हल्द्वानी… #राजनीति: इस बार नैनीताल जिले की तमाम सीटों पर निर्दलीय कसेंगे भाजपा कांग्रेस और आप की नकेल, इन सीटों पर लड़ सकते हैं निर्दलीय

तेजपाल नेगी

हल्द्वानी। भाजपा के खिलाफ एंटी इंकबेंसी की लहर, कांग्रेस की गुटबाजी व दूसरी नीतियों से नाराजगी और एन वक्त पर छाई आप की उदासीनता ने कम से कम नैनीताल जिले में निर्देलीय उम्मीदवारों के लिए मुफीद माहौल खड़ा कर दिया है। फिलहाल राजनैतिक दल यहां जिस ट्रेक पर चल रहे हैं उससे तो यही लग रहा है कि दमदार निर्दलीय प्रत्याशी यहां जीत हासिल नहीं कर सके तो जीतने वाले दावेदार का समीकरण अवश्य बिगाड़ेंगे। हालांकि अभी टिकटों की घोषणा नहीं हुई है इसलिए टिकिटार्थियों के खेमों में असमंजस की स्थिति है। निर्दलीय वाले फैक्टर का ऊंट किस करवट बैठेगा यह आने वाले दिनों में ही पता चल सकेगा। राजनैतिक दलों में दावेदारों की संख्या को देखकर तो यही लग रहा है कि इस बार चुनावों में भीतरघात और निर्दलीय दावेदारी अपना काम अवश्य करेगी।

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नैनीताल जिले मे बात नैनीताल विधानसभा सीट की करें तो कांग्रेस में यहां विद्रोह की मशाल जल चुकी है। महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष सरिता इस मशाल को थाम चुकी हैं। दरअसल सरिता आर्या पूर्व विधायक हैं और संजीव आर्या ने पिछले चुनाव में उन्हें 7247 वोटों से पटखनी देकर भाजपा के लिए यह कुर्सी छीनी थी। कट 2…
अब सीन बदल चुका है संजीव आर्या अपने पिता यशपाल आर्य के साथ कांग्रेस में वापसी कर चुके हैं। वह सरिता आर्या जो कल तक उनकी धुर विरोधी थीं आज उनकी अगुवानी करने पर विवश हैं। निश्चित है संजीव व यशपाल को कांग्रेस ने मनमाफिक सीट से टिकट देने का वायदा भी किया ही होगा। ऐसे में सरिता आर्या का हत्थे से उखड़ना जायज भी है। उन्होंने खुले आम कह दिया है कि उन्हें नैनीताल से टिकट नहीं मिला तो वे निर्दलीय चुनाव लड़ने के बारे में सोच सकती हैं। साफ है लोगों की सहानुभूति भी उनके साथ होगी। अगर ऐसा होता है तो वे भले ही जीतें ना लेकिन किसी का भी खेल बना या बिगाड़ सकती हैं।

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अब पहुंचते हैं भीमताल, यहां भी पिक्चर कमोबेश नैनीताल जैसी ही है। राम सिंह कैड़ा यहां से निर्दलीय चुनाव जीते थे लेकिन अब वे भाजपा में हैं। उनके हाथों हार का मुंह देखने वाले भाजपा नेता अब उन्हें अपने घर में देखकर तुनके हुए हैं। पिछले चुनावों में कैड़ा ने भाजपा के गोविंद बिष्ट को 3446 वोटों से पराजित किया था। कट 2…
अब कैड़ा भाजपा में शामिल हो गए हैं। तय है कि भाजपा ने उन्हें भी अिकट न काटे जाने का अभयदान दिया होगा। ऐसे में गोविंद सिंह बिष्ट का टिकट के साथ भीमताल से पत्ता भी कटना तय है। कैंड़ा के भाजपा में आने का सबसे ज्यादा नुकसान बिष्ट को ही होगा। इसलिए वे भी इन दिनों अपनी ही पार्टी के नीति निर्धारकों से बितके हुए हैं। एक दो जगह वे भी ​भाजपा से टिकट ने मिलने की स्थिति में निर्दलीय ही मैदान में उतरने की बात कर चुके हैं।

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कालाढूंगी में कांग्रेस की ओर से संभवत: इस बार प्रकाश जोशी मैदान में न उतरें, तो उनके स्थान परमहेश शर्मा अपनी तैयारी कर रहे हैं। लेकिन खबर यह है कि यहां भी कांग्रेस के दूसरा खेमा उनकी मेहनत पर पानी फेरने की तैयारी किए बैठा है। यहां पर महिला नेत्रियों सहित कुछ दूसरे कांग्रेसी नेता भी टिकट मांगने वालों की कतार में लगे हैं। इतने सारे दावेदारों में से किसी एक को टिकट मिलेगा और बाकी सारे नाराज होकर या तो घर बैठ जाएंगे या फिर इनमें से एक दो निर्दलीय खड़े होकर जीतने वाले के लिए परेशानी पैदा करेंगे। इस सीट पर भाजपा में भी टिकट के लिए मारामारी दिख रही है।

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अब बात लालकुआं की। यहां एक निर्देलीय ने तो पहले ही ताल ठोक रखी है। कांग्रेस, भाजपा और आप में भ्ज्ञी टिकट के चाहवानों की लंबी फेहरिस्त है। नाराजगी यहां भी यदि एक दो और निर्देलियों को मैदान में उतारती है तो टिकट पाने वाले प्रत्याशियों को सर्दियों में भी पसीने आना तय है।

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और अब बात कुमाऊं और नैनीताल जिले की सबसे महत्वपूर्ण सीट हल्द्वानी की। यहां के विधायक इंदिरा हृदयेश के निधन के वक्त कांग्रेस के तमाम नेताओं ने कहा था कि अब उनकी विरासत को सुमित हृदयेश संभालेंगे। इसके बाद सुमित ने अपनी तैयारी करनी शुरू कर दी है। इसके बावजूद यहां दीपक ब्ल्यूटिया, शशि वर्मा, हुकम सिंह कुंवर,ललित जोशी, खजान पांडे और शोभा बिष्ट जैसे नेता टिकट के दावेदारी कर रहे हैं। कट 2… यहां भी…
पिछले दिनों पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने कहा कि उन्होंने ऐसा कभी नहीं कहा कि इंदिरा के स्थान पर सुमित को टिकट मिले। उन्होंने तो कहा था कि इंदिरा जी के छूटे काम सुमित पूरा कराएंगे। अपनी शब्द चतुराई से हरीश रावत ने काफी कुछ कह दिया। शशि वर्मा यहां पहले ही टिकट न मिलने पर निर्देलीय लड़ने का दावा कर चुकी है। ऐसे में कुछ और कांग्रेसी भी टिकट न मिलने पर निर्देलीय की डगर पर आगे बढ़ सकते हैं।

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