त्वरित टिप्पणी : जरूरी नहीं, कर्नल ही हों आप के सीएम का ‘फेस’
धनेश कोठारी
आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में 2022 का आम चुनाव कर्नल अजय कोठियाल के चेहरे के साथ ही लड़ेगी, यह जरूरी नहीं। आप प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पहले उत्तराखंड दौरे से तो यही संकेत मिल रहे हैं। उन्हें शायद अभी भी किसी ‘बड़े नाम’ वाले का इंतजार है।
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने रविवार के दिन देहरादून में आयोजित अपनी पहली प्रेस कांफ्रेन्स को यूं तो ‘फ्री बिजली’ के मुद्दे पर ही फोकस रखा। लेकिन मीडिया के सवालों पर उन्होंने सीएम के चेहरे को लेकर भी अपनी बात रखी। कहा कि उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी का मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा? यह वह आने वाले महीनों में दोबारा आने पर साफ कर देंगे।
याद होगा, कि कर्नल अजय कोठियाल के आम आदमी पार्टी ज्वाइन करने के दिन से खासकर समर्थकों ने उनकी छवि को उत्तराखंड के भावी मुख्यमंत्री के तौर पर ‘फ्रेम’ करना शुरू कर दिया था। ऐसे दावे भी होते रहे कि वह आम आदमी पार्टी के सीएम का तयशुदा चेहरा हैं। कर्नल के हाव-भाव से भी कुछ-कुछ ऐसा ही आभास हुआ कि जैसे ‘मुख्यमंत्री की कुर्सी’ ही उनकी सबसे बड़ी महत्वाकांक्षा है।
मगर, जो बात केजरीवाल की जुबानी सामने आई है, वह कर्नल की इस महत्वाकांक्षा पर ब्रेक भी लगा सकती है। यानि कि वे शायद ही आप से सीएम का चेहरा बन पाएं। जानकारों ने तो गंगोत्री विधानसभा के संभावित चुनाव के बारे आप के उस ऐलान को भी इसी विषय से नत्थी कर दिया था। जिसमें आप ने कर्नल को खास स्थिति में गंगोत्री के रण में उतारने की बात कही थी।
आप सुप्रीमो के जवाब से जो एक और मिलती-जुलती बात निकली, वह कि जैसे वह कर्नल से भी ‘कद्दावर’ नाम के आने की राह देख रहे हैं? इस बयान में उन्होंने दो दलों में ‘घुटन’ महसूस करने वाले नेताओं को ‘आप’ ज्वाइन करने का खुला आमंत्रण दिया। ऐसा शायद इसलिए कि टीम केजरीवाल को कर्नल में ‘बहुमत’ दिलाने वाला पोटेंशियल नहीं दिख रहा है या कि वह कर्नल का उपयोग महज सैनिक वोटों को हासिल करने के लिए करना चाहते हैं।
इस खुले आमंत्रण की एक वजह भाजपा और कांग्रेस की आंतरिक कलह पर भी टिकी हो सकती है। सत्तारूढ़ दल में चार महीनों के भीतर दो सीएम बदलने के बावजूद कुछ के ‘इंतजार’ की संभावनाएं भी फिलहाल समाप्त हो गई। तो इसी बीच असंतोष की चर्चाएं भी आम रही। जबकि नेता प्रतिपक्ष के चयन लेकर कांग्रेस पर भी सवाल बनें हुए हैं। संभवतः इसी कारण केजरीवाल ने अपने सारे पत्ते एक साथ खोलने की बजाए और भी होमवर्क को जरूरी समझा हो।
लिहाजा, ऐसे में तब तक कर्नल अजय कोठियाल को भी अपनी सियासी जमीन और मजबूत करनी होगी और अपनी ‘बड़ी इच्छा’ को भी जाहिर होने से बचना होगा।
(लेखक उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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