रामशहर : शक्ति ही संपूर्ण ब्रह्माण्ड की रचना करती है : स्वामी हरि चेतनानंद
रामशहर। स्वयं प्रगट दुर्गा माता मंदिर मितियां राम शहर में श्रीमद् देवी भागवत कथा के तीसरे दिन महामंडलेश्वर स्वामी हरि चेतनानंद जी हरिद्वार ने कहा सर्वत्र व्याप्त रहने वाली आदिशक्ति ही ब्रह्म है। भगवती के भक्त को सम्यक रूप से उपासना और चिंतन करना चाहिए।
मां भगवती भगवान विष्णु में सात्विकी शक्ति के रूप में रहती है ब्रह्मा में राजसी शक्ति के रूप में रहती है शिव मैं तामसी शक्ति के रूप में रहती है शक्ति के बल पर ही ब्रह्मा सृजन विष्णु पालन शिव संहार करते हैं शक्ति ही संपूर्ण ब्रह्माण्ड की रचना करती है।
सबका पालन करती है और इच्छा अनुसार चराचर जगत का संघार करती है ।देवता शक्ति युक्त होने पर ही अपने कार्यों को संपादित करते हैं। प्रत्येक कार्य कारण में वही शक्ति प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होती है।
स्वामी जी ने कहा देवी भागवत की कथा सारस्वत कल्प में हुई । अरणि मंथन के द्वारा शुकदेव जी की उत्पत्ति भीष्म पितामह के पूर्व का वृतांत एवं महाभाष्य और गंगा जी का ब्रह्मलोक में मिलन सत्यवती की उत्पत्ति का प्रसंग भक्तों ने श्रवण किया है । सारा संसार शक्ति के द्वारा ही संचालित हो रहा है ।
सूर्य में प्रकाशिका शक्ति भी भगवती की है शक्ति के दो रूपों का वर्णन श्रीमद् देवी भागवत में है एक विद्या का एक अविद्या का विद्या बंधन से मुक्त करती है अविद्या जीव को बंधन में डालती है। साधक को विद्या को केंद्र बनाना चाहिए। हमारी ऋषि परंपरा भी शक्ति उपासना की रही है। वशिष्ठ विश्वामित्र पाराशर व्यास अगस्त ऋषि यह सब शक्ति के उपासक है ।अगस्त जी पैदा घड़े से होते हैं और तीन चुल्लू में सारा समुद्र पी जाते हैं।
यह अपार शक्ति मां भगवती की कृपा से प्राप्त की स्वयं प्रगट दुर्गा माता मंदिर में दूर-दूर से भक्त आकर कथा श्रवण कर रहे हैं। पूरे मंदिर को फूलों से सजाया गया है मंदिर प्रबंध कमेटी ने आने वाले भक्तों के लिए लंगर की व्यवस्था भी की है।