हल्द्वानी…ब्रेकिंग न्यूज: खुल गया आसमान में सितारों की बारात का रहस्य, न तो उल्का पिंड और ना ही एलियंस तो फिर क्या थी वह चमकदार रोशनी
हल्द्वानी। 12 सितंबर की शाम कोे भीमताल से लेकर पिथौरागढ़ तक के आसमान पर चमकीली रोशनी की कतार के देखे जाने का रहस्य सुलझ गया है। दरअसल य न तो कोईे उल्का पिंड थे और ना ही एलियंस की बारात। इनके बारे में जो जानकारी सामने आई है वह भी कम रोचक नहीं है।
इससे पहले की हम आपको बताए कि यह रोशनी कब और कहां कहां देखी गई। इससे पहले दिसंबर 2021 में पंजाब के पठानकोट में भी ऐसी ही चमकदार लाइट की ट्रेल देखी गई थी। वहीं जून 2021 में गुजरात के जूनागढ़, उपलेटा और सौराष्ट्र के आसपास के क्षेत्रों में भी रात में ऐसी ही चमकदार रोशनी देखी गई थी। इस वर्ष जिस वक्त भीमताल के आसमान में यह लाईट ट्रेल देखी गई ठीक उसी समय लखनऊ में भी सितारों की यह बारात दिखाई पड़ी। इस दौरान उल्कापिंड और एलियन्स को लेकर अटकलों का बाजार गर्म था।
देखने वालों ने बताया था कि ऐसा लगा जैसे आसमान में कोई चमकदार ट्रेन चल रही हो। ऐसा नजारा कई शहरों में दिखाई दिया। लोगों ने इस नजारे को अपने कैमरे में कैद किया और सोशल मीडिया पर शेयर भी किया।
हल्द्वानी… आसमान में दिखा हैरतअंगेज नजारा, भीमताल से पिथौरागढ़ तक चलती दिखी टिमटिमाती रोशनी की श्रंखला
अब जानकारी मिली है कि आसमानपर चलने वाली रोशनी की यह ट्रेन न तो ये कोई उल्कापिंडोंकी कतार है और न ही एलियंस की बारात। दरअसल आसमान में रोशनी की ट्रेन की तरह दिखने वाली यह रोशनी कुछ और नहीं सैटेलाइट होती है। आमतौर पर ये स्टारलिंक की सैटेलाइट हैं। इन सैटेलाइट्स की संख्या 46 या उससे ज्यादा होती है।
यह नजारा स्टारलिंक सैटेलाइट की लॉन्चिंग के एक या दो दिन तक आसमान में देखा जा सकता है। क्योंकि तब सैटेलाइट्स पृथ्वी से ऊपर की ओर अपनी आर्बिट में जा रहे होते हैं। तब सूरज की रोशनी पृथ्वी के दूसरी तरफ से इनपर पड़ती है। इससे ये काफी चमकदार दिखते हैं।
हालांकि जब ये सैटेलाइट्स अपनी तय आर्बिट में पहुंच जाते हैं तो वे लोगों को बिना ऑप्टिकल की सहायता से नहीं दिखते हैं कारण है कि उस समय ये काफी ऊंचाई पर होते हैं।
स्टारलिंक की सैटेलाइट्स काफी ब्राइट हैं। इसलिए रात के समय आसमान में यह आसानी से दिखाई देती हैं। एक साथ चल रहे सैटेलाइट्स के समूह को मेगाकॉन्स्टेलेशन कहा जाता है। स्टारलिंक सैटेलाइट नेटवर्क का नाम है। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क इसके मालिक हैं। मस्क ने जनवरी 2015 में स्टारलिंक के जरिए इंटरनेट देने का प्रपोजल पेश किया था । इस दौरान इसे कोई नाम नहीं दिया गया था। मस्क ने उस वक्त कहा था कि कंपनी ने इंटरनेशनल रेगुलेटर्स से 4000 सैटेलाइट्स को पृथ्वी की आर्बिट में रखने की मंजूरी मांगी है।
यूएस फेडरल कम्युनिकेशंस कमिशन ने स्पेसएक्स को 12,000 सैटेलाइट को भेजने की अनुमति दी है। आगे यह संख्या 30,000 तक हो सकती है।
2018 में स्पेसएक्स के दो टेस्ट सैटेलाइट और ज्पदज्पदठ लॉन्च किए गए। मिशन सफल रहा। इसके बाद 23 मई 2019 को स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट से पहले 60 स्टारलिंक सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। तब से स्पेसएक्स एक बार में 46 से 60 स्टारलिंक सैटेलाइट्स को लॉन्च करता रहा है।
एलन मस्क ने सितंबर 2021 में ही जाहिर कर दिया था कि वह भारत में स्टारलिंक की इंटरनेट सेवाएं शुरू करने जा रहे हैं। एक ट्वीट में मस्क ने यह जानकारी देते हुए कहा था कि रेगुलेटरी अप्रूवल प्रक्रिया चल रही है। स्टारलिंक सैटेलाइट्स का काम दूर.दराज के इलाकों को सैटेलाइट के जरिए तेज इंटरनेट से जोड़ना है। अभी हमें इंटरनेट की सुविधा फाइबर ऑप्टिक केबल से मिलती है। लेकिन स्टारलिंक ये सुविधा बिना किसी केबल के सैटेलाइट के जरिए देता है।
इसमें कंपनी एक किट उपलब्ध करवाती है जिसमें वाई.फाई राउटर, पावर सप्लाई, केबल और एक माउंटिंग ट्राइपॉड दिया जाता है। राउटर सीधे सैटेलाइट से कनेक्ट होता है। स्टारलिंक का इंटरनेट फाइबर ऑप्टिक केबल की तुलना में 47 प्रतिशत तेज है। स्टारलिंक फिलहाल ऑस्ट्रेलिया, चिली, ब्रिटेन और अमेरिका समेत 40 देशों में इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध करवा रही है।