हल्द्वानी…काउंट डाउन : 3 दिन शेष — इस बार आक्रामक राजनीति से कांग्रेस ने भाजपा को दिया दिया जवाब, मिल सकती हैं इतनी सीटें
हल्द्वानी। इससे पहले कि टीवी चैनलों पर एक्जिट पोलों की धमाचौकड़ी शुरू हो। हमने आपको बताना शुरू कर दिया है कि राजनैतिक दलों की किन खामियों और किन खूबियों को आधार मानकर उत्तराखंड के लोगों ने मतदान किया। अब बारी कांग्रेस की… पांच साल सत्ता से बाहर रहने के बाद कांग्रेस उत्तराखंड में मजबूत होती दिख रही है। उसकी झोली में उत्तराखंडवासियों ने कितनी सीटें डाली हैं यह तो 10 को साफ हो सकेगा लेकिन कई स्त्रोतों से जुटाई गई जानकारी के आधार पर हम कह सकते हैं कि इन खामियों और खूबियों के कारण लोगों का रूझान कांग्रेस की ओर हुआ।
कांग्रेस की खामियां
1.प्रदेश कांग्रेस में नेतृत्व के लेकर सवाल हमेशा जिंदा रहता है। नेता अपने—अपने गुटों के नेताओं के नाम आगे बढ़ाते रहते हें। उनकी इस आपसी जंग में कांग्रेस की संगठनात्मक पकड़ आम जनता में कम हो जाती है। 2. कांग्रेस में टिकट वितरण के बाद गुटबाजी सामने आई। टिकट के कई दावेदार आधिकारिक प्रत्याशियों के समर्थन में खुलकर नहीं आए। 3.उत्तराखंड के कई इलाकों में कांग्रेसी नेता अपनी सुखसुविधाओं को नहीं छोड़ सके और जब उन्हें जनता के मुद्दों को लेकर सड़कों पर होना चाहिए था तब वे अपने घरों में बैठे थे। 4. कांग्रेसी नेता सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय नहीं रहते। यही वजह है कि वे कांग्रेस हमेशा सोशल मीडिया वार में पिछड़ जाती है। यहां के चुनावों में भी ऐसा ही देखने को मिला। 5. कांग्रेस का बूथ लेबल पर प्रबंधन कमजोर रहता है। 2. कांग्रेस आखिर तक सर्वसम्मति से सीएम के चेहरे को घोषित नहीं कर सकी है। 6. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के वोटों पर ज्यादा सेंधमारी की।
कांग्रेस की खूबियां
1.कांग्रेस के चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने इस बार भाजपा के खिलाफ आक्रामक चुनाव प्रचार किया। 2. भाजपा के बड़े नेताओं ने हरीश रावत का नाम लेकर लेकर उनपर निशाने साधे, इससे जनता के सामने हरीश रावत का कद बड़ा होता गया। 3. किसानों से लेकर बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों तक कांग्रेस सड़कों पर उतरी। 4. पुलिस व राज्य सरकार के कर्मचारियों की कर्मचारियों की मांगों को कांग्रेस नेताओं अपने घोषणापत्र में शामिल किया। 5. कांग्रेस के घोषणा पत्र में सस्ते गैस सिलेंडर आदि मुद्दों को रखकर जनता की दुखती नब्ज पकड़ी गई। 6. युवाओं मतदाताओं को देखते हुए कांग्रेस ने कई सीटों पर युवा उम्मीदवार मैदान में उतारे।
निष्कर्ष :
तमाम अच्छाइयों व बुराइयों पर नजर डालने के बाद लग रहा है कि इस चुनाव में अपने दम पर पूर्ण बहुमत हासिल कर लेगी। फिलहाल कांग्रेस 33—38 पर जा ठहरेगी।
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