सावधान…महमारी :ब्रिटेन— स्पेन और कनाडा के बाद अमेरिका में पहुंचा मंकी पॉक्स, समलैंगिक पुरूष निशाने पर, डब्ल्यूएचओ अलर्ट

नई दिल्ली। ब्रिटेन के बाद मंकी पॉक्स वायरस अब अमेरिका में भी पैर पसार रहा है। कनाडा से मेसाचुसेट्स लौटे एक शख्स में बुधवार को इसके संक्रमण की पुष्टि हुई है। यह अमेरिका में इस साल मंकी पॉक्स का पहला केस है। गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में ब्रिटेन, स्पेन, पुर्तगाल और कनाडा में भी इस दुर्लभ बीमारी के दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं।

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भास्कर.कॉम की खबर के मुताबिक मंकी पॉक्स 1970 में पहली बार एक बंदर में पाया गया था, जिसके बाद यह 10 अफ्रीकी देशों में फैल गया था। मंकी पॉक्स बीमारी एक ऐसे वायरस के कारण होती है, जो स्मॉल पॉक्स यानी चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है। मंकी पॉक्स 1970 में पहली बार एक बंदर में पाया गया था, जिसके बाद यह 10 अफ्रीकी देशों में फैल गया था। 2003 में पहली बार अमेरिका में इसके मामले सामने आए थे। 2017 में नाइजीरिया में मंकी पॉक्स का सबसे बड़ा आउटब्रेक हुआ था, जिसके 75% मरीज पुरुष थे। ब्रिटेन में इसके मामले पहली बार 2018 में सामने आए थे।

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एक्सपर्ट्स के अनुसार, यह बीमारी दुर्लभ जरूर है, लेकिन गंभीर भी साबित हो सकती है। फिलहाल मंकी पॉक्स ज्यादातर मध्य और पश्चिम अफ्रीकी देशों के कुछ इलाकों में पाया जाता है। 6 मई को ब्रिटेन में मिला पहला मरीज नाइजीरिया से ही लौटा था।

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एक्सपर्ट्स का मानना है कि मंकी पॉक्स संक्रमित व्यक्ति के करीब जाने से फैलता है। यह वायरस मरीज के घाव से निकलकर आंख, नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। यह संक्रमित बंदर, कुत्ते और गिलहरी जैसे जानवरों या मरीज के संपर्क में आए बिस्तर और कपड़ों से भी फैल सकता है। मरीज 7 से 21 दिन तक मंकी पॉक्स से जूझ सकता है।

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स्पेन, पुर्तगाल में 40 तो ब्रिटेन में मंकी पॉक्स के 9 मामले मिलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की टीम भी एक्शन में आ गई है। एजेंसी समलैंगिक मरीजों में इस वायरस के संक्रमण की भी जांच कर रही है। वहीं, सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) संभावित मरीजों की पहचान के लिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग कर रही है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि फिलहाल मंकी पॉक्स के बड़े आउटब्रेक होने की आशंका नहीं है।

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यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (UKHSA) का कहना है कि ब्रिटेन में अब तक मिले मंकी पॉक्स के ज्यादातर मामलों में मरीज वे पुरुष हैं, जो खुद को गे या बायसेक्शुअल आइडेंटिफाई करते हैं। इसका मतलब कि इन पुरुषों ने पुरुषों के साथ संबंध बनाए हैं। यह देखते हुए एजेंसी ने समलैंगिक पुरुषों को आगाह भी किया है। अब तक मंकी पॉक्स को यौन संबंधित बीमारी नहीं माना गया है। फिर भी हेल्थ एक्सपर्ट्स ने गे और बायसेक्शुअल पुरुषों को चेतावनी दी है कि वे कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत सेक्शुअल हेल्थ चेकअप कराएं।

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UKHSA के मुताबिक, मंकी पॉक्स के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी छूटना, थकान और सूजी हुई लिम्फ नोड्स शामिल हैं। इसके बाद चेहरे पर एक तरह के दाने उभरने लगते हैं, जो शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकते हैं। संक्रमण के दौरान यह दाने कई बदलावों से गुजरते हैं और आखिर में चेचक की तरह ही पपड़ी बनकर गिर जाते हैं।

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CDC के मुताबिक, चेचक की वैक्सीन भी मंकी पॉक्स के संक्रमण पर असरदार साबित होती है। इस दुर्लभ बीमारी से बचने के लिए अमेरिका के फूड एंड ड्रग एसोसिएशन (FDA) ने 2019 में Jynneos नाम की वैक्सीन को मंजूरी दी थी। इसे यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी ने 2013 में ही अप्रूव कर दिया था। हालांकि, वैक्सीन को 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों पर ही इस्तेमाल किया जा सकता है।

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