लालकुआं… मोहन बिष्ट के लिए कठिन है चुनाव की डगर, पवन चौहान ने रोते हुए भाजपा छोड़ी, बाकी दावेदार भी रणनीति बनाने में बिजी

लालकुआं। कल तो जो स्थिति कांग्रेस में थी आज वहीं हालात लालकुआं के भाजपा खेमेमें बन पड़े हैं। टिकट के तमाम छोटे—बड़े दावेदार अपने अपने समर्थकों के साथ अपने अपने आवासों पर बैठकर अपनी अगली रणनीति बना रहे हैं।


कांग्रेस ने हरीश रावत को लालकुआं सीट से टिकट देकर पिछले गलती को सुधारने का प्रयास किया तो भाजपा ने पहले तो छह साल के लिए निकाले गए मोहन सिंह रावत को पार्टी में शामिल किया और उसके बाद अचानक पार्टी के पुराने सभी दावेदारों के दावों को दरकिनार करते हुए उन्हें टिकट सौंप दिया। बकौल निर्वतमान विधायक नवीन दुम्का यह हतप्रभ कर देने वाला निर्णय है। वे स्वयं ही स्वीकार करते हैं कि हरीश रावत के लालकुआं से चुनाव लड़ने का फैसला करके कांग्रेस ने अपने आप कोमजबूत कर लिया है।

रोते हुए पार्टी छोड़ने का ऐलान करते पवन चौहान


कमोबेश अब लालकुआं के मतदाता भी अब ऐसा ही सोच रहे हैं। हरीश को एक मोर्चे पर तो भाजपा के मोहन बिष्ट को अब कई मोर्चों पर डैमेज कंट्रोल करना होगा। अब से कुछ देर पहले भाजपा के पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष पवन चौहान ने रोते हुए भाजपा को अलविदा कह दिया। अभी हेमंत द्विवेदी और प्रदीप बिष्ट ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। यह सारी स्थित मोहन बिष्ट के लिए असहज कर देने वाली है।


दूसरे निर्दलीय चुनाव लड़ने की स्थिति में उनके साथ खड़े गैर भाजपाई भी अब धीरे—धीरे उनसे किनारा करने लगे हैं। कुछ मिला कर भाजपा के आला नेताओं ने जल्दी ही हस्तक्षेप नहीं किया तो भाजपा लालकुआं में विकट परिस्थितियों में फंसने जा रही है।

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