हिमाचल ब्रे​किंग… गगरेट से शुरू हुई भाजपा में बगावत, कई अन्य सीटों पर भी पार्टी में फूट सकती हैं विद्रोह की चिंगारियां, ऐसे में कैसे पूरा होगा नेताओं का सपना

तेजपाल नेगी
शिमला।
पूरे देश में भले ही कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़ कर जा रहे हों लेकिन हिमाचल में भाजपा में भी भगदड़ शुरू हो गई है। कांग्रेस के 6 बागी पूर्व विधायकों और 3 निर्दलीयों के भाजपा में शामिल होने के बाद हिमाचल भाजपा में भी कांग्रेस जैसे हालात पैदा होगए हैं। चैतन्य शर्मा के भाजपा में जाने के बाद गगरेट व चिंतपूर्णी के पूर्व विधायक राकेश कालिया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। राकेश कालिया ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष राजीव बिंदल को इस्तीफा भेजा है।


कालिया ने साफ तो नहीं किया है कि लेकिन चर्चा है कि उनकी कांग्रेस में वासी हो सकती है। फिलहाल उन्होंने कहा है कि चिंतपूर्णी और गगरेट विधानसभा के समर्थकों के साथ चर्चा करके वह अगला कदम उठाएंगे। अपने त्यागपत्र में लिखा है कि भ्रष्ट लोगों के कांग्रेस में जाने के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ी थी, अब ये लोग भाजपा को प्रदूषित करने आ गए हैं।


आने वाले दिनों में कुटलैहड़ व लाहुल स्पीति से रामलाल मार्कंडेय पहले ही हर हाल में चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। ऐसे में नए समीकरणों के साथ उनका तालमेल केसा रहेगा यह जल्दी ही साफ हो जाएगा। देहरा से पूर्व मंत्री रमेश ध्वाला ने भी होशियार सिंह पर तीखे हमले बोलने शुरू कर दिए हैं। वे मीडिया से बातचीत में होशियार सिंह को व्यापारी बता चुके हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस से आए निर्वतमान विधायकों ने भाजपा में पार्टी के टिकट पर ही चुनाव लड़ने की शर्त के साथ एंट्री ली है।


राकेश कालिया की तरह देहरा, कुटलैहड़, धर्मशाला, लाहौल स्पीति, सुजानपुर, नालागढ़, बड़सर में भी भाजपा में विरोध की चिंगारी जल्दी ही फूट सकती है।


प्रदेश में बहुमत वाली सरकार बनाने के लिए दोनों दलों को 35 विधायकों की आवश्यकता रहेगी। बहुमत साबित करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के अलावा 34 विधायकों का संख्या बल जरूरी है। विधायकों की संख्या बराबर होने पर ही विधानसभा अध्यक्ष मतदान कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें 👉  सोलन ब्रेकिंग: पुलिस ने दबोचा नशे की गोलियों का सप्लायर, टेपेंटाडोल की प्रतिबंधित छह सौ गोलियां और दस हजार की नकदी बरामद

अभी विधानसभा अध्यक्ष सहित कांग्रेस के पास विधायकों की संख्या 34 हैं। ऐसे में अगर बहुमत साबित करने के लिए उसे एक विधायक की जरूरत है जबकि भाजपा को इस जादुई आंकड़ा छूने के लिए पूरे दस विधायकों की आवश्यकता होगी। मान लिया जाए कि भाजपा सभ्ज्ञी नौ सीटों पर होने वाले उप चुाव जीत जाए तब भी उसे एक विधायक की जरूरत होगी।

यह भी पढ़ें 👉  कांग्रेस सरकार के शासन काल में पेंशनरों को और कर्मचारियों को नहीं मिल पा रहा अपने हक का पैसा

ऐसे में सरकार पलटने के लिए भाजपा को अभी और तिकड़में लगानी होंगी। जबकि भाजपा के भीतर अभी से खलबली मची हुई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *