बागेश्वर… #सुंदरढुंगा ग्लेशियर हादसा : बर्फ ने लाड़ले “खिलाफ” को हमेशा के लिए अपनी गोद में छिपा लिया, सर्च आपरेशन समाप्त, गुमशुदगी की रपट और किरिया एक साथ

तेजपाल नेगी साथ में सुष्मिता थापा

बागेश्वर। गाइड खिलाफ सिंह दानू जीवित है या हिमालय के ग्लेशियरों ने अपने लाड़ले को हमेशा के लिए अपनी गोद में छिपा लिया है। दिल कहता है वह जीवित है लेकिन दिमाग दिल से आगे तर्कों की झड़ी लगाकर पूछता है कि जीवित है तो है कहां…? बस इस सवाल के आगे दिल घुटनों के बल बैठ जाता है। शायद यही वजह है कि दिल की मानते हुए उसके भाई आनंद सिंह ने खिलाफ सिंह के ग्लेशियरों के बीच गुम हो जाने की तहरीर पुलिस को सौंपी है। लेकिन दिमाग की मानते हुए परिवार के लोगों ने उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया है। दिल और दिमाग की इस जंग के बीच ईश्वर की महिमा का भी ख्याल ही व्यक्ति को है…यानी चमत्कार । जो भी हो खिलाफ सिंह शायद अब हमारे बीच नहीं हैं। उनकी यादें उनकी बातें, उनके काम और उनके तीन मासूम बच्चे…जिनके सिर से पहले मां और अब बाप का साया चुपके से हट गया।


उसे बचपन से ही हिमालय के ग्लेशियर दोनों बाहें पसारे अपनी ओर बुलाते थे। यही वजह है कि वह मौके बे मौके इन बर्फ के पहाड़ों की ओर दौड़ लगाता। बर्फ में जाने की मां बाप की सभी ताकीदें एक किनारे कर वह अपनी मर्जी करता। शायद इसीलिए नाम पड़ा खिलाफ सिंह। बड़ा हुआ तो बर्फ से प्यार और मजबूत हो गया। सुंदरढुंगा ही नहीं आसपास दूसरे ग्लेशियर भी उसने कई बार कदमों से नाप डाले। और वक्त गुजरा तो उसने ट्रेकिंग के सहारे ही परिवार चलाने का निर्णय लिया। कुछ प्रशिक्षण और बाकी लगन वह ट्रेकिंग गाइड बन गया। बाछम गांव का चहेता गाइड खिलाफ…

गाइड खिलाफ सिंह के मासूम बच्चे

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कुछ समय पहले पत्नी की जिंदगी की डोर टूटी तब भी खिलाफ सिंह ने उम्मीद की डोर नहीं छोड़ी। दो बेटियों और एक दिव्यांग बेटे की बिखरी गृहस्थी को समेट कर वह एक बार फिर से जिंदगी की पटरी पर आगे बढ़ने लगा था। फिर से ट्रेकरों को उनके चहेते गाइड खिलाफ सिंह का साथ मिलने लगा था। यह ट्रेकिंग की विषम परिस्थितियों में जिंदा रहने की ट्रेनिंग का ही असर रहा कि उसने घोर विपरीत पारिवारिक परिस्थितयों में उम्मीद का दामन छोड़ा।

गाइड खिलाफ सिंह gile photo

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भले ही इंसान ने तकनीक के क्षेत्र में जबरदस्त तरक्की हासिल कर ली हो, मगर सुंदरढूंगा में कुदरत की भयंकर चुनौतियों के आगे ये तरक्की बहुत बौनी साबित हुई है। गाइड खिलाफ सिंह दानू की खोज में निकली रेस्क्यू टीम को न जीवित खिलाफ मिले, न पार्थिव शरीर और ना ही हड्डियां। गाइड खिलाफ सिंह या तो बर्फ की मोटी परत में दब गए या फिर ऐसी सर्द दरारों में फंस गए, जहां से वो फिर नहीं निकल सके।

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सुंदरढूंगा ग्लेशियर में लापता गाइड खिलाफ सिंह दानू का शुक्रवार को भी कहीं पता नहीं चल सका है। एसडीआरएफ व स्थानीय लोगों की टीम वापस आ गई हैं। भारी बर्फबारी के चलते अब प्रशासन ने गाइड खिलाफ की खोज के लिए छेड़ा गया सर्च आपरेशन औपचारिक रूप से बंद करने का ऐलान कर दिया है। इधर खिलाफ सिंह के भाई आनंद सिंह ने पुलिस में भाई की गुमशुदगी दर्ज कराई है। वहीं गांव से मिल रही जानकारी के अनुसार परिजनों ने उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया है। विगत दिनों सुंदरढ़ूंगा ट्रैक पर पांच बंगाली ट्रैकर समेत पांच स्थानीय ग्रामीण बतौर गाइड व पोर्टर निकले थे। अक्टूबर के महीने में अचानक मौसम खराब हो गया। साथ में गए चार पोर्टर जैसे तैसे वापस लौट आए और पांच बंगाली ट्रैकर समेत गाइड लापता हो गए थे।

गाइड खिलाफ सिंह

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छः दिन की कड़ी मेहनत के बाद ट्रैकरों के शव तो निकाल लिए गए, लेकिन गाइड खिलाफ सिंह का अभी तक पता नहीं चल सका। बंगाली ट्रैकरों के पार्थिव शरीरों को निकालने के बाद प्रशासन ने दो दिन तक खिलाफ की तलाश में ग्लेशियरों में सर्च आपरेशन जारी रखा, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। हार कर अब प्रशासन ने सभी रेस्क्यू टीमों को वापस बुला लिया है। वहीं गांव परिजनों ने 18 अक्टूबर को उनकी मृत्यु तिथि मानते हुए उनकी किरया भी शुरू कर दी। एसडीएम कपकोट पारितोष वर्मा ने रेस्क्यू अभियान रोकने की पुष्टि करते हुए कहा कि खिलाफ सिंह की खोजबीन के लिए दो दिन तक एसडीआरएफ की टीम ने मौके पर जाकर खोजबीन की, लेकिन हर दिन कई फ़ीट जम रहीं बर्फ व खराब मौसम के कारण रेस्क्यू टीम को काफ़ी मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिली। अब टीम को वापस बुला लिया गया है।

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अब सुंदरढूंगा ग्लेशियर के एक्सपर्ट टूरिस्ट गाइड खिलाफ सिंह इस ग्लेशियर में ही विलीन हो गये हैं। जल्द ही प्रशासन उनका मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर देगा। दुर्भाग्य देखिए कि वर्षों का तजुर्बा भी खिलाफ की जान नहीं बचा सका। शायद इसी दिन के लिए अजीम बेग अजीम कह गए थे ‘गिरते हैं शह सवार ही मैदान ए जंग में।’

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