ब्रेकिंग हिमाचल : नौ आईएएस अधिकारियों को मिलीं नई जिम्मेदारियां, राम सुभग सिंह को उद्योग के साथ श्रम एवं रोजगार और परिवहन का जिम्मा मिला

शिमला। सिविल सर्विस बोर्ड की सिफारिश पर सूबे में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल हुआ है। नौ आईएएस अधिकारियों के कार्यभार में बदलाव करते हुए कैडर में मुख्य सचिव अनिल खाची के बाद वरिष्ठता सूची में दूसरे नंबर के आईएएस अधिकारी राम सुभग सिंह को उद्योग के साथ अब श्रम एवं रोजगार और परिवहन का भी अतिरिक्त जिम्मा सौंप दिया है। हालांकि उनसे ऊर्जा विभाग व बिजली बोर्ड के अध्यक्ष का जिम्मा लेकर अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान को दे दिया गया है।
धीमान इसके अलावा भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग भी संभालेंगे। अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि व पशुपालन रही निशा सिंह को दिल्ली में सलाहकार स्वास्थ्य के अलावा वन का अतिरिक्त जिम्मा मिला है। प्रधान सचिव परिवहन, श्रम एवं रोजगार व पर्यावरण देख रहे कमलेश कुमार पंत को राजस्व के साथ पर्यावरण, विज्ञान एवं तकनीकी विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन की अतिरिक्त जिम्मेदारी मिली है। प्रधान सचिव जनजातीय विकास ओंकार चंद शर्मा को बागवानी का अतिरिक्त जिम्मा मिला है। सचिव आयुर्वेदा रहे डॉ. अजय कुमार शर्मा को अब तकनीकी शिक्षा के साथ कृषि का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है।
स्वास्थ्य सचिव अमिताभ अवस्थी से बागवानी विभाग वापस ले लिया गया है, ताकि वह कोरोना काल में सिर्फ स्वास्थ्य विभाग पर ज्यादा ध्यान दे सकें। सचिव युवा सेवा एवं खेल डॉ. एसएस गुलेरिया को मत्स्य का अतिरिक्त जिम्मा सौंपा गया है। वहीं, निदेशक उद्योग रहे हंसराज शर्मा अब सचिव पशुपालन के तौर पर सचिवालय में अपनी सेवाएं देंगे। साथ ही वे उद्योग विभाग के निदेशक का अतिरिक्त जिम्मा भी संभालते रहेंगे।

हल्द्वानी। नैनीताल रोड स्थित एक स्कूल के बच्चों के दाखिले के लिए बनाए गए अजीबोगरीब नियमों ने अभिभावकों को चक्करघिन्नी बना दिया है। स्कूल वाले अभिभावकों से पूछे रहे हैं कि बच्चे के पैदा होने पर कौन-कौन से टीके लगवाए थे, इसका प्रमाण लाएं। बच्चे का मेडिकल सर्टिफिकेट भी मांगा जा रहा है।

वैसे तो सरकारी और निजी सभी स्कूलों में ग्रीष्मकालीन छुट्टियां हो गईं लेकिन कुछ पब्लिक स्कूलों में नए शिक्षा 2021-22 सत्र में बच्चों के एडमिशन की प्रक्रिया अभी भी चल रही है। नैनीताल रोड स्थित प्रमुख संस्था से जुड़े एक स्कूल में बच्चों के दाखिले की हरी झंडी मिलने पर कई अभिभावक पहुंच रहे हैं। अभिभावकों को स्कूल के नए नियमों ने दिक्कतों में डाल दिया है। अभिभावकों ने बताया कि स्कूल की हेड सिस्टर की ओर से यह पूछा जा रहा है कि बच्चे का जन्म होने पर खसरा, बीसीजी समेत दूसरे कौन कौन से टीके लगवाए, उनका प्रमाणपत्र दिखाओ। चाहे कक्षा एक में बच्चे का एडमिशन होना हो या फिर पांच में, मेडिकल सर्टिफिकेट जरूर चाहिए। बच्चे के ब्लड ग्रुप की जानकारी भी मांगी जा रही है। स्कूल की टीसी को शिक्षा विभाग से काउंटर साइन भी करवाना है। अभिभावकों का कहना है कि कोरोना काल में मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने के लिए बच्चों को किसी अस्पताल में ले जाना खतरे से कम नहीं है। मगर कोई नहीं सुन रहा। बच्चे के जन्म के बाद टीके का रिकॉर्ड भी नहीं है। शिक्षा विभाग के कार्यालय बंद हैं ऐसे में टीसी काउंटर साइन करने में भी परेशानी हो रही है।

एडमिशन के समय कोई स्कूल इस तरह के नियम अनिवार्य कैसे कर सकता है। एक ही शहर में टीसी काउंटर साइन कराने की भी कोई अनिवार्यता नहीं है यदि बच्चा दूसरे जिले से आ रहा है तो टीसी काउंटर साइन होनी चाहिए। एक अभिभावक की शिकायत मिली है स्कूल से इस बारे में पूछताछ की जाएगी।

  • हरेंद्र मिश्र, खंड शिक्षा अधिकारी
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