अल्मोड़ा- पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल में वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक का शुभारंभ

अल्मोड़ा- गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल, अल्मोड़ा में दो दिवसीय वैज्ञानिक सलाहकार समिति की 31वी समीक्षा बैठक का शुभारंभ हुआ. यह बैठक प्रतिवर्ष संस्थान द्वारा वर्षभर किये गए शोध एवं विकास गतिविधियों की समीक्षा हेतु आयोजित की जाती है.

बैठक के प्रथम दिन अपने स्वागत उद्बोधन में संस्थान के निदेशक डा० सुनील नौटियाल ने उपस्थित वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सदस्य, वैज्ञानिकों, शोधार्थियों तथा संस्थान के अन्य सभी कर्मचारियों का स्वागत किया तथा उन्हें संस्थान के मुख्यालय तथा क्षेत्रीय केन्द्रों द्वारा किये जा रहे शोध एवं विकास सम्बंधित कार्यों से अवगत कराया।अपने संबोधन में वैज्ञानिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष डॉ एकलब्य शर्मा ने संस्थान द्वारा किये जा रहे कार्यो की सराहना की। इसके लिए उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों तथा शोधार्थियों को बधाई दी. उन्होंने संस्थान द्वारा कॉन्सॉर्टियम आधारित परियोजनाओं द्वारा हिमालयी क्षेत्रों में कार्य करने की पहल को एक अच्छा कदम बताया और कहा कि संस्थान के पास हिमालयी क्षेत्र के विकास हेतु एक विस्तृत दृष्टिकोण है जो हिमालय क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी बात है।

उन्होंने संस्थान को सतत एवं प्रभावी बनाने पर जोर दिया कहा कि संस्थान को प्राइवेट बिसनेस मॉडल की दिशा में ले जाना होगा. उन्होंने पृथ्वी के बढ़ते तापमान तथा जलवायु परिवर्तन पर चिंता जाहिर की और कहा कि हमें जलवायु परिवर्तन अनुकूलन तथा लचीलेपन की दिशा में कार्य करने की जरूरत है. उन्होंने उद्यमिता विकास पर जोर दिया कहा कि पर्यावरणीय तकनीकों को बिसनेस मॉडल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए.
बैठक के दौरान डा० कलाचंद सेन, निदेशक, वाडिया इंस्टिट्यूट, देहरादून, ने “क्लाइमेट इनड्यूसड जियो -हैजार्ड्स इन द हिमालया एंड प्लौसिबल मिटीगेशन” विषय पर कीनोट व्याखान दिया. अपने व्याखान में उन्होंने जलवायु परिवर्तन से होने वाली प्राकृतिक आपदाओं के बारे में बताया. उन्होंने हिमनद तथा हिमनद झीलों के बारे में विस्तृत जानकारी दी बताया कि जलवायु परिवर्तन से हिमनद और हिमनद झीलें किस प्रकार प्रभावित होती हैं. उन्होंने हिमालयी क्षेत्र में आपदा प्रतिरोधी कम्युनिटी बनाये जाने पर बल दिया और कहा कि होने वाली आपदा की पूरी प्रक्रिया को समझने की आवश्यकता है जिससे कि प्रारम्भिक अलार्म सिस्टम विकसित किया जा सके ताकि जान माल का ज्यादा नुकसान ना हो. उन्होंने हिमनद तथा हिमनद झीलों की विस्तृत इन्वेंटरी बनाने तथा इनकी निरंतर मोनिटरिंग करने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए स्थानीय समुदाय को आपदाओं हेतु संवेदनशील बनाने की बात कही.

बैठक के प्रथम दिवस को नॉलेज शेयरिंग डे का नाम दिया गया जिसमें संस्थान के युवा वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों ने हिमालयी क्षेत्र में संस्थान के मुख्यालय अल्मोड़ा एवं इसकी क्षेत्रीय केन्द्रों द्वारा किये जा रहे शोध कार्यों, क्षेत्रीय मुद्दों एवं उपलब्धियों तथा भविष्य की चुनौतियों हेतु रणनीति आदि गंभीर विषयों पर प्रस्तुतिकरण दिया. बैठक के दौरान संस्थान द्वारा चलाई जा रही विभिन्न परियोजनाओं का इन्सेप्सन सेमीनार भी आयोजित किया गया जिसमें संस्थान के निदेशक डा० सुनील नौटियाल, डा० कपिल केसरवानी, डा० संदीप रावत तथा डा० संदीपन मुख़र्जी ने नयी परियोजनाओं के बारे में बताया. बैठक के दौरान संस्थान के शोधार्थियों के साथ मष्तिष्क मंथन किया जिसमें हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण संतुलन एवं स्थानीय जनसमुदाय की भागीदारी द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं आजीविका वृद्धि सम्बंधित मुख्य मुद्दों पर एक रूपरेखा बन का सामने आई. इन मुद्दों पर वैज्ञानिक सलाहकार समिति ने अपने अनुभवों को साझा किया तथा इन मुद्दों पर अति शीघ्र कार्य करने हेतु दिशा निर्देश दिए.

वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक में समिति के अध्यक्ष डा० एकलब्य शर्मा (ऍफ़एनए), डॉ0 राजीव मोहन पन्त, कुलपति, असम विश्वविद्यालय, सिलचर, डॉ0 अरून कुमार सराफ, प्रोफेसर, इण्डियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रूड़की, डा० कलाचंद सेन, निदेशक, वाडिया इंस्टिट्यूट, देहरादून, डॉ0 संदीप ताम्बे, प्रोफेसर, इण्डियन इंस्टिट्यूट ऑफ फोरेस्ट मैनेजमैंट, भोपाल, उपस्थित थे. इसके साथ ही बैठक में संस्थान के केंद्र प्रमुखों ई० किरीट कुमार, डा० जे०सी० कुनियाल, डा० जी०सी०एस० नेगी, डा० आई०डी० भट्ट सहित संस्थान के मुख्यालय एवं क्षेत्रीय केन्द्रों के समस्त वैज्ञानिकों, तकनीकी अधिकारियों एवं शोधार्थियों द्वारा प्रतिभाग किया गया.

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