उत्तराखंड…टीएसआर 1 की चाल : बीच समर में हाथ खड़े कर गए त्रिवेंद्र सिंह रावत या कुछ और है मामला

देहरादून। चुनाव से ऐन पहले पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लिखा गया पत्र कई बाते कह रहा है। हालांकि उथले स्तर पर समझा जाए तो एक बात बिल्कुल साफ है कि रावत अब विधानसभा चुनाव में अपना भाग्य नहीं आजमाना चाहते। अभी तक इशारों ही इशारों में अपनी बात कह रहे टीएसआर 1 का इसे महासमर के बीच हाथ खड़ा करना माना जाए या पिछले पांत में खड़े युवा नेताओं के लिए ईमानदारी से जगह देना। जो भी हो दूसरी वाली बात तो इस मामले में कम ही लग रही है। हालांकि उन्होंने अपने पत्र दर्शाने की यही कोशिश की है।


अब बात की जाए पत्र में छिपे अन्य निहितार्थों की तो पहली बात तो यह कि रावत अपने पत्र में बार बार संगठन में अपने पूर्व कार्यकाल की याद दिलाते दिख रहे हैं। मानो वह अपने ही उच्च पदाधिकारियों को बता रहे हों कि भले ही वह सीएम पद से ‘बड़े बेआबरू’ करके हटाए गए हों। लेकिन उनका कद आज भी बड़ा है। उन्होंने युवा मुख्यमंत्री का जिक्र करते हुए लिखा है कि युवा मुख्यमंत्री के नेतृत्व में युवा टीम के आगे बढ़ाने के उद्देश्य से वे डोईवाला सीट से चुनाव नहीं लड़ना चाहते। वे लिखते हैं वे धामी को दोबारा सीएम बनाने के लिए चुनाव लड़ने के बजाए उनके लिए प्रचार करने की जिम्मेदारी निभाने में रूचि रखते हैं।

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अब बात धरातल की। टीएसआर 1 का चुनाव क्षेत्र डोईवाला उनके मुख्यमंत्रित्व काल में भी हासिए पर रहा। जरा सोचिए की एक सीएम का उसके गृह क्षेत्र में पूरे हो रहे उसके डीम प्रोजेक्ट में भी गड़बड़ी करने की हिममत कोई अधिकारी या ठेकेदार कैसे कर सकता है। लेकिन ऐसा हुआ है। सतपाल महाराज ने इस पर जांच भी बिठाई है। त्रिवेंद्र के मुख्यमंत्री रहते हुए उनके पिछलग्गुओं के अलावा विधानसभा क्षेत्र में किसी का विकास नहीं हुआ।

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अब जब पांच साल के अपने विधायक कार्यकाल का ब्यौरा जनता के सामने रखने का वक्त आ रहा है तो त्रिवेंद्र इसी वजह से चुनाव न लड़ने का ‘बड़प्पन’ लेकर हाजिर हुए हैं। दरअसल चुनाव लड़ने के बजाए चुनाव लड़वाना ज्यादा सेफ गेम माना जाता है।

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इसमें खोने के लिए इतना ज्यादा कुछ नहीं होता, जबकि त्रिवेंद्र ने अपने पत्र में उनके द्वारा संभाले गए जितने पद गिनाए हैं, उनके रहते यदि वे चुनाव न जीत सके तो उनकी तमाम प्रतिष्ठा ही धूमिल हो जाएगी। वैसे पार्टी सूत्रों से एक और जानकरी मिल रही थी कि इस बार पार्टी रावत को चुनाव में रेस्ट देने के मूड में है। उन्हें पार्टी में बड़ा पद दिया जा सकता है। हो सकता है त्रिवेंद्र को यह भनक उन्हें भी लग गई हो और उन्होंने पार्टी से पहले अपना दांव चल दिया हो।

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लंबे सोच विचार की ​टीएसआर 1 ने नड्डा को पत्र लिखकर पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा की दुहाई देते हुए इस रिस्की गेम से क्विट करने अनुरोध आला कमान को भेजा है।

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