हल्द्वानी… भक्तजन इसे न पढ़ें: पीया आये रहे, सिंगार हो रहा है, कोरोना सिर पर है और एक लाख का इंतजार हो रहा है
तेजपाल नेगी साथ में पंकज जोशी
हल्द्वानी। प्रधानमंत्री की 30 दिसंबर को प्रस्तावित रैली के लिए न सिर्फ जिला प्रशासन बल्कि पूरी उत्तराखंड सरकार एक पैर पर खड़ी है। शहर की खासकर उन इलाकों की जहां से प्रधानमंत्री का काफिला गुजरना है वहां की सूरत बदली जा रही है। कम से कम सड़कों को डेंट पेंट के माध्यम से प्रधानमंत्री को न दिखने लायक बनाया जा रहा है। दर्जनों वरिष्ठ अधिकारियों को तो प्रधनमंत्री की रैली स्थल के अंदर और बाहर तैनात किया गया है। पुलिस के कितने कर्मचारी तैनात होंगे यह तो नहीं बताया गया है बस इतना बताया गया है कि पर्याप्त संख्या में पुलिस तैनात होगी। रैली स्थल की भी सूरत बदली जा रही है। यहां वर्षों से लगे कूड़े का ढेर तो नुमाइश के वक्त ही आधा साफ हो चुके थे अब बाकी भी साफ हो गये हैं। एमबी इंटर कालेज की सुरक्षा करने वाली चाहरदीवारी मुख्य सड़क की तरफ से तोड़ दी गई है। गजब यह है कि यहां किसी मीडिया कर्मी को जाने की इजाजत भी नहीं है। आज जब कैबिनेट मिनिस्टर बंसीधर भगत वहां पहुंचे तो मीडियाकर्मियों को बाहर ही रोक दिया गया।
दरअसल पीएम मोदी की देहरादून रैली से ज्यादा राहुल गांधी की रैली में भीड़ जुटने के कथित दावों के बाद सरकार हल्द्वानी रैली को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। इसलिए एक लाख की भीड़ जुटाने के दावों के साथ ऐसे इंतजाम भी किए जा रहे हैं कि भीड़ लोगों को दिखे भी।
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पिछले कई वर्षों से यहां वीवीआईपी रैलियों में अपनी सेवाएं दे रहे एक सज्जन ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कई साल पहले इसी मैदान पर सोनिया गांधी की रैली आहूत की गई थी। मैदान में लोगों को बैठने के लिए कुर्सिया बिछाई गई थी। मैदान भर चुका था लेकिन सोनिया का कार्यक्रम ऐन वक्त पर रद्द हो गया। तब एसपीजी ने बताया था कि एमबी इंटर कालेज के इस मैदान में कुल साढ़े सात हजार लोगों की भीड़ जुटी थी। मैदान के बाहर कितने लोग थे पता नहीं। अब एक लाख लोगों को यहां पहुंचा कर उन्हें क्या शहर में टहलाया जाएगा कह नहीं सकते।
मोदी के रैली मैदान में एक लाख की भीड़ को संभालने के लिए दो दर्जन से ज्यादा वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती की गई है। इतने ही अधिकारी गेट के बाहर मोर्चा संभालेंगे। मोदी प्रधानमंत्री हैं इसलिए उनकी सुरक्षा के पुख्ता इंतजामात पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। लेकिन जब इतने लोगों को प्रशासन झेल सकता है तो आज की तारीख में समाचारों को तीव्र गति से लोगों तक पहुंचाने में लगे डिजिटल मीडिया से क्यों छुआछूत की जा रही है। इसका जवाब शायद प्रशासन के पास भी नहीं होगा।
जो भी हो खबरें जानना तो पाठक का संवैधानिक अधिकार हैं और खबरें छापना भी पत्रकार का संवैधानिक अधिकार है। इसलिए खबरें तो पाठकों को मिलेंगी ही। इसका दावा हम पूरे डिजिटल मीडिया की ओर से करते हैं।
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अब बात शहर की दशा संवारने की। उन तमाम सड़कों को चकाचक किया जा रहा है जिनके गड्ढों में गिर—गिर कर कितने ही लोगों की जानें गई हैं। पिछले कई दिनों से सड़कों पर सबसे ज्यादा काम हो रहा है। तमाम विभाग दिन रात एक करके प्रधानमंत्री की रैली स्थल और रैली स्थल को जोड़ने वाले मार्गों की सूरत बदलने में लगे हैं। कहीं नगर निगम तो कहीं पीडब्ल्यूडी।
रैली को अब दो दिन ही शेष हैं इसलिए सभी तैयारियां अंतिम रूप धारण कर रही हैं। लेकिन कोई यह नहीं बता रहा है कि छोटे से शहर में एक लाख की भीड़ आने पर उसका कोविड टेस्ट कैसे होगा। जबकि सरकार ने भी आज शाम मान लिया कि कोरोना प्रदेश में खतरे के निशान के आसपास आ पहुंचा है। वर्ना नाइट कर्फ्यू लगाने की नौबत नहीं आनी थी। आज ही प्रदेश की राजधानी देहरादून और धार्मिक राजधानी हरिद्वार में ओमिक्रॉन के तीन नए केसों की पुष्टि हुई है। ऐसे में शासन ने भीड़ भाड़ न जुटाने के सख्त निर्देश आम जनता को दिए हैं। जबकि हल्द्वानी में एक लाख की भीड़ जुटाने की तैयारी सरकार ही कर रही है।
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सब जानते हैं कि पीएम आसन्न चुनावों के मद्देनजर यहां आ रहे हैं लेकिन फिलहाल कार्यक्रम किसी पार्टी का नहीं सरकारी है। इसलिए सरकार भी अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकती। यदि महामारी विकराल हुई तो उस समय सरकार को सवालों के जवाब देने के लिए तैयार रहना होगा।
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जो भी हो हल्द्वानी का सौभाग्य है कि इस बार पीएम मोदी यहां आ रहे हैं। वर्ना यहां से हमेशा दूरी ही बनाई जा रही थी। अलबत्ता अब जब स्वयं वे दूरी बनाकर रखने की बात कर रहे हैं तो इस शहर में एक लाख की भीड़ को संबोधित करने आ रहे हैं।
जो भी हो सरकार तो सरकार है कोविड ही नहीं ऐसी कितनी ही बीमारियां उसके इशारे पर कभी गढ़वाल तो कभी कुमाऊं में विचरती रहती है। इसलिए पीएम मोदी को सुनने के लिए आए लेकिन मास्क और दो गज की दूरी का नियम अवश्य याद रखें।
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