मुसीबत की बारिश : जब हरिद्वार से कानपुर तक हाई अलर्ट भेजकर एक साथ खोल दिए गए भीमगौड़ा बैराज के सभी गेट, फिर क्या हुआ

हरिद्वार। वर्ष 2013 की आपदा के बाद पहली बार गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से बहुत ऊपर निकल गया है। जलस्तर बढ़ने से हरिद्वार से लेकर कानपुर तक हाई अलर्ट जारी करने के बाद अधिकारियों ने भीड़गोड़ा बैराज के सभी गेट एक साथ खोलने के आदेश दे दिए। बैराज खुलने से गंगनहर के जरिये उत्तर प्रदेश के लिए सिंचाई को छोड़ा जाने वाला पानी बंद हो गया। उधर, बैराज के पानी के बहाव से चंडी टापू को जोड़ने के लिए महाकुंभ में बनाए गए अस्थायी पुल के एप्रोच में दरारें आ गईं। नमामि गंगे घाट पानी में डूब गए। गनीमत रही कि जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ।

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हरिद्वार के भीमगौड़ा बैराज की क्षमता 293.00 मीटर जलस्तर रोकने की है, इसे उततर प्रदेश सिंचाई विभाग देखता है। लेकिन पहाड़ों में लगातार बारिश से शुक्रवार रात अलर्ट जारी हो गया था। लिहाजा बैराज में भी सिंचाई विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मुस्तैद रहे।

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बैराज के वाटर असिस्टेंट निर्भय भारद्वाज के अनुसार, देर रात दो बजे गंगा का जलस्तर दो लाख 15 हजार 698 क्यूसेक पहुंच गया। इसके चलते कानपुर तक हाई अलर्ट जारी कर बैराज के 22 गेट एक साथ खोले गए। बैराज खुलते ही गंगा ने रौद्र रूप धारण कर लिया। 
बैराज से पानी छूटते ही चंडी टापू को जोड़ने वाले लोहे के अस्थायी पुल के ऊपर से पानी बहने लगा। इस दौरान गंगा में बोल्डर और जड़ समेत पेड़ बहकर आए। कई पेड़ पुल में फंस गए, जिससे पानी के बहाव से पुल की एप्रोच में दरारें आ गईं।

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जलस्तर बढ़ने से चंडी टापू पुल के पास बने नमामि गंगे के घाटों तक पानी पहुंच गया। अधिकतर घाट पानी में डूब गए। घाटों का निर्माण करीब 70 करोड़ रुपये से हुआ है।
गंगा का जलस्तर बढ़ने से खड़खड़ी श्मशान घाट स्थित पुल भी टूट गया। वहीं, चंडी घाट पर निर्माणाधीन पुल की सामग्री बह गई और तीन जेसीबी भी डूब र्गइं। परमार्थ घाट, कनखल और नमामि गंगे घाटों पर लगे आस्था कलश बह गए।

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