#शिक्षक दिवस : छात्र की सफलता पर बलिहारी हो जाता है गुरू का श्रम

लाल सिंह वाणी
भारत के राष्ट्रपति के पद को सुशोभित करने वाले प्रसिद्ध शिक्षाविद् व दार्शनिक सर्वपल्ली

लाल सिंह वाणी

राधाकृष्णन का शिक्षकों के प्रति आदरभाव के कारण उनके जन्मदिन को #शिक्षक दिवस के रूप में मनाये जाने पर समस्त शिक्षक स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं।
प्रतिवर्ष पाँच सिम्बर को भारत के राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्र भर से चुनिन्दा शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है। जिन शिक्षकों को पुरूष्कार नहीं मिल पाता है वे भी पुररूस्कृत शिक्षकों जितने ही परिश्रमी होते हैं। जो कोर-कसर रह जाती है उसे हासिल करने के लिये शिक्षकगण पूर्ण मनोयोग से सेवा में लगे रहते हैं। राज्य स्तर पर भी शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है जो उन्हें अधिक मनोयोग से कार्य करने के लिये प्रेरित करता हैं।


आम जनता की नजर में शिक्षक विद्यालय में बच्चों को पढ़ाते हैं, उनको भावी जीवन के लिये तैयार करते हैं किन्तु कई छात्र स्कूली शिक्षा पूरी करने से पहले ही स्कूल छोड़ देते हैं और यह समस्या शहरी गरीब तबके के बच्चों में बहुत अधिक है। कक्षा आठ तक तो बच्चे बेफिक्र स्कूल आते हैं, कतिपय कारणों से न आ पाने पर वे स्कूल में बने रहते हैं जो अच्छा भी है। आजकल के बच्चों को क्या पता कि किसी जमाने में लम्बे समय तक स्कूल न आने पर गुरूजी नाम पृथक कर देते थे, पढ़ाई में कमजोर होने पर कक्षा एक से आठ तक के बच्चे भी फेल हो जाते थे। कक्षा पाँच व आठ की बोर्ड परीक्षा होती थी। बच्चे बोर्ड परीक्षा में फेल न हों, इसके लिये गुरूजी कक्षा पाँच के बच्चों को अपने कमरे में या स्कूल में अतिरिक्त समय देकर पढ़ाते थे। अध्यापकों में प्रतिस्पर्द्धा होती थी कि उनका स्कूल परीक्षा केन्द्र टॉप करे। मुझे अच्छी तरह याद है, मेरे गुरूजी ने मुझसे कहा था कि मेरे परीक्षा केन्द्र टॉप न कर पाने पर उनको उस रात अच्छी नीद नही आयी थी।


अब शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह बदल चुकी है। गरीब बच्चों के पास ऑनलाईन पढ़ाई के लिये साधनों का नितान्त अभाव है। कोराना महामारी के कारण गत वर्ष 2020 में बोर्ड परीक्षा नहीं हो सकी। नये फार्मूले के तहत लगभग शत प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हो गये। बच्चों के ऊपर से परीक्षा का दबाव एक झटके में हट गया अन्यथा कई छात्र फेल होने व कम अंक आने का दबाव नहीं झेल पाते हैं तथा महीनों तक तनाव में रहते हैं। नयी शिक्षा नीति भी कक्षा दस की बोर्ड परीक्षा को हटाने की सिफारिश करती है जो बच्चों के हक में अच्छा कदम है। शिक्षण सामूहिक प्रयास है, शिक्षकएक दूसरे के साथ सामंजस्य बैठाकर बेहतर परिणाम दे सकते हैं।


अध्यापन व अध्यापक प्रशिक्षण में भी नित नयी चीजें जुड़ रही हैं। उनकी पेशेवर कुशलता भी समय के साथ बढ़ रही है जो निश्चित ही छात्रों के लिये लाभप्रद साबित हो रही हैं।
हर वर्ष सर्वपल्लीराधाकृष्णन का जन्मदिन पूरे देश के सभी स्कूलों में धूमधाम से मनाया जाता है।

यह भी पढ़ें 👉  ब्रेकिंग न्यूज : उत्तराखंड में सात फीसदी तक बढ़े बिजली के दाम

कुछेक शिक्षकों को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिये भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित भी किया जाता है। अक्सर शिक्षकों को कहते हुए सुना जाता है कि उनके लिये उनके छात्रों की सफलता ही श्रेष्ठ पुरस्कार है। उनके द्वारा पढ़ाये हुए छात्र यदि आदरपूर्वक उन्हें नमस्ते मात्र भी कर दें तो शिक्षकों को बेहद खुशी महसूस होती है। समाज का प्रत्येक नागरिक किसी न किसी शिक्षक के द्वारा पढ़ाया गया होता है और उसके मन में अपने शिक्षक के प्रति श्रद्धा कभी कम नहीं होती। गुरू की महिमा गाते हुए कबीरदास जी ने कहा गया है-
गुरू गोविंद दोऊ खड़े, काके लागों पाय।
बलिहारी गुरू आपने, गोविंद दियो बताय।।

लेखक राजपुरा इंटर कालेज, हल्द्वानी में सहायक अध्यापक हैं।

यह भी पढ़ें 👉  हनुमान जयंती: हनुमान जन्मोत्सव पर आज राजधानी देहरादून में निकलेंगी शोभायात्राएं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *