रुद्रप्रयाग… #परंपरा: बाबा केदार का दर शीतकाल के बंद

रुद्रप्रयाग। केदार के धाम केदारनाथ मंदिर के कपाट भैया दूज के अवसर पर मंत्रोच्चारण के बीच शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस दौरान मंदिर परिसर में काफी संख्या में भक्तगण मौजूद रहे। भैयादूज के पावन पर्व पर शनिवार को परंपरानुसार भगवान आशुतोष के ग्याहरवें ज्योतिर्लिंग श्रीकेदारनाथ धाम के कपाट सुबह 8.00 बजे विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। इस मौके पर सैकड़ों भक्तों ने बाबा के दर्शन कर पुण्य अर्जित किया। 


सुबह चार बजे से ही मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना शुरू हो गई थी। मुख्य पुजारी बागेश लिंग ने आराध्य का शृंगार कर आरती उतारी। इस मौके पर स्वयंभू लिंग को समाधि रूप देकर पुष्प व भस्म से ढका गया। भगवान की भोग मूर्तियों को चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान कर भक्तों के दर्शनों के लिए कुछ देर मंदिर परिसर में रखा गया।


जिसके बाद विधि-विधान व धार्मिक परम्पराओं के तहत सुबह आठ बजे केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए शुभ लग्न पर बंद कर दिए गए। बाबा केदारा की डोली ने मंदिर की तीन परिक्रमा कर अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान किया। भक्तों के जयकारों के बीच डोली पैदल मार्ग से 17 किमी का सफर तय कर दोपहर को पहले पड़ाव रामपुर पहुंचेगी।


8 नवंबर को डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में छह माह की शीतकालीन पूजा-अर्चना के लिए विराजमान हो जाएगी। इस मौके पर देवस्थानम बोर्ड के अपर कार्यधिकारी बीड़ी सिंह, यात्रा प्रभारी वाईएस पुष्पवाण, तीर्थपुरोहित श्रीनिवास पोस्ती, देवानंद गैरोला, डॉक्टर विनीत पोस्ती आदि मौजूद थे।

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