हल्द्वानी… #आखों देखी : कांग्रेस की रैली की ऐसी बातें जो आप वहां होते हुए भी न देख पाते, पढ़ें और जानें कि आपने क्यो छोड़ा

हल्द्वानी। कांग्रेस की बहु प्रतिक्षित विजय शंखनाद रैली कांग्रेसी नेताओं को जोश के साथ होश से काम लेने के संदेश के साथ खत्म हो गई है। रैली में कांग्रेसी नेता जमकर भीड़ जुटाने में सफल रहे। लेकिन भीड़ पर नियंत्रण उनका नहीं दिखा। स्थनीय नेताओं के कार्यकर्ताओं के जोश का आलम यह था कि जब मुख्य वक्ता हरीश रावत बोल रहे थे। कार्यकर्ता अपने नेताओं के झंडे बैनर लेकर पंडाल छोड़ कर निकलने शुरू हो गए । हरीश रावत का भाषण समाप्त होने से पहले आधा पंडाल खाली हो चुका था। पढ़िये और भी क्या—क्या खास रहा रैली में, जिस पर लोगों की नजर नहीं पड़ी।

था स्वागत समारोह, हो गया शक्ति प्रदर्शन
यशपाल आर्य और उनके बेटे विधायक संजीव आर्य के कांग्रेस में शामिल होने की खुशी में जिला कांग्रेस ने विजय शंखनाद रैली प्रस्तावित की थी। उन दिनों भाजपा में गए कुछ और लोगों के कांग्रेस में लौटने की चर्चा से कांग्रेसी कार्यकर्ता व नेता गद्गद थे। लेकिन ऐन वक्त पर आपदा के आ जाने से कार्यक्रम स्थगित करना अब आर्या पिता—पुत्र को पार्टी में आए इतने दिन हो गए हैं कि उनके स्वागत का कोई औचित्य नहीं रह गया है। ऐसे में पूरा कार्यक्रम विधायक के टिकट के चाहवानों का शक्ति प्रदर्शन बनकर रह गया। मंच से लेकर पिछले छोर पर रखी आखिरी कुर्सी तक दावेदारों के खिले खिले चेहरे ही दिख रहे थे।

बसें भर—भर कर पहुंचे नेता
मंच और उसके आसपास कार्यकर्ताओं के मंडराने से खफा पार्टी के जिला अध्यक्ष सतीश नैनवाल ने कई बार स्वयं माइक संभाला। वे कई बार भावनाओं में भी बहे। उनके मुंह से निकल गया ‘आप लोग दूर दूर बसें भर—भर कर लाए हैं।’ इस पर पत्रकारदीर्घा में एक पत्रकार ने टिप्पणी की यहां भी ‘बसें भर कर ही लाई जा रही हैं। मतदाता को यहां भी पशु ही समझा जाता है।’

यशपाल आर्य की राम—राम
यशपाल आर्या ने अपने संबोधन की शुरूआत भगवान राम से की। वे कहना चाह रहे थे कि हल्द्वानी के पवित्र रामलीला मैदान से उनकी उनकी नई पारी शुरू हो रही है। लेकिन बात कुछ लंबी चली गई। इस पर एक पुराने कांग्रेेसी बोले— ये राम—राम करते हुए गए थे, राम राम करते ही लौटे हैं।

मेहमान आगे, मेजबान पीछे
मंच पर कांग्रेस के तमाम दिग्गजों के पहुंचने से पूर्व ही संजीव आर्या अपने समर्थकों की टोलीके बीच रामलीला मैदान पहुंचे। कुछ देर सेल्फी सेशन चला और इसके बाद संजीव मंच पर जा डटे। खाली मंच पर खड़े होकर पंडाल का नजारा देखते रहे। इस पर एक पत्रकार बोला— सम्मान समारोह में अतिथि पहले पहुंच गए मेजबानों को कोई पता नहीं।

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संजीव के चहेते पत्रकार
संजीव मंच पर पहुंचे तो कुछ पत्रकार उनके साथ सेल्फी लेने का मोह नहीं छोड़ पाए। बाकायदा मंच पर चढ़कर पत्रकारों ने उनके साथ फोटो खिचवाईं। एक महिला नेत्री के साथ भी पत्रकारों का फोटो शेषन कांग्रेसी नेताओं को कुछ अखरा।

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संजीव पुरूष और गणेश महिला
पंडाल के बीच प्रदेश के शीर्ष नेताओं के बड़े बड़े फोटोज लगाए गए थे। जिन खंभों पर यह फोटो लगे थे। उनके नीचे व्यवस्था के लिए महिला, पुरूष, पत्रकार आदि भी लिखा गया था। संयोग से जिस पोल पर संजीव आर्या का फोटो लगा था उसके ठीक नीचे पुरूष लिखा गया था और गणेश गोदियाल की फोटो के नीचे महिलाएं लिखा गया था। लोग इस पर भी चुटकी ले रहे थे।

यहां भी संध्या, वहां भी संध्या
मंच के ठीक सामने संध्या डालाकोटी की तस्वीर की तख्तियां लेकर दर्जन से अधिक लोग आ खड़े हुए। कई बार मना करने के बावजूद वे अपनी जगह से टस से मस नहीं हुए। मंच के सामने नेताओं की ओर मुंह करके संध्या के समर्थक खड़े थे और मंच पर नेताओं के पीछे संध्या मोर्चा संभाले खड़ी रहीं।

यहां सब बोल सकते हैं
कार्यक्रम में जब हरीश रावत बोल रहे थे, तो एक व्यक्ति रावत के नजदीक बैठे यशपाल आर्या से बतियाने लगा। रावत बाल रहे थे लेकिन वह व्यक्ति लगातार सामने खड़े होकर यशपाल आर्या से बात करता रहा। मंच पर खड़े नेताओं ने उसे हटाने का प्रयास किया तो वह और जोर—जोर से बोलने लगा। एक स्थानीय नेता ने उसके गले में फूलों की माला भी डाल दी। जब यशपाल आर्या ने उसे चुप करना चाहा तो रावत ने उन्हें टोक दिया बोले— यशपाल जी बोलने दीजिए उसे, यही तो कांग्रेस की विशेषता है यहां हर व्यक्ति बोल सकता है।

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फूल देई —छम्मा देई
हरीश रावत ने आर्या के स्वागत की तैयारियों और कांग्रेसी कार्यकताओं के जोश पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि यशपाल के समर्थक आज सुबह से ही नए कपड़े पहन कर ऐसे तैयार थे जैसे बच्चे फूलदेई त्योहार पर तैयार होते हैं। मैंने उन्हें बधाई भी दी। मैंने कहा कि आज खूब फूल देई कहना…इसके बाद रावत क्षण भर को रूके और आगे जोड़ा फूल देई कहना…छम्मा देई कहना… यह सुनते ही मंच पर बैठे सभी लोग हंसने लगे। यशपाल भी रावत का मंतब्य समझ कर हंसने लगें

सुमित का तिरंगा आदमी
पूर्व वित्तमंत्री स्व. इंदिरा हृदयेश के पुत्र सुमित हदयेश रैली में अपने समर्थकों के कंधों पर सवार होकर पहुंचे। उनकी टोली में एक व्यक्ति पूरे शरीर पर तिरंगा का रंग पोतकर हाथ में इंदिरा व सुमित हुदेश के नाम का तिरंगा झंडा लेकर चल रहा था। लोगों ने उसके साथ खूब सेल्फी खींची।

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