अल्मोड़ा—– शिक्षा संकाय औऱ सोच संस्था के संयुक्त तत्वावधान में मेंस्ट्रुअल हेल्थ, हाइजीन एवं जागरूकता विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार शुरू

अल्मोड़ा- शिक्षा संकाय और सोच संस्था द्वारा सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय में मेंस्ट्रुअल हेल्थ, हाइजीन एन्ड अवेयरनेस विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ हो गया है। दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन मुख्य अतिथि राज्य महिला आयोग उपाध्यक्ष ज्योति शाह मिश्रा, कुलपति प्रो जगत सिंह बिष्ट, पद्म श्री बसंती देवी, पिंकसी फाउंडेशन की सह संस्थापक शालिनी गुप्ता द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

सेमिनार के उद्घाटन सत्र में सेमिनार की संयोजिका प्रो० भीमा मनराल ने कार्यक्रम में मौजुद सभी का स्वागत करते हुए कहा कि महिला परिवार की केंद्र बिंदु होती है यदि महिला ही अस्वस्थ रही तो पूरा परिवार डगमगा जाता है उन्होंने कहा कि आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में मासिक धर्म को लेकर और रूढ़िवादी विचार प्रचलित है जिस कारण इस पर खुलकर बात आज भी नहीं होती है उन्होंने कहा कि सोच संस्था द्वारा उठाया गया यह कदम सराहनीय है विश्वास है कि बहुत जल्दी ही लोग इसको समझने लगेंगे और सुधारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा। सोच संस्था के सचिव और सेमिनार के आयोजक सचिव मयंक पंत ने अतिथियों और छात्र छात्राओं के मध्य सोच संस्था का और संस्था के द्वारा किए गए कार्यों का परिचय सभी से करवाया।

संरक्षक और कुलपति प्रो. जगत सिंह बिष्ट ने सोच संस्था और शिक्षा संकाय द्वारा मासिक धर्म स्वास्थ्य, स्वच्छता और जागरूकता विषय पर किए जा रहे सेमिनार से समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन आने की बात कही। उन्होंने अपने जीवन की घटनाओं को सभी मध्य साझा किया। उन्होंने उत्तराखंड के अलग अलग क्षेत्रों में फैली मान्यताओं और कुरीतियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने आगे कहा की पुरुषों को महिलाओं के प्रति संवेदनशील होना जरूरी है। उन्होंने सभी से सोच संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों में उनकी सहायता करने की अपील की और सामाजिक कुरीतियों से सभी से मिलकर लड़ने का आह्वाहन किया।

मुख्य अतिथि राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष ज्योति शाह मिश्रा ने सोच संस्था द्वारा मासिक धर्म विषय पर सेमिनार आयोजित कराने को लेकर संस्था के सभी सदस्यों का स्वागत किया। उन्होंने सोच संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की और कहा की भविष्य में महिला आयोग सोच संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों में उनके साथ खड़ा रहेगा और उत्तराखंड में महिला उत्थान को लेकर हम सभी मिलकर कार्य करेंगे। उन्होंने पलायन को लेकर भी बात की और युवाओं को अपने क्षेत्र में रखकर ही कार्य को लेकर प्रेरित किया।

इस अवसर पर पिंकिश फाउंडेशन की सह संस्थापक और राष्ट्रीय सचिव शालिनी गुप्ता ने कहा महिलाओं को आज के समय में बेहतर मेंस्ट्रुअ प्रोडक्ट्स को स्वीकार करना चाहिए। मेंस्ट्राउल कप व जैविक पैड इस्तेमाल करने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। उन्होंने सोच संस्था द्वारा उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में किए जा रहे कार्यों की भी सराहना की।

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परिसर निदेशक प्रो. प्रवीण बिष्ट ने अपने अध्यक्षीय भाषण में सभी का स्वागत किया और मासिक धर्म को लेकर सोच संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों का उल्लेख करते हुए सभी को उनका साथ देने की बात कही। इसके बाद द्वितीय (तकनीकी) सत्र में महिला विशेषज्ञ डा. तृप्ता सयाना ने मासिक धर्म से जुड़े वैज्ञानिक पहलुओं पर बात की और सभी पहलुओं से छात्र छात्राओं को अवगत करवाया। और छात्राओं के प्रश्नों के जवाब भी उनको दिए।

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तृतीय सत्र में सुनीता भास्कर ने अपने अनुभवों को छात्रों के साथ साझा किया। उन्होंने विभिन्न संस्थानों के साथ के अपने अनुभवों और सामाजिक कार्यों का वर्णन किया। उन्होंने सोच संस्था द्वारा मासिक धर्म विषय पर किए जा रहे कार्यों की भी सराहना की। इसके बाद हिमांशी भंडारी और मयंक पंत के द्वारा छात्रों को पीरियड्स से जुड़ी सामाजिक भ्रांतियों को लेकर बताया गया और सभी छात्रों से इस विषय पर भी चर्चा की गई। कार्यक्रम का संचालन डॉ. नीलम द्वारा किया गया।

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कार्यक्रम में सोच संस्था की ओर से अशीष पंत, राहुल जोशी, हिमांशी, जितेंद्र, कल्पना, प्रियंका,दीपिका, दीपाली, अभिषेक नेगी, प्रो. सुशील कुमार जोशी, प्रो. डी. एस. बिष्ट, प्रो. भास्कर चौधरी, प्रो. ममता असवाल, प्रो. अरविंद अधिकारी, डॉ. संगीता, डॉ. पारुल सक्सेना, डॉ. पूरन जोशी, डॉ. योगेश मैनाली, डॉ. रविंद्र नाथ पाठक, डॉ. देवेंद्र एवं शिक्षा संकाय के छात्र छात्राएं और शोधार्थी आदि मौजूद रहे।

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