी करने का यह प्रयास अंजाने में ही अब पुलिस के लिए नाक का सवाल बन गया है। अल्मोड़ा जेल का मामला सामने आने के बाद तो पुलिस के लिए इसे और भी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।